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कानपुर। कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) जल्द ही विश्वस्तरीय टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर हो जाएगा। मई 2017 तक यहां मेक इन इंडिया की धमक दिखेगी। अभी यहां पर जर्मनी से आए उपकरणों को असेम्बल करके कृत्रिम अंग बनाए जा रहे हैं। एक साल बाद यहां ऑटोबॉक कंपनी से हस्तांतरित हुई टेक्नोलॉजी के जरिए कृत्रिम अंगों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों का भी निर्माण होने लगेगा। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से गठित स्थायी समिति के चेयरमैन सांसद रमेश बैस ने मंगलवार को यह बात एलिम्को में बताई। उन्होंने बताया कि कृत्रिम अंगों को उपलब्ध करवाने में एलिम्को का प्रमुख स्थान है।
राज्य सरकारों से निशक्तों की संख्या के आधार पर आंकड़े मांगे जाते हैं फिर कैंप लगाकर अंग बांटे जाते हैं। केंद्र सरकार चाहती है कि यहां के आधुनिकीकरण का भरपूर फायदा उठाया जाए ताकि इसका लाभ पूरे देश तक पहुंचे। विदेशों में तकनीक के जरिये निशक्तजनों को पूरी तरह से सक्षम बनाया जा चुका है। केंद्र सरकार भी इस दिशा में काम कर रही है। एलिम्को इस काम में सराहनीय भूमिका निभा रहा है।
संसदीय टीम ने देखा अंगों का निर्माण-सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की स्थायी समिति के 10 सदस्यों (सभी सांसद) ने एलिम्को के सीएमडी डीआर सरीन और अधिकारियों के साथ मीटिंग की। करीब डेढ़ घंटे चली मीटिंग में अंगों के निर्माण में पेश आनी वाली समस्याओं, आधुनिकीकरण की जरूरत, फंड का इस्तेमाल आदि से संबंधित मसलों पर चर्चा हुई। इसके बाद टीम ने एलिम्को के कर्मचारियों के कामकाज, उपकरण निर्माण की प्रक्रिया और मशीनों का जायजा लिया। करीब डेढ़ घंटे तक टीम ने फैक्ट्री का भ्रमण कर अलग अलग तरह के अंगों के निर्माण की प्रक्रिया देखी।
कानपुर। कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) जल्द ही विश्वस्तरीय टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर हो जाएगा। मई 2017 तक यहां मेक इन इंडिया की धमक दिखेगी। अभी यहां पर जर्मनी से आए उपकरणों को असेम्बल करके कृत्रिम अंग बनाए जा रहे हैं। एक साल बाद यहां ऑटोबॉक कंपनी से हस्तांतरित हुई टेक्नोलॉजी के जरिए कृत्रिम अंगों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों का भी निर्माण होने लगेगा। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से गठित स्थायी समिति के चेयरमैन सांसद रमेश बैस ने मंगलवार को यह बात एलिम्को में बताई। उन्होंने बताया कि कृत्रिम अंगों को उपलब्ध करवाने में एलिम्को का प्रमुख स्थान है।
राज्य सरकारों से निशक्तों की संख्या के आधार पर आंकड़े मांगे जाते हैं फिर कैंप लगाकर अंग बांटे जाते हैं। केंद्र सरकार चाहती है कि यहां के आधुनिकीकरण का भरपूर फायदा उठाया जाए ताकि इसका लाभ पूरे देश तक पहुंचे। विदेशों में तकनीक के जरिये निशक्तजनों को पूरी तरह से सक्षम बनाया जा चुका है। केंद्र सरकार भी इस दिशा में काम कर रही है। एलिम्को इस काम में सराहनीय भूमिका निभा रहा है।
संसदीय टीम ने देखा अंगों का निर्माण-सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की स्थायी समिति के 10 सदस्यों (सभी सांसद) ने एलिम्को के सीएमडी डीआर सरीन और अधिकारियों के साथ मीटिंग की। करीब डेढ़ घंटे चली मीटिंग में अंगों के निर्माण में पेश आनी वाली समस्याओं, आधुनिकीकरण की जरूरत, फंड का इस्तेमाल आदि से संबंधित मसलों पर चर्चा हुई। इसके बाद टीम ने एलिम्को के कर्मचारियों के कामकाज, उपकरण निर्माण की प्रक्रिया और मशीनों का जायजा लिया। करीब डेढ़ घंटे तक टीम ने फैक्ट्री का भ्रमण कर अलग अलग तरह के अंगों के निर्माण की प्रक्रिया देखी।