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‘पिया मेहंदी मंगाय द मोती झील से...’
Pratapgarh
Updated Thu, 12 Sep 2013 05:35 AM IST
अजगरा। ऐतिहासिक स्थली अजगरा में लोकगायकों के स्वर फिजा में लहरा रहे हैं। बिरहा और आल्हा का भी लोग आनंद उठा रहे हैं। बुधवार शाम आर्केस्ट्रा के साथ ही क्षेत्रीय कलाकारों ने भी अपनी प्रतिभा से लोगों का मन मोह लिया।
दोपहर में ग्रामीण विकास गोष्ठी और पुरातात्विक महत्व पर इतिहासकारों की गोष्ठी के बाद क्षेत्रीय विद्यालयों के बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। छात्रा समीक्षा सिंह के गीत ‘बाबा के भवनवा अइली कइली दर्शनवा’ पर श्रोता झूम उठे। इसके बाद आलोक सिंह सोमवंशी के लोकगीत पिया मेंहदी मंगाय द मोती झील से, जाय के साइकील से ना...पर खूब तालियां बजीं। इसके अलावा उनके गीत ‘बेटी के बाप के समनवा आई हो समधी जी’, ‘बरसे सवनवा तरसेला मनवा’ भी सराहे गए। आशा कार्यकर्ता सुनीता ने भी ‘गउना की बैठक में भैया अइबा कि न अइबा’ से लोगों को जागरूक किया। अनुराग सिंह के गीत ‘भजन कर मस्त जवानी में बुढ़ापा किसने देखा है’ पर महफिल झूम उठी। इसके बाद आल्हा का आयोजन हुआ। मंगलवार रात में हैदरअली जुगनू का बिरहा गायन सुनने को लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। बिरहा के बाद कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कवि राजेश पांडेय निर्झर प्रतापगढ़ी, भानु प्रताप त्रिपाठी मराल, प्रमोद प्रियदर्शी, रमेश मस्ताना आदि ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन प्रमोद प्रियदर्शी व निर्झर प्रतापगढ़ी ने किया। इस मौके पर देवेंद्र पांडेय, विनय सिंह, अनिल सिंह, संजय पांडेय, राजकुमार सरोज, शिवशंकर द्विवेदी आदि थे।
अजगरा। ऐतिहासिक स्थली अजगरा में लोकगायकों के स्वर फिजा में लहरा रहे हैं। बिरहा और आल्हा का भी लोग आनंद उठा रहे हैं। बुधवार शाम आर्केस्ट्रा के साथ ही क्षेत्रीय कलाकारों ने भी अपनी प्रतिभा से लोगों का मन मोह लिया।
दोपहर में ग्रामीण विकास गोष्ठी और पुरातात्विक महत्व पर इतिहासकारों की गोष्ठी के बाद क्षेत्रीय विद्यालयों के बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। छात्रा समीक्षा सिंह के गीत ‘बाबा के भवनवा अइली कइली दर्शनवा’ पर श्रोता झूम उठे। इसके बाद आलोक सिंह सोमवंशी के लोकगीत पिया मेंहदी मंगाय द मोती झील से, जाय के साइकील से ना...पर खूब तालियां बजीं। इसके अलावा उनके गीत ‘बेटी के बाप के समनवा आई हो समधी जी’, ‘बरसे सवनवा तरसेला मनवा’ भी सराहे गए। आशा कार्यकर्ता सुनीता ने भी ‘गउना की बैठक में भैया अइबा कि न अइबा’ से लोगों को जागरूक किया। अनुराग सिंह के गीत ‘भजन कर मस्त जवानी में बुढ़ापा किसने देखा है’ पर महफिल झूम उठी। इसके बाद आल्हा का आयोजन हुआ। मंगलवार रात में हैदरअली जुगनू का बिरहा गायन सुनने को लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। बिरहा के बाद कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कवि राजेश पांडेय निर्झर प्रतापगढ़ी, भानु प्रताप त्रिपाठी मराल, प्रमोद प्रियदर्शी, रमेश मस्ताना आदि ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन प्रमोद प्रियदर्शी व निर्झर प्रतापगढ़ी ने किया। इस मौके पर देवेंद्र पांडेय, विनय सिंह, अनिल सिंह, संजय पांडेय, राजकुमार सरोज, शिवशंकर द्विवेदी आदि थे।