न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Wed, 03 Nov 2021 11:31 AM IST
हत्याकांड में जब गोरखपुर पुलिस ने खेल किया था तब मीनाक्षी की मांग पर केस की जांच कानपुर ट्रांसफर हुई थी। पुलिस कमिश्नर ने एसआईटी गठित की थी। एसआईटी ने आरोपी पुलिसकर्मियों को जेल तो भेज दिया लेकिन साक्ष्य मिटाने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की।
एसआईटी खून साफ करने वाले होटल कर्मचारी को गवाह बनाया है। मगर सीबीआई की जांच में साक्ष्य मिटाने वाले रडार पर रहेंगे। उन पर शिकंजा कसना तय है। एसआईटी ने अपनी जांच के दौरान होटल, अस्पताल और चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज जुटाए थे।
होटल के फुटेज से खुलासा हुआ था कि कौन कौन से पुलिसकर्मी वहां मौजूद थे। किस तरह से बेजान मनीष को लिफ्ट से लेकर नीचे आए थे। मनीष जमीन पर पड़े थे। वहां से मनीष को लेकर पुलिसकर्मी मानसी अस्पताल गए थे। इसके बाद होटल प्रशासन ने खून धोया था।
जब एसआईटी ने वहां बेंजाडीन टेस्ट कराया था, खून के धब्बे मिले थे। ये बेहद अहम साक्ष्य हैं। एसआईटी ने विवेचना के दौरान साक्ष्य मिटाने की धारा तो बढ़ाई लेकिन आरोपी सिर्फ पुलिसकर्मियों को ही बनाया था। अब सीबीआई इस पहलू पर जांच आगे बढ़ाएगी।
इन सवालों के जवाब खोजेगी सीबीआई
- पुलिस किसी की सूचना पर होटल पहुंची थी या खुद से ही चेकिंग की थी?
- अगर किसी ने सूचना दी तो वह भी हत्याकांड की साजिश में शामिल है या नहीं?
- पुलिस का मकसद केवल वसूली था या हत्या की कोई और वजह थी?
- वारदात को साजिश रचकर अंजाम दिया गया या फिर एकाएक हुई वारदात थी?
- जेल में बंद छह पुलिसकर्मियों के अलावा अन्य किसी भूमिका है या नहीं?
- इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह की मनीष से क्या कोई पुरानी खुन्नस थी?
- निजी अस्पताल ले जाने के बाद बेजान मनीष को पुलिसकर्मी कहां-कहां ले गए थे। इरादा क्या था?
विस्तार
हत्याकांड में जब गोरखपुर पुलिस ने खेल किया था तब मीनाक्षी की मांग पर केस की जांच कानपुर ट्रांसफर हुई थी। पुलिस कमिश्नर ने एसआईटी गठित की थी। एसआईटी ने आरोपी पुलिसकर्मियों को जेल तो भेज दिया लेकिन साक्ष्य मिटाने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की।
एसआईटी खून साफ करने वाले होटल कर्मचारी को गवाह बनाया है। मगर सीबीआई की जांच में साक्ष्य मिटाने वाले रडार पर रहेंगे। उन पर शिकंजा कसना तय है। एसआईटी ने अपनी जांच के दौरान होटल, अस्पताल और चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज जुटाए थे।
होटल के फुटेज से खुलासा हुआ था कि कौन कौन से पुलिसकर्मी वहां मौजूद थे। किस तरह से बेजान मनीष को लिफ्ट से लेकर नीचे आए थे। मनीष जमीन पर पड़े थे। वहां से मनीष को लेकर पुलिसकर्मी मानसी अस्पताल गए थे। इसके बाद होटल प्रशासन ने खून धोया था।
जब एसआईटी ने वहां बेंजाडीन टेस्ट कराया था, खून के धब्बे मिले थे। ये बेहद अहम साक्ष्य हैं। एसआईटी ने विवेचना के दौरान साक्ष्य मिटाने की धारा तो बढ़ाई लेकिन आरोपी सिर्फ पुलिसकर्मियों को ही बनाया था। अब सीबीआई इस पहलू पर जांच आगे बढ़ाएगी।