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शुक्रताल में मलूकापीठाधीश्वर स्वामी राजेंद्र दास जी महाराज के श्री मुख से आज हनुमत धाम में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ स्वामी विशुद्धानंद जी महाराज, स्वामी केश्वानंद जी महाराज ने कराया। राजेंद्र दास ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा मानव को मृत्यु के भय से मुक्त कर देती है।
रविवार को कथा प्रारंभ करते हुए उन्होंने कहा कि जिन पर परमात्मा की विशेष कृपा हुई है, वही इस कथा मंडप में पहुंचे हैं। कहा, जीव ईश्वर का स्वरूप होते हुए भी ईश्वर को पहचानने का प्रयत्न नहीं करता है। इसी कारण उसे आंनद की प्राप्ति नहीं होती है।
भागवत जीवन दर्शन का ग्रंथ है। यह जीवन जीने की कला का मार्ग दर्शन करता है। भागवत की भक्ति का आदर्श कृष्ण की गोपियां हैं। गोपियों ने घर नहीं छोड़ा। उन्होंने स्वधर्म त्याग नहीं किया वे वन में नहीं गई फिर भी वह श्री भगवान को प्राप्त कर सकीं।
भागवत ज्ञान, वैराग्य को जागृत करने की कथा है। ज्ञान और वैराग्य मनुष्य के अंदर हैं, पर वह सोए हुए हैं। भागवत के अलावा अन्य कोई ग्रंथ नहीं जो मनुष्य मात्र को सात दिन में मुक्ति का मार्ग दिखा दे। इससे पूर्व मंगलाचारण के साथ व्यासपीठ को पूजन अर्चन किया गया।
मुख्य यज्ञमान आरके टंडन, ट्रस्ट के अध्यक्ष अमरचंद कासट, ट्रस्टी कृष्ण कुमार कंसल, कैलाश नारायण महाराज को माल्यार्पण किया किया। इस दौरान स्वामी गुरुदत्त ब्रह्मचारी महाराज, स्वामी गीतानंद गिरी, स्वामी भगवता स्वरूप, स्वामी गीतानंद तीर्थ, स्वामी विष्णु स्वरूप महाराज, स्वामी आंनद अवस्थी महाराज, ब्रह्मचारी आंनद स्वरूप आदि रहे।
इस मौके पर अरुण खडे़लवाल, लाला कंवर सैन, राजेश सिंघल, सुरेश चंद मिश्रा, राजवीर कौशिक आदि रहे। संचालन सीताराम शस्त्री ने किया। इससे पूर्व कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं नेे हिस्सा लिया। महिलाओं ने हरी कीर्तन के साथ शुकतीर्थ की परिक्रमा कर मां गंगा का पूजन किया। हनुमतधाम सरस्वती विद्या मंदिर के विद्यार्थियों ने घोष बजाकर कलश यात्रा का नेतृत्व किया।
शुक्रताल में मलूकापीठाधीश्वर स्वामी राजेंद्र दास जी महाराज के श्री मुख से आज हनुमत धाम में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ स्वामी विशुद्धानंद जी महाराज, स्वामी केश्वानंद जी महाराज ने कराया। राजेंद्र दास ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा मानव को मृत्यु के भय से मुक्त कर देती है।
रविवार को कथा प्रारंभ करते हुए उन्होंने कहा कि जिन पर परमात्मा की विशेष कृपा हुई है, वही इस कथा मंडप में पहुंचे हैं। कहा, जीव ईश्वर का स्वरूप होते हुए भी ईश्वर को पहचानने का प्रयत्न नहीं करता है। इसी कारण उसे आंनद की प्राप्ति नहीं होती है।
भागवत जीवन दर्शन का ग्रंथ है। यह जीवन जीने की कला का मार्ग दर्शन करता है। भागवत की भक्ति का आदर्श कृष्ण की गोपियां हैं। गोपियों ने घर नहीं छोड़ा। उन्होंने स्वधर्म त्याग नहीं किया वे वन में नहीं गई फिर भी वह श्री भगवान को प्राप्त कर सकीं।
भागवत ज्ञान, वैराग्य को जागृत करने की कथा है। ज्ञान और वैराग्य मनुष्य के अंदर हैं, पर वह सोए हुए हैं। भागवत के अलावा अन्य कोई ग्रंथ नहीं जो मनुष्य मात्र को सात दिन में मुक्ति का मार्ग दिखा दे। इससे पूर्व मंगलाचारण के साथ व्यासपीठ को पूजन अर्चन किया गया।
मुख्य यज्ञमान आरके टंडन, ट्रस्ट के अध्यक्ष अमरचंद कासट, ट्रस्टी कृष्ण कुमार कंसल, कैलाश नारायण महाराज को माल्यार्पण किया किया। इस दौरान स्वामी गुरुदत्त ब्रह्मचारी महाराज, स्वामी गीतानंद गिरी, स्वामी भगवता स्वरूप, स्वामी गीतानंद तीर्थ, स्वामी विष्णु स्वरूप महाराज, स्वामी आंनद अवस्थी महाराज, ब्रह्मचारी आंनद स्वरूप आदि रहे।
इस मौके पर अरुण खडे़लवाल, लाला कंवर सैन, राजेश सिंघल, सुरेश चंद मिश्रा, राजवीर कौशिक आदि रहे। संचालन सीताराम शस्त्री ने किया। इससे पूर्व कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं नेे हिस्सा लिया। महिलाओं ने हरी कीर्तन के साथ शुकतीर्थ की परिक्रमा कर मां गंगा का पूजन किया। हनुमतधाम सरस्वती विद्या मंदिर के विद्यार्थियों ने घोष बजाकर कलश यात्रा का नेतृत्व किया।