गाजीपुर। किशोरों और युवाओं में नशीली दवाओं के सेवन पर रोक लगाने के लिए सभी मेडिकल स्टोर पर सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य है, लेकिन हालत यह है कि विभागीय लापरवाही चलते अधिकांश दुकानों पर सरकार के इस निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है। जिले के थोक और फुटकर दवा की दुकानों को मिलाकर करीब 1700 मेडिकल स्टोर की दुकानों का पंजीकरण औषधि विभाग में है। जिसमें से सिर्फ 40 फीसदी दुकानें ही सीसीटीवी कैमरे की नजर में हैं।
युवा कई दवाओं का इस्तेमाल नशे के लिए करते हैं। ये आसानी से उपलब्ध होने की वजह से किशोरों और युवाओं को खूब लुभाते हैं। ऐसे में बगैर सीसीटीवी के दुकान इन दवाओं की खरीद के लिए किशोरों की पहली पसंद होते हैं। जबकि राज्य बाल संरक्षण आयोग की सिफारिश पर बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों के साथ ही दवा की दुकानों की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरा लगाए जाने का निर्देश है। लेकिन इसका शत प्रतिशत पालन कहीं भी नहीं हो पा रहा है। ऐसे में दवाओं की दुकानों पर आने वाले किशोरों सहित अन्य लोगों की सही तरीके से निगरानी नहीं हो पा रही है। विभाग द्वारा समय-समय पर छापा मारकर इस मामले में कार्रवाई की जाती है, लेकिन पूरी तरह अंकुश नहीं लग पाता है। विभागीय अधिकारियों की माने तो औषधि विभाग की ओर से भी सभी संचालकों को सीसीटीवी कैमरा लगवाने और साथ ही बिना चिकित्सक के पर्चे के किसी भी किशोर को दवा न देने के निर्देश दे दिए गए हैं।
जिले के थोक और फुटकर दवा की दुकानों को मिलाकर करीब 1700 मेडिकल स्टोर की दुकानों का पंजीकरण औषधि विभाग में इस समय है। जिसमें लगभग 40 फीसदी जगहों पर कैमरा लगाने की जानकारी विभाग को मिल पाई है। इसमें भी शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में सीसीटीवी कैमरा से लैस मेडिकल स्टोर की संख्या बहुत कम है।
अजीत कुमार मिश्र, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन
ग्रामीण क्षेत्रों की मेडिकल दुकानों में नहीं हो पा रहा नियमों का पालन
मौधा। सरकार का निर्देश है कि मेडिकल स्टोर की दुकानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जांच समय-समय पर की जाए, ताकि बच्चों और किशोरों को नशीली दवाओं से दूर रखा जा सके। जबकि हालत यह है कि क्षेत्र के अनौनी, खानपुर और मौधा सहित लगभग सभी बाजारों में स्थित अधिकांश मेडिकल की दुकानों में सरकारी नियमों और कानूनों का पालन नहीं हो पा रहा है।
गाजीपुर। किशोरों और युवाओं में नशीली दवाओं के सेवन पर रोक लगाने के लिए सभी मेडिकल स्टोर पर सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य है, लेकिन हालत यह है कि विभागीय लापरवाही चलते अधिकांश दुकानों पर सरकार के इस निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है। जिले के थोक और फुटकर दवा की दुकानों को मिलाकर करीब 1700 मेडिकल स्टोर की दुकानों का पंजीकरण औषधि विभाग में है। जिसमें से सिर्फ 40 फीसदी दुकानें ही सीसीटीवी कैमरे की नजर में हैं।
युवा कई दवाओं का इस्तेमाल नशे के लिए करते हैं। ये आसानी से उपलब्ध होने की वजह से किशोरों और युवाओं को खूब लुभाते हैं। ऐसे में बगैर सीसीटीवी के दुकान इन दवाओं की खरीद के लिए किशोरों की पहली पसंद होते हैं। जबकि राज्य बाल संरक्षण आयोग की सिफारिश पर बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों के साथ ही दवा की दुकानों की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरा लगाए जाने का निर्देश है। लेकिन इसका शत प्रतिशत पालन कहीं भी नहीं हो पा रहा है। ऐसे में दवाओं की दुकानों पर आने वाले किशोरों सहित अन्य लोगों की सही तरीके से निगरानी नहीं हो पा रही है। विभाग द्वारा समय-समय पर छापा मारकर इस मामले में कार्रवाई की जाती है, लेकिन पूरी तरह अंकुश नहीं लग पाता है। विभागीय अधिकारियों की माने तो औषधि विभाग की ओर से भी सभी संचालकों को सीसीटीवी कैमरा लगवाने और साथ ही बिना चिकित्सक के पर्चे के किसी भी किशोर को दवा न देने के निर्देश दे दिए गए हैं।
जिले के थोक और फुटकर दवा की दुकानों को मिलाकर करीब 1700 मेडिकल स्टोर की दुकानों का पंजीकरण औषधि विभाग में इस समय है। जिसमें लगभग 40 फीसदी जगहों पर कैमरा लगाने की जानकारी विभाग को मिल पाई है। इसमें भी शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में सीसीटीवी कैमरा से लैस मेडिकल स्टोर की संख्या बहुत कम है।
अजीत कुमार मिश्र, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन
ग्रामीण क्षेत्रों की मेडिकल दुकानों में नहीं हो पा रहा नियमों का पालन
मौधा। सरकार का निर्देश है कि मेडिकल स्टोर की दुकानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जांच समय-समय पर की जाए, ताकि बच्चों और किशोरों को नशीली दवाओं से दूर रखा जा सके। जबकि हालत यह है कि क्षेत्र के अनौनी, खानपुर और मौधा सहित लगभग सभी बाजारों में स्थित अधिकांश मेडिकल की दुकानों में सरकारी नियमों और कानूनों का पालन नहीं हो पा रहा है।