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झांसी। रोजगार की राह में बैंकों की कंजूसी आड़े आ रही है। पिछले एक साल के दरम्यान बैंकों द्वारा स्वरोजगार से जुड़ीं तीन सरकारी परियोजनाओं के 62 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट खारिज किए जा चुके हैं। उद्योग विभाग द्वारा चयनित किए जाने के बाद भी बैंकों की ओर से इन योजनाओं के लिए 1,254 लोगों को ऋण नहीं उपलब्ध कराया गया है।
बेरोजगार युवा कारोबार के जरिये खुद अपने पैरों पर खड़े हो सकें तथा दूसरों को भी रोजगार उपलब्ध करा सकें, इसके लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना (एमवाईएसवाई) और वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) योजना संचालित की जा रही है।
इन योजनाओं के जरिये खुद का कारोबार शुरू करने वालों को बैंकों से ऋण उपलब्ध कराया जाता है, जिस पर सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है। जिले में पिछले एक साल के दरम्यान उद्योग विभाग द्वारा उक्त तीनों योजनाओं में 1,531 प्रोजेक्ट चयनित किए गए और फाइनल ऋण के लिए अलग-अलग बैंकों को भेजी गईं। लेकिन, इनमें महज 277 को ही बैंकों से ऋण मिल पाया। 1,254 लोगों को मायूसी का सामना करना पड़ा।
एक नजर में -
..................
पीएमईजीपी
----------
चयनित ऋण मिला रिजेक्ट
657 84 573
एमवाईएसवाई
------------
चयनित ऋण मिला रिजेक्ट
559 68 491
ओडीओपी
---------
चयनित ऋण मिला रिजेक्ट
315 125 190
ये हैं योजनाएं
.....................
- पीएमईजीपी: इस योजना के तहत कारोबार प्रारंभ करने के लिए 25 लाख रुपये तक का ऋण दिए जाने का प्रावधान है, जिस पर सरकार की ओर से अलग-अलग वर्गों को 15 से 35 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है।
- ओडीओपी: 25 लाख तक के ऋण पर 25 प्रतिशत तथा 26 लाख से 01 करोड़ तक के ऋण पर 10 फीसदी सब्सिडी प्रदान की जाती है।
- एमवाईएसवाई: इस योजना के तहत अधिकतम 25 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया जाता है, जिस पर अधिकतम 25 फीसदी तक सब्सिडी का प्रावधान है।
बैंकों द्वारा निर्धारित बजट के सापेक्ष ऋण उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही, आवेदकों का साक्षात्कार भी लिया जाता है, जिसमें आवेदक से उसके प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारियां ली जाती हैं। जानकारी न दे पाने वालों को ऋण नहीं दिया जाता है। इसके अलावा तमाम आवेदक नकद पैसा मांगते हैं, जबकि बैंक उन्हें मशीन उपलब्ध कराने की बात करते हैं। इस पर भी कई फाइलें फंस जाती हैं।
- अरुण कुमार, अग्रणी जिला प्रबंधक
प्रशासन की सख्ती से लक्ष्य हुआ पूरा
झांसी। शासन द्वारा उक्त तीनों योजनाओं का जिले को अलग-अलग लक्ष्य आवंटित किया गया था। शुरुआत में बैंकों की हीलाहवाली सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया। जिलाधिकारी आंद्रा वामसी ने बैंकों के अफसरों के साथ लगातार मीटिंग की। तब जाकर शासन द्वारा निर्धारित लक्ष्य पूरा हो पाया। पीएमईजीपी के तहत लक्ष्य 38 के सापेक्ष 84 लोगों को ऋण हासिल हुआ। जबकि, एमवाईएसवाई में लक्ष्य 48 के सापेक्ष 68 को ऋण मिला है। वहीं, ओडीओपी में निर्धारित लक्ष्य 50 के मुकाबले कहीं अधिक 125 को ऋण दिया जा चुका है।
झांसी। रोजगार की राह में बैंकों की कंजूसी आड़े आ रही है। पिछले एक साल के दरम्यान बैंकों द्वारा स्वरोजगार से जुड़ीं तीन सरकारी परियोजनाओं के 62 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट खारिज किए जा चुके हैं। उद्योग विभाग द्वारा चयनित किए जाने के बाद भी बैंकों की ओर से इन योजनाओं के लिए 1,254 लोगों को ऋण नहीं उपलब्ध कराया गया है।
बेरोजगार युवा कारोबार के जरिये खुद अपने पैरों पर खड़े हो सकें तथा दूसरों को भी रोजगार उपलब्ध करा सकें, इसके लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना (एमवाईएसवाई) और वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) योजना संचालित की जा रही है।
इन योजनाओं के जरिये खुद का कारोबार शुरू करने वालों को बैंकों से ऋण उपलब्ध कराया जाता है, जिस पर सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है। जिले में पिछले एक साल के दरम्यान उद्योग विभाग द्वारा उक्त तीनों योजनाओं में 1,531 प्रोजेक्ट चयनित किए गए और फाइनल ऋण के लिए अलग-अलग बैंकों को भेजी गईं। लेकिन, इनमें महज 277 को ही बैंकों से ऋण मिल पाया। 1,254 लोगों को मायूसी का सामना करना पड़ा।
एक नजर में -
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पीएमईजीपी
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चयनित ऋण मिला रिजेक्ट
657 84 573
एमवाईएसवाई
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चयनित ऋण मिला रिजेक्ट
559 68 491
ओडीओपी
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चयनित ऋण मिला रिजेक्ट
315 125 190
ये हैं योजनाएं
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- पीएमईजीपी: इस योजना के तहत कारोबार प्रारंभ करने के लिए 25 लाख रुपये तक का ऋण दिए जाने का प्रावधान है, जिस पर सरकार की ओर से अलग-अलग वर्गों को 15 से 35 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है।
- ओडीओपी: 25 लाख तक के ऋण पर 25 प्रतिशत तथा 26 लाख से 01 करोड़ तक के ऋण पर 10 फीसदी सब्सिडी प्रदान की जाती है।
- एमवाईएसवाई: इस योजना के तहत अधिकतम 25 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया जाता है, जिस पर अधिकतम 25 फीसदी तक सब्सिडी का प्रावधान है।
बैंकों द्वारा निर्धारित बजट के सापेक्ष ऋण उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही, आवेदकों का साक्षात्कार भी लिया जाता है, जिसमें आवेदक से उसके प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारियां ली जाती हैं। जानकारी न दे पाने वालों को ऋण नहीं दिया जाता है। इसके अलावा तमाम आवेदक नकद पैसा मांगते हैं, जबकि बैंक उन्हें मशीन उपलब्ध कराने की बात करते हैं। इस पर भी कई फाइलें फंस जाती हैं।
- अरुण कुमार, अग्रणी जिला प्रबंधक
प्रशासन की सख्ती से लक्ष्य हुआ पूरा
झांसी। शासन द्वारा उक्त तीनों योजनाओं का जिले को अलग-अलग लक्ष्य आवंटित किया गया था। शुरुआत में बैंकों की हीलाहवाली सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया। जिलाधिकारी आंद्रा वामसी ने बैंकों के अफसरों के साथ लगातार मीटिंग की। तब जाकर शासन द्वारा निर्धारित लक्ष्य पूरा हो पाया। पीएमईजीपी के तहत लक्ष्य 38 के सापेक्ष 84 लोगों को ऋण हासिल हुआ। जबकि, एमवाईएसवाई में लक्ष्य 48 के सापेक्ष 68 को ऋण मिला है। वहीं, ओडीओपी में निर्धारित लक्ष्य 50 के मुकाबले कहीं अधिक 125 को ऋण दिया जा चुका है।