जनपद में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना की प्रगति गत वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वर्ष काफी कम रही हैं। जहां एक ओर गांवों में निर्माण निर्माण की संख्या काफी कम रही। वहीं, गत वर्ष की अपेक्षा मनरेगा कामगारों को मजदूरी भी कम मुहैया करायी गई हैं। ऐसी स्थिति में मनरेगा योजना पर सवाल उठने लगे हैं।
मनरेगा में धीरे-धीरे लोगों की रुचि कम हो रही है। इन हालातों में ग्रामीणों ने भी योजना से दूरी बनानी शुरू कर दी। अफसरों ने भी जॉबकार्ड धारकों को काम देने के ठोस प्रयास नहीं किए। मनरेगा के तहत जनपद के छह विकास खंडों की 415 ग्राम पंचायतों में एमआईएस फिडिंग के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2015-16 में कुल 6216 परिसंपत्तियों का निर्माण किया गया था। जबकि चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 में आजतक 4496 ही परिसंपत्तियों का सृजन किया गया, जो गत वर्ष की तुलना में 1720 कम हैं। दूसरी तरफ वित्तीय वर्ष 2015-16 में 85 हजार 885 परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराकर 36 लाख 99 हजार 588 मानव दिवस सृजित किए गए थे, जबकि वर्तमान वर्ष 2016-17 में 64 हजार 361 परिवारों को ही काम देते हुए मात्र 19 लाख 34 हजार 229 मानव दिवस सृजित किए जा सके। इस तरह से गतवर्ष की तुलना में इस वर्ष 21 हजार 524 परिवारों को कम काम मुहैया कराया गया हैं। गांव में रोजगार नहीं मिलने के चलते लोगों ने फिर महानगरों की ओर रुख करना शुरू कर दिया हैं।
100 दिनों का रोजगार में भी गिरावट
सिलावन (ललितपुर)। वित्तीय वर्ष 2015-16 में एक लाख 77 हजार 496 जॉबकार्ड धारकों के सापेक्ष सात हजार 741 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराया गया था। जबकि इस वर्ष 1 लाख 53 हजार 564 जॉबकार्ड धारी परिवारों में से महज 913 परिवारों को ही 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराया गया। इस तरह से गतवर्ष की तुलना में इस वर्ष100 दिनों का रोजगार पाने वाले परिवारों की संख्या भी काफी कम रही। मनरेगा के यह आंकड़े अफसरों को आइना दिखाने के लिए काफी हैं।
21 हजार परिवारों को मिला 15 दिन से कम काम
सिलावन (ललितपुर)। ग्रामीण मजदूरों को गांव में ही रोजगार देने की मंशा से संचालित महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अपने उद्देश्य पर खरी नहीं उतर रही है। करोड़ों खर्च करने के बावजूद 21 हजार से अधिक जॉबकार्ड धारकों को 15 दिन से भी कम दिनों तक काम दिया जा सका, जबकि 100 दिनों तक प्रत्येक जॉबकार्ड धारक को काम दिया जा सकता हैं।
छोटे किसानों की आजीविका को मजबूत करने के लिए संचालित मनरेगा अपने उद्देश्य से भटक गई है। योजना के क्रियान्वयन में लापरवाही इस कदर हावी हो गई है कि अधिक दिनों तक काम करने वाले मजदूरों की संख्या कम और कम दिनों तक काम करने वाले जॉबकार्ड धारकों की संख्या अधिक हो गई है। वित्तीय वर्ष 2016-17 के तहत 15 दिन से कम काम पाने वाले जॉबकार्ड धारकों की संख्या पर नजर डाली जाए तो विकास खंड बार में दो हजार 474, बिरधा में तीन हजार 901, जखौरा में 4 हजार 699, मडावरा में 3 हजार 96, महरौनी में 3 हजार 692 और तालबेहट में 3 हजार 618 परिवारों को पंद्रह दिन से कम काम मिला। इस तरह से कुल 21 हजार 480 परिवारों को 15 दिन से कम काम उपलब्ध कराया गया हैं।