पोर्न फिल्में देखने की लत किशोरों और किशोरियों की मानसिक व शारीरिक सेहत पर भारी पड़ रही है। जिला अस्पताल में खुले किशोर-किशोरी स्वास्थ्य परामर्श केंद्र में पिछले एक साल में 4259 लड़के-लड़कियों पर की गई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
मेरठ में स्वास्थ्य परामर्श केंद्र के स्टडी में करीब 80 प्रतिशत किशोर-किशोरियां पोर्न फिल्में देखने के आदि मिले। ऐसे भी केस मिले, जिनमें इन फिल्मों को देखकर लड़का किसी लड़के और लड़की किसी अन्य लड़की की तरफ आकर्षित हो गई। इन्होंने समलैंगिक शादी करने की तीव्र इच्छा जताई। कुछ लड़के-लड़कियां ऐसे मिले, जिनका अपने से दोगुनी उम्र के स्त्री-पुरुष से अफेयर चल रहा है। कई मामलों में परिजनों के नाराज होने या बेमेल शादी के लिए राजी न होने पर आत्महत्या तक की कोशिश की। कई केस ऐसे आए जिनमें बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा और भूख भी नहीं लगती।
किशोरावस्था में कदम रखते ही लड़के-लड़कियों में शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। वह अपने माता-पिता को खुलकर बताने में शर्म महसूस करते हैं और कई बार गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं। पोर्न वीडियो देखने लगते हैं और उससे प्रेरित होकर गलत धारणाएं भी बना लेते हैं। इससे वे शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार होने लगते हैं।
मोबाइल पर देखते हैं पोर्न
कोर्ट ने पोर्न फिल्म दिखाने वाली वेबसाइटों पर बैन लगाया था। इसके बावजूद इंटरनेट संसार इतना अधिक विस्तृत है कि कोई भी इसे सीमाओं में नहीं बांध सकता। पोर्न वेबसाइट बैन होने के बाद दोबारा कुछ फेरबदल के साथ उपलब्ध हो जाती हैं। स्टडी में पाया गया है कि अधिकांश लड़के-लड़कियां मोबाइल पर इन्हें देखते हैं। हालांकि कुछ सीडी वगैरह में लेकर लैपटॉप पर भी देखते हैं।
रिपोर्ट का सच
- 80 प्रतिशत किशोर-किशोरियां देख रहे पोर्न सामग्री, मानसिक और शारीरिक रूप से हो रहे बीमार
- जिला अस्पताल के परामर्श केंद्र पर 4259 लड़के-लड़कियों पर की गई स्टडी, स्थिति बेहद खतरनाक
- कोई समलैंगिक हो गया, तो किसी का पढ़ाई में नहीं लगता मन, किसी को दोगुनी उम्र वाले से करनी है शादी
परिजन ऐसे कर सकते हैं निगरानी
- क्रोम ब्राउजर में जाकर सेटिंग में जाएं। इसमें स्क्रॉल करके नीचे जाएं और साइट सेटिंग ऑप्शन पर टैप करें। यहां अगर कुकीज ऑप्शन ऑफ है तो इसे ऑन कर दें। इसके बाद सर्च हिस्ट्री डिलीट होने के बाद भी आपको ब्राउज की गई साइट्स के बारे में पता चल जाएगा।
- क्रोम ब्राउजर या फायरफॉक्स यूज करते हैं तो प्राइवेसी ऑप्शन में जाकर रिमूव इंडिविजुअल कुकीज पर क्लिक करके ब्राउजिंग हिस्ट्री चेक कर सकते हैं।
- प्ले स्टोर में कीलॉगर, किड्स पैलेस पैरेंटल कंट्रोल, पैरेंटल कंट्रोल एंड डिवाइस मॉनिटर आदि कई ऐसे एप्स हैं, जिनसे आप किसी की इंटरनेट सर्च पर नजर रख सकते हैं।
‘यूथ फ्रेंडली थीम’ पर काम करता है किशोर-किशोरी स्वास्थ्य परामर्श केंद्र
इन्हीं समस्याओं का समाधान करने के लिए जिला अस्पताल में किशोर-किशोरी स्वास्थ्य परामर्श केंद्र खोला गया है, जो ‘यूथ फ्रेंडली थीम’ पर कार्य करता है। इसके माध्यम से किशोर-किशोरियों को संतुलित आहार, एनीमिया मुक्त बनना, आत्म स्वच्छता, शारीरिक विकास, मासिक धर्म, गर्भ निरोधक, यौन जनित रोगों, नशे से संबधित जानकारी, किशोरावस्था में शादी के प्रभाव और जल्द गर्भधारण की वजह से आने वाली परेशानियों संबंधी परामर्श दिया जाता है। यौन संबंधी भ्रांतियां दूर की जाती हैं। अगर जरूरत नहीं लगती, तो इनके माता-पिता को भी सूचना नहीं दी जाती है। इसी केंद्र ‘मन कक्ष’ है, जहां लड़कियों को महिला काउंसिलर परामर्श देती हैं।
मानसिक रूप से हो गए बीमार
केंद्र में आए लड़के-लड़कियों से परामर्श के दौरान यह बात सामने आई है कि उनमें से करीब 80 प्रतिशत से ज्यादा पोर्न फिल्में देखते हैं। इस से वह मानसिक रूप से बीमार हो गए हैं। - दिव्यांक दत्त, परामर्शदाता
माता-पिता से सब कुछ शेयर करें
पोर्न फिल्में देखने की लत नशे की तरह है। हम किशोरों को समझाते हैं कि माता-पिता से समस्या शेयर करें, वह जो बताएं उसे समझें। -डॉ. कमलेंद्र किशोर, मनोरोग विशेषज्ञ
तकनीक सबके लिए है
तकनीक तो सबके लिए है। आपके बेटे या बेटियां मोबाइल पर कुछ गलत तो नहीं देख रहे हैं, इसकी आसानी से निगरानी कर सकते हैं। - कर्मवीर सिंह, साइबर एक्सपर्ट
काउंसलर की सलाह
- अभिभावक बच्चों से खुलकर बात करें
- उनके लिए समय निकालें, उनकी दिनचर्या जानें
- इस उम्र में हारमोन्स में बदलाव आते हैं, यह उन्हें समझाएं
- हस्तक्षेप न करें, लेकिन उनका दोस्तों का सर्किल कैसा है यह जानें
- कुछ गलत लगे तो प्यार से समझाएं, डांटें नहीं
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पोर्न फिल्में देखने की लत किशोरों और किशोरियों की मानसिक व शारीरिक सेहत पर भारी पड़ रही है। जिला अस्पताल में खुले किशोर-किशोरी स्वास्थ्य परामर्श केंद्र में पिछले एक साल में 4259 लड़के-लड़कियों पर की गई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
मेरठ में स्वास्थ्य परामर्श केंद्र के स्टडी में करीब 80 प्रतिशत किशोर-किशोरियां पोर्न फिल्में देखने के आदि मिले। ऐसे भी केस मिले, जिनमें इन फिल्मों को देखकर लड़का किसी लड़के और लड़की किसी अन्य लड़की की तरफ आकर्षित हो गई। इन्होंने समलैंगिक शादी करने की तीव्र इच्छा जताई। कुछ लड़के-लड़कियां ऐसे मिले, जिनका अपने से दोगुनी उम्र के स्त्री-पुरुष से अफेयर चल रहा है। कई मामलों में परिजनों के नाराज होने या बेमेल शादी के लिए राजी न होने पर आत्महत्या तक की कोशिश की। कई केस ऐसे आए जिनमें बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा और भूख भी नहीं लगती।
किशोरावस्था में कदम रखते ही लड़के-लड़कियों में शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। वह अपने माता-पिता को खुलकर बताने में शर्म महसूस करते हैं और कई बार गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं। पोर्न वीडियो देखने लगते हैं और उससे प्रेरित होकर गलत धारणाएं भी बना लेते हैं। इससे वे शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार होने लगते हैं।
मोबाइल पर देखते हैं पोर्न
कोर्ट ने पोर्न फिल्म दिखाने वाली वेबसाइटों पर बैन लगाया था। इसके बावजूद इंटरनेट संसार इतना अधिक विस्तृत है कि कोई भी इसे सीमाओं में नहीं बांध सकता। पोर्न वेबसाइट बैन होने के बाद दोबारा कुछ फेरबदल के साथ उपलब्ध हो जाती हैं। स्टडी में पाया गया है कि अधिकांश लड़के-लड़कियां मोबाइल पर इन्हें देखते हैं। हालांकि कुछ सीडी वगैरह में लेकर लैपटॉप पर भी देखते हैं।