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डूबने से बचना है तो प्रभू के भवसागर में डूब जाओ
Updated Tue, 11 Sep 2018 12:26 AM IST
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कहीं भी, कभी भी।
बक्शा। भगवान की कथा सुनते समय मन कहीं और भटक रहा है तो ऐसी कथा सुनना नहीं सुनने के बराबर है। मनुष्य जीवन के महत्व को समझते हुए हमें प्रत्येक पल प्रभु भक्ति में लगाना चाहिए। परोपकार के कार्य, संतों का सत्संग तथा संतों की प्राप्ति दुर्लभ है। समय का सदुपयोग करना चाहिए। सच्चे संत हमें दिव्य ज्ञान, शिक्षा देकर जीवन को उत्कृष्ट एवं सही मार्ग में ले जाते हैं। संतो की कृपा से ही सच्चा सुख एवं शाति मिलती है। उक्त प्रवचन बक्शा विकास खंड के लेदुका बाजार स्थित मंदिर पर चल रही भागवत कथा के दौरान आचार्य प्रेम प्रकाश मिश्र ने कही। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन पाने के बाद यदि भागवत कथा नहीं सुनी तो उसका जीवन ही व्यर्थ है। जो मनुष्य भवसागर में डूबता है तो उसका निकल पाना मुश्किल होता है और वह बच नहीं पाता। यदि डूबने से बचना चाहते हो तो प्रभु के भवसागर में डूब जाओ। उन्होंने श्रोताओं को भागवत कथा श्रवण करने से मिलने वाले फल के बारे में बताते हुए कहा कि भागवत में इसके पाच फल बताएं गए हैं। निर्भयता, निसंदेहता, हृदय में साक्षात प्रभु का प्रवेश, सविनय प्रभु का दर्शन और परम प्रेम। भागवत का जो श्रवण करते हैं उनके हाथ में मुक्ति आ जाती है वे मोक्ष के अधिकारी हो जाते हैं। भगवान ज्ञानी को तो एक मुक्ति देते हैं लेकिन भक्त को चार प्रकार की मुक्ति देते हैं। भागवत में लिखा है कि भक्ति मुक्ति प्रदायनम। इस मौके पर राजबबहादुर यादव, विजय यादव, राजनाथ सेठ समेत बड़ी संख्या में भक्त मौजूद थे।
बक्शा। भगवान की कथा सुनते समय मन कहीं और भटक रहा है तो ऐसी कथा सुनना नहीं सुनने के बराबर है। मनुष्य जीवन के महत्व को समझते हुए हमें प्रत्येक पल प्रभु भक्ति में लगाना चाहिए। परोपकार के कार्य, संतों का सत्संग तथा संतों की प्राप्ति दुर्लभ है। समय का सदुपयोग करना चाहिए। सच्चे संत हमें दिव्य ज्ञान, शिक्षा देकर जीवन को उत्कृष्ट एवं सही मार्ग में ले जाते हैं। संतो की कृपा से ही सच्चा सुख एवं शाति मिलती है। उक्त प्रवचन बक्शा विकास खंड के लेदुका बाजार स्थित मंदिर पर चल रही भागवत कथा के दौरान आचार्य प्रेम प्रकाश मिश्र ने कही। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन पाने के बाद यदि भागवत कथा नहीं सुनी तो उसका जीवन ही व्यर्थ है। जो मनुष्य भवसागर में डूबता है तो उसका निकल पाना मुश्किल होता है और वह बच नहीं पाता। यदि डूबने से बचना चाहते हो तो प्रभु के भवसागर में डूब जाओ। उन्होंने श्रोताओं को भागवत कथा श्रवण करने से मिलने वाले फल के बारे में बताते हुए कहा कि भागवत में इसके पाच फल बताएं गए हैं। निर्भयता, निसंदेहता, हृदय में साक्षात प्रभु का प्रवेश, सविनय प्रभु का दर्शन और परम प्रेम। भागवत का जो श्रवण करते हैं उनके हाथ में मुक्ति आ जाती है वे मोक्ष के अधिकारी हो जाते हैं। भगवान ज्ञानी को तो एक मुक्ति देते हैं लेकिन भक्त को चार प्रकार की मुक्ति देते हैं। भागवत में लिखा है कि भक्ति मुक्ति प्रदायनम। इस मौके पर राजबबहादुर यादव, विजय यादव, राजनाथ सेठ समेत बड़ी संख्या में भक्त मौजूद थे।