औद्योगिक नगरी कानपुर का इतिहास काफी समृद्ध है। गंगा तट पर बसे इस शहर को ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। यहां चमड़े का बड़े पैमाने पर कारोबार होता है।
इतिहासकारों के अनुसार कानपुर का नाम सोमवंशी राजपूतों के राजा कान्हा सोम के नाम से पड़ा है। इसका मूल नाम कान्हपुर था। 1773 की संधि के बाद इस जिले पर अंग्रेजों का राज चलने लगा। 1778 में अंग्रेजों ने यहां छावनी बनाई। अंग्रेजों ने ही यहां उद्योगों की शुरुआत करवाई। यहां के जाजमऊ को प्राचीनकाल में सिद्धपुरी के नाम से जाना जाता था। इसी जगह सिद्धनाथ और सिद्ध देवी का मंदिर है। जेके मंदिर, जैन ग्लास मंदिर, फूल बाग, चिड़ियाघर, चर्च, नानाराव पार्क, इस्कॉन मंदिर यहां की प्रमुख पहचान हैं।
राजनीतिक दखल भी अधिक
कानपुर का प्रदेश और देश की राजनीति में अच्छा खासा दखल है। यहां दस विधानसभा सीटें हैं। 2017 में इनमें से सात पर भारतीय जनता पार्टी, दो पर समाजवादी पार्टी और एक पर कांग्रेस के प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी।
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर यहां का सियासी माहौल गर्म होने लगा है। सवाल उठने लगे हैं कि योगी सरकार के कार्यकाल में यहां कितना विकास हुआ? क्या आम लोग सरकार के कामकाज से खुश हैं? युवा, महिलाएं और आम जनता मौजूदा सरकार के बारे में क्या सोचती है? राजनीतिक दलों के नेताओं का क्या मानना है? वे किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे? इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए 'अमर उजाला' का चुनावी रथ 'सत्ता का संग्राम' सोमवार को कानपुर में होगा।
आप भी 'अमर उजाला' के इस मंच से जुड़ सकते हैं। इसके जरिए आप अपने क्षेत्र, शहर, राज्य और देश के हर मुद्दे को उठा पाएंगे। आप बता पाएंगे कि आने वाले चुनाव में नेताओं और राजनीतिक दलों से आपको क्या उम्मीदें हैं? किन मसलों को लेकर आप मतदान करेंगे और नेताओं से आप क्या चाहते हैं?
कब और कहां होंगे कार्यक्रम
1. सुबह 9 बजे
चाय पर चर्चा
स्थान : काली मठिया मंदिर, शास्त्री नगर
2. सुबह 11 बजे
युवाओं से बात
स्थान : मोतीझील पार्क
3. दोपहर 1 बजे
आधी आबादी से चर्चा
स्थान : अमर उजाला कार्यालय, फजलगंज
4. दोपहर 3 बजे
राजनीतिक दलों से चर्चा
स्थान : सेंट्रल पार्क, शास्त्री नगर
अब तक 42 जिलों में हो चुका है कार्यक्रम
अब तक पश्चिमी यूपी, ब्रज, अवध और पूर्वांचल के 42 जिलों में 'सत्ता का संग्राम' हो चुका है। 11 नवंबर को गाजियाबाद से चला रथ मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, आगरा, मथुरा, हाथरस, अलीगढ़ होते हुए एक दिसंबर को बुलंदशहर पहुंचा था। इसके बाद हमारा चुनावी रथ अवध और फिर पूर्वांचल में दाखिल हुआ। लखनऊ, अयोध्या, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, गाजीपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, वाराणसी, प्रयागराज, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अमेठी, रायबरेली होते हुए फतेहपुर पहुंचा। चित्रकूट के रास्ते ये चुनावी रथ बुंदेलखंड में दाखिल हुआ है। बांदा, महोबा, झांसी, हमीरपुर के बाद अगला पड़ाव कानपुर है।
‘सत्ता का संग्राम’ में क्या होगा खास?
चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ के तहत अमर उजाला हर वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचेगा। चाय पर चर्चा के साथ-साथ महिलाओं और युवाओं से संवाद होगा। राजनीतिक हस्तियों से सीधे सवाल पूछे जाएंगे। अमर उजाला आपको एक मंच दे रहा है, जहां आप अपनी बातों को रख सकेंगे, ताकि जब राजनीतिक हस्तियां चुनावी रैलियां करने आएं तो उन्हें आपसे जुड़े जमीनी मुद्दे भी याद रहें।
विशेष प्रोत्साहन की व्यवस्था
‘सत्ता का संग्राम’ से जुड़े कार्यक्रमों में जमीनी स्तर पर हिस्सा लेने वाले दर्शकों और श्रोताओं के लिए विशेष प्रोत्साहन की व्यवस्था की गई है।
इस विशेष कवरेज को आप कहां देख सकेंगे
- अमर उजाला अखबार और amarujala.com पर आपको कार्यक्रम स्थल की जानकारी मिलेगी।
- ‘सत्ता का संग्राम’ से जुड़ी व्यापक जमीनी कवरेज आप अमर उजाला अखबार में पढ़ सकेंगे।
- amarujala.com पर आप कार्यक्रमों को लाइव देख सकेंगे।
- सभी कार्यक्रम अमर उजाला डिजिटल के फेसबुक पेज और यू-ट्यूब चैनल पर देखे जा सकेंगे।
- इन सभी कार्यक्रमों के जरिए दर्ज होने वाली जनता की आवाज विशेष रूप से अमर उजाला के पॉडकास्ट ‘आवाज’ पर भी उपलब्ध रहेगी।
विस्तार
औद्योगिक नगरी कानपुर का इतिहास काफी समृद्ध है। गंगा तट पर बसे इस शहर को ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। यहां चमड़े का बड़े पैमाने पर कारोबार होता है।
इतिहासकारों के अनुसार कानपुर का नाम सोमवंशी राजपूतों के राजा कान्हा सोम के नाम से पड़ा है। इसका मूल नाम कान्हपुर था। 1773 की संधि के बाद इस जिले पर अंग्रेजों का राज चलने लगा। 1778 में अंग्रेजों ने यहां छावनी बनाई। अंग्रेजों ने ही यहां उद्योगों की शुरुआत करवाई। यहां के जाजमऊ को प्राचीनकाल में सिद्धपुरी के नाम से जाना जाता था। इसी जगह सिद्धनाथ और सिद्ध देवी का मंदिर है। जेके मंदिर, जैन ग्लास मंदिर, फूल बाग, चिड़ियाघर, चर्च, नानाराव पार्क, इस्कॉन मंदिर यहां की प्रमुख पहचान हैं।
राजनीतिक दखल भी अधिक
कानपुर का प्रदेश और देश की राजनीति में अच्छा खासा दखल है। यहां दस विधानसभा सीटें हैं। 2017 में इनमें से सात पर भारतीय जनता पार्टी, दो पर समाजवादी पार्टी और एक पर कांग्रेस के प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी।
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर यहां का सियासी माहौल गर्म होने लगा है। सवाल उठने लगे हैं कि योगी सरकार के कार्यकाल में यहां कितना विकास हुआ? क्या आम लोग सरकार के कामकाज से खुश हैं? युवा, महिलाएं और आम जनता मौजूदा सरकार के बारे में क्या सोचती है? राजनीतिक दलों के नेताओं का क्या मानना है? वे किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे? इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए 'अमर उजाला' का चुनावी रथ 'सत्ता का संग्राम' सोमवार को कानपुर में होगा।
आप भी 'अमर उजाला' के इस मंच से जुड़ सकते हैं। इसके जरिए आप अपने क्षेत्र, शहर, राज्य और देश के हर मुद्दे को उठा पाएंगे। आप बता पाएंगे कि आने वाले चुनाव में नेताओं और राजनीतिक दलों से आपको क्या उम्मीदें हैं? किन मसलों को लेकर आप मतदान करेंगे और नेताओं से आप क्या चाहते हैं?
कब और कहां होंगे कार्यक्रम
1. सुबह 9 बजे
चाय पर चर्चा
स्थान : काली मठिया मंदिर, शास्त्री नगर
2. सुबह 11 बजे
युवाओं से बात
स्थान : मोतीझील पार्क
3. दोपहर 1 बजे
आधी आबादी से चर्चा
स्थान : अमर उजाला कार्यालय, फजलगंज
4. दोपहर 3 बजे
राजनीतिक दलों से चर्चा
स्थान : सेंट्रल पार्क, शास्त्री नगर
अब तक 42 जिलों में हो चुका है कार्यक्रम
अब तक पश्चिमी यूपी, ब्रज, अवध और पूर्वांचल के 42 जिलों में 'सत्ता का संग्राम' हो चुका है। 11 नवंबर को गाजियाबाद से चला रथ मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, आगरा, मथुरा, हाथरस, अलीगढ़ होते हुए एक दिसंबर को बुलंदशहर पहुंचा था। इसके बाद हमारा चुनावी रथ अवध और फिर पूर्वांचल में दाखिल हुआ। लखनऊ, अयोध्या, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, गाजीपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, वाराणसी, प्रयागराज, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अमेठी, रायबरेली होते हुए फतेहपुर पहुंचा। चित्रकूट के रास्ते ये चुनावी रथ बुंदेलखंड में दाखिल हुआ है। बांदा, महोबा, झांसी, हमीरपुर के बाद अगला पड़ाव कानपुर है।
‘सत्ता का संग्राम’ में क्या होगा खास?
चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ के तहत अमर उजाला हर वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचेगा। चाय पर चर्चा के साथ-साथ महिलाओं और युवाओं से संवाद होगा। राजनीतिक हस्तियों से सीधे सवाल पूछे जाएंगे। अमर उजाला आपको एक मंच दे रहा है, जहां आप अपनी बातों को रख सकेंगे, ताकि जब राजनीतिक हस्तियां चुनावी रैलियां करने आएं तो उन्हें आपसे जुड़े जमीनी मुद्दे भी याद रहें।
विशेष प्रोत्साहन की व्यवस्था
‘सत्ता का संग्राम’ से जुड़े कार्यक्रमों में जमीनी स्तर पर हिस्सा लेने वाले दर्शकों और श्रोताओं के लिए विशेष प्रोत्साहन की व्यवस्था की गई है।
इस विशेष कवरेज को आप कहां देख सकेंगे
- अमर उजाला अखबार और amarujala.com पर आपको कार्यक्रम स्थल की जानकारी मिलेगी।
- ‘सत्ता का संग्राम’ से जुड़ी व्यापक जमीनी कवरेज आप अमर उजाला अखबार में पढ़ सकेंगे।
- amarujala.com पर आप कार्यक्रमों को लाइव देख सकेंगे।
- सभी कार्यक्रम अमर उजाला डिजिटल के फेसबुक पेज और यू-ट्यूब चैनल पर देखे जा सकेंगे।
- इन सभी कार्यक्रमों के जरिए दर्ज होने वाली जनता की आवाज विशेष रूप से अमर उजाला के पॉडकास्ट ‘आवाज’ पर भी उपलब्ध रहेगी।