बाहुबली विधायक विजय मिश्रा के गुनाहों की सजा तो कानून के तहत भारतीय न्याय-व्यवस्था देगी, लेकिन 30 घंटे के भीतर ज्ञानपुर के बाहुबली विधायक की तीन जेल बदल गई। रविवार को सबसे पहले जिला जेल भदोही भेजा गया, इसके बाद प्रयागराज की मशहूर सेंट्रल जेल भेजे गए। रविवार शाम प्रयागराज सेंट्रल जेल में रात बिताई और सोमवार को सुरक्षा कारणों से जिलाधिकारी ने चित्रकूट की जिला जेल भेजने के लिए आदेश जारी कर दिए। उत्तर प्रदेश की जेल में सुरक्षा की स्थिति पर यह अपने आप में बड़ा सवाल है। मिश्रा के करीबियों का कहना है कि विधायक को परेशान किया जा रहा है। इस परेशानी का बड़ा कारण विधायक का सामाजिक, आर्थिक क्षेत्र में बना दबदबा है।
उत्तर प्रदेश की जेल में सुरक्षा पर उठते सवाल
यह उत्तर प्रदेश के जेलों की सुरक्षा का आलम है। जहां जेलर और पुलिस को कैदी की सुरक्षा कर पाने में मुश्किलों का सामना कर पड़ रहा है। भदोही जिला जेल एक सिंगल बैरक जेल है। यहां सुरक्षा को लेकर जेलर अशोक कुमार गौतम का चिंतित होना स्वाभाविक है। एसपी राम बदल सिंह भी मामले को संवेदनशील मानते हैं, लेकिन प्रयागराज की सेंट्रल जेल देश की चार बड़ी जेलों में आती है।
अंग्रेजों के जमाने की इस जेल में संगीन और गंभीर अपराधों के कैदी और जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के कैदी रखे जाते रहे हैं। लेकिन जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए रविवार शाम को नैनी जेल, प्रयागराज लाए गए विधायक विजय मिश्रा को चित्रकूट जिला जेल में रखने का आदेश जारी कर दिया।
अपराधियों की पौ बारह
उत्तर प्रदेश में अपराध, माफिया और दबंगों के साम्राज्य पर नजर डालें तो उनकी पौ बारह है। गाजीपुर के मुख्तार अंसारी हों या नैनी जेल से अहमदाबाद की जेल में रखे गए मो. अतीक की जेल से अपने साम्राज्य की संचालन गतिविधियां हो, किसी से छिपी नहीं हैं। लखनऊ में जेलर की ही हत्या, बागपत की जेल में कुख्यात अपराधी प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी की हत्या जैसी घटनाओं के आगे कानून-व्यवस्था और सुरक्षा की स्थिति घुटने टेक देती है।
अपराध पर नजर रखने वाले सूत्रों की मानें तो जेल को सुरक्षित पनाहगाह मानकर अपराध को अंजाम देने वाले पूर्वांचल के माफियाओं ने पूरा नेटवर्क फैला रखा है। गाजीपुर के मुख्तार, बनारस परिक्षेत्र में सक्रिय बृजेश सिंह, श्याम नारायण उर्फ विनीत सिंह, मो. अतीक, अतीक के भाई अशरफ समेत तमाम की तूती बोलती है। 80-90 के दशक से बाहुबलियों ने नई तरीके से अपने आपरेशन को अंजाम देना शुरू किया। इस दौर में उनका मुख्य ध्यान जेल की अभेद्य सुरक्षा व्यवस्था को तार-तार करना ही था।
आप जन बली कहिए, दबंग कहिए....अपराधी मत कहिए
विजय मिश्रा के करीबियों को बाहुबली विधायक को अपराधी कहने से ही चिढ़ हो जाती है। खुद विजय मिश्रा भी कहते हैं कि मुझे बाहुबली नहीं जन बली कहिए। जनता का सेवक हूं, जनता मेरे साथ है। चुनाव हारने नहीं देती और ज्ञानपुर से चार बार का लगातार विधायक हूं।
विजय मिश्रा के पुत्र विष्णु मिश्रा के शुभचिंतक का कहना है कि उन्हें आप दबंग, धाकड़ नेता कह सकते हैं। जौनपुर के एक भाजपा नेता का भी कहना है कि विजय मिश्रा दबंगई करते हैं। उन्हें माफिया कहना ठीक नहीं होगा।
वहीं उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री नंद गोपाल नंदी का कहना है कि विजय मिश्रा अपराधी नहीं तो और क्या हैं? उनके ऊपर 73 से अधिक अपराधिक मामले चल रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने खुद 16 के करीब हत्या, हत्या का प्रयास, षडयंत्र रचने के मामले की जानकारी दी है।
....असल मकसद सामाजिक, आर्थिक साम्राज्य तोड़ना है
गोकुल दूबे जैसे विजय मिश्रा के कुछ शुभ चिंतक है। आरएस पांडे जैसे लोगों को सुन लीजिए। बनारस के संजय सिंह को भी इसमें कुछ गलत नहीं लगता। बब्बन यादव भी तीनों उपरोक्त लोगों से मिली जानकारी को सही ठहराते हैं। इन सभी का मानना है कि इस समय विजय मिश्रा और उनके विरोधियों में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। बताते हैं भदोही से होकर कई जिलों के गिट्टी, बालू (मोरंग, गंगा) के ट्रक गुजरते हैं।
भदोही के टोल पर पहले विजय मिश्रा का वर्चस्व था। इधर पिछले दो दशक से सड़क निर्माण, भवन निर्माण, रियल एस्टेट का कारोबार तेजी से फला फूला। लिहाजा क्षेत्रीय कारोबारियों, व्यवसायियों, ठेकेदारों की मजबूरी बन गई थी कि विजय मिश्रा की गद्दी पर सिर झुकाते चलें। दूसरी तरफ विजय मिश्रा ने लोगों के बीच में अपनी पैठ भी खूब बढ़ा रखी है।
लिहाजा विरोधी गुट ने पहले कुछ हत्याओं, अपराध तथा राजनीतिक-प्रशासनिक रसूख के जरिए भदोही टोल से विजय मिश्रा को (कमजोर) किया। अब रिश्तेदार की शिकायत पर गिरफ्तार हुए मिश्रा के सामाजिक, आर्थिक ढांचे को तोड़ने की तैयारी है। यही वजह है मिश्रा भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर जिनसे भी अपने साम्राज्य पर खतरा है, उनपर आरोप लगा रहे हैं।
मिश्रा न केवल अपना चुनाव जीत जाते हैं, बल्कि क्षेत्र में पकड़ के चलते पत्नी राम लली मिश्रा को भी जिला पंचायत अध्यक्ष, एमएलसी बनवाने में कामयाब रहे हैं। क्षेत्र के भाजपा के एक बड़े नेता का कहना है कि आखिर कुछ तो है जो अपराधी एक साथ आधा दर्जन फॉर्च्यूनर का काफिला लेकर चलते हैं। कोई पूछता भी नहीं कि इनके पास इतना अकूत धन कहां से आता है।
सरकारी ठेकेदारी से ज्यादा अब रंगदारी से प्राइवेट में कमाते हैं
बनारस-लखनऊ राजमार्ग का ठेका कंस्ट्रक्शन क्षेत्र की बड़ी कंपनी को मिला है। हजारों करोड़ के इस ठेके में गिट्टी, मिट्टी, रेत आदि की सप्लाई का ठेका क्षेत्र के दबंग ले लेते हैं। इसके बाद आधी-अधूरी सप्लाई करके दो-तीन गुना भगतान करने का कंपनी के मैनजरों पर दबाव बनाते हैं। बताते हैं उत्तर प्रदेश में इसे लेकर पुलिस के पास भी बड़े पैमाने पर शिकायतें हैं।
कुछ माफिया के गुर्गों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई है। बताते हैं इसी तरह से कई जिलों में सीवर लाइन की योजना को सरकार अंतिम रूप दे रही है। इसके लिए 200-300 करोड़ रुपये तक के ठेकों की निविदा जारी हो रही है। ठेका बड़ा होने के कारण यह बड़ी कंपनियों को आवंटित हो जा रहा है और स्थानीय दबंग इसमें छोटे-छोटे ठेके हासिल करके अपराध को नया रूप देने में लगे हैं।
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बाहुबली विधायक विजय मिश्रा के गुनाहों की सजा तो कानून के तहत भारतीय न्याय-व्यवस्था देगी, लेकिन 30 घंटे के भीतर ज्ञानपुर के बाहुबली विधायक की तीन जेल बदल गई। रविवार को सबसे पहले जिला जेल भदोही भेजा गया, इसके बाद प्रयागराज की मशहूर सेंट्रल जेल भेजे गए। रविवार शाम प्रयागराज सेंट्रल जेल में रात बिताई और सोमवार को सुरक्षा कारणों से जिलाधिकारी ने चित्रकूट की जिला जेल भेजने के लिए आदेश जारी कर दिए। उत्तर प्रदेश की जेल में सुरक्षा की स्थिति पर यह अपने आप में बड़ा सवाल है। मिश्रा के करीबियों का कहना है कि विधायक को परेशान किया जा रहा है। इस परेशानी का बड़ा कारण विधायक का सामाजिक, आर्थिक क्षेत्र में बना दबदबा है।