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ग्राउंड रिपोर्ट: बाघ-तेंदुओं ने 15 मारे, छुट्टा पशुओं ने 40 से अधिक इंसानों की ली जान, भयावह हैं यह आंकड़े
शशांक वर्मा, अमर उजाला बरेली
Published by: मुकेश कुमार
Updated Mon, 06 Feb 2023 05:01 PM IST
सार
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मानव-वन्यजीव संघर्ष से किसानों और आवारा पशुओं का टकराव बड़ा है। इससे जानमाल के नुकसान के साथ कानून व्यवस्था भी बिगड़ रही है। पीलीभीत लखीमपुर खीरी समेत चार जिलों में वर्ष 2022 के आंकड़े चौंकाने वाले हैं।
छुट्टा पशु ने किसान को मार डाला..., फसलें चर गए...। साल में करीब 300 दिन इस तरह की खबरें अखबार में जरूर दिख जाएंगी। पशुओं और इंसानों के बीच हो रहा टकराव जंगल किनारे बसे गांवों में मानव-वन्यजीव संघर्ष से बड़ा है। वर्ष 2022 में लखीमपुर खीरी और पीलीभीत में टाइगर रिजर्व से सटे इलाकों में बाघों और तेंदुओं ने 15 लोगों को मारा। जबकि शाहजहांपुर, बदायूं, पीलीभीत और खीरी में छुट्टा पशुओं के हमले में 40 से ज्यादा लोगों की जानें गईं।
निराश्रित पशुओं के संरक्षण के लिए सरकार ने गोआश्रय स्थल निर्माण का जो प्लान बनाया, उसे जैसे-तैसे पूरा किया जा रहा है। कुप्रबंधन पशुओं और इंसानों पर भारी पड़ रहा है। शाहजहांपुर में वर्ष 2019 की पशुगणना में करीब 12000 घुमंतू पशु पाए गए थे। वर्तमान में कुल 49 गोआश्रय स्थलों में महज 4000 पशु हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि शेष पशु कहां होंगे। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ) डॉ. जय प्रकाश सिंह ने बताया कि 700 छुट्टा पशुओं को पकड़कर आश्रय स्थलों में भेजा गया। संरक्षण केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
बर्बरता : बदायूं के जरीफनगर क्षेत्र में ग्रामीणों ने एक छुट्टा पशु को भाला मारकर घायल कर दिया था। बाद में उसने दम तोड़ दिया। इस पर कई अज्ञात लोगों पर रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई। कुछ दिन पहले मूसाझाग के गांव भगौतीपुर में छुट्टा पशु के शरीर में नुकीली सरिया घुसा दी गई। तीन लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई है।
टकराव : शाहजहांपुर में 20 दिसंबर को कई गांव के लोगों ने 100 से अधिक जानवरों को ब्लॉक में बंद कर दिया था। किसान और पुलिस आमने-सामने आ गए। करीब 30 से 40 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। बदायूं के वजीरगंज क्षेत्र में छुट्टा पशुओं को लेकर एक युवक को गोली मार दी गई।
पीलीभीत में सड़कों पर हैं 1700 आवारा पशु
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार पीलीभीत में 1700 आवारा पशु सड़कों पर हैं। हकीकत में 2500 से ज्यादा पशु लोगों के लिए खतरा बने हैं। वर्ष 2022 में यहां सांड़ के हमले में छह लोगों की जानें गईं। वहीं खीरी के सीवीओ सोमदेव चौहान के अनुसार निराश्रित पशुओं की संख्या 2567 है। वास्तविक आंकड़ा इससे पांच गुना से ज्यादा है। बीते साल यहां छुट्टा पशुओं के हमलों में 11 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। 50 से ज्यादा लोग घायल हुए।
शाहजहांपुर और बदायूं में स्थिति ज्यादा भयावह है। शाहजहांपुर में कलान ब्लॉक के गांव दमुलिया निवासी सुनील ने बताया कि उनके पिता भंवरपाल 18 दिसंबर को फसल की रखवाली कर रहे थे। खेत में घुसे सांड़ को भगाने गए तो उसने उठाकर पटक दिया, जिससे उनकी जान चली गई। बंडा में महिपाल (28), जैतीपुर में शिवकुमार (12) निराश्रित गोवंश के हमले में मारे गए। 12 से ज्यादा लोगों ने यहां दम तोड़ा।
बदायूं में छुट्टा पशुओं को लेकर भिड़ चुके हैं लोग
बदायूं में छुट्टा पशुओं को लेकर कई बार लोग आमने-सामने चुके हैं। गुलड़िया, कछला और हजरतपुर इलाके में पुलिस को पहुंचकर हस्तक्षेप करना पड़ा। कई लोगों को मुचलका पाबंद किया और दो लोगों को शांति भंग में चालान हुआ। बिल्सी में चिमन लाल शर्मा, राकेश, उझानी में चिकित्सक महेश चंद्र गुप्ता, मूसाझाग में विष्णु सागर, रामऔतार, कुंवरगाव में शिवकुमार साड़ के हमले दर्दनाक मौत हुई। जिले में 12 से ज्यादा लोगों मौत हो चुकी है।
बदायूं के गांव कथरा खगई निवासी दीपक
खड़े हो गए थे रोंगटे
बदायूं के गांव कथरा खगई निवासी दीपक ने बताया कि मेरे पिता रामऔतार तीन जुलाई 22 को खेत की रखवाली करने गए थे। सांड़ ने उन्हें अपनी सींगों पर रखकर पटक दिया। गांव वालों ने मुझे सूचना दी। हम सब दौड़कर खेत की ओर भागे। वहां पिता को घायल देख रोंगटे खड़े हो गए। अस्पताल ले जाते समय उन्होंने दम तोड़ दिया। हम असहनीय पीड़ा से गुजरे। अफसोस कि आज तक इन पशुओं को नियंत्रित करने को कुछ नहीं हुआ।
शाहजहांपुर के गांव कुंडरा निवासी शिवपाल
नीरस हो गई जिंदगी
शाहजहांपुर के गांव कुंडरा निवासी शिवपाल ने बताया कि मेरे साथ खेतों की रखवाली करते समय पत्नी रानी देवी को सांड़ ने मार डाला। उनके जाने के बाद जिंदगी नीरस हो गई। तीन बेटे हैं, जो अलग रहते हैं। 12 साल की बिटिया के साथ रहता हूं। सोचा था कि इसके हाथ पीले करने के बाद जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाऊंगा। असमय पत्नी चलीं गईं। अब खेत में रहता हूं तो घर की चिंता रहती है। खाना बनाने का संकट रहता है। पत्नी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक अभी नहीं मिली।
पीलीभीत के गांव राझे निवासी दायशंकर
छुट्टा पशुओं से नहीं मिली मुक्ति
पीलीभीत के गांव राझे निवासी दायशंकर ने कहा कि पिता हीरा लाल (80) 21 अगस्त 22 को घर के बाहर चारपाई पर सो रहे थे। तड़के चार बजे लघुशंका को उठे। इसी दौरान सांड़ ने उन पर हमला बोल दिया। उनकी चीखपुकार सुनकर घर वाले बाहर निकले तो सांड़ ने उन्हें सींगों से उठा-उठाकर पटक रहा था। लाठी-डंडों से उसे भगाया। घायल पिता को अस्पताल ले गए पर वह बच न सके। विधायक शोक व्यक्त करने जरूर आए। लेकिन पशुओं के आतंक से किसी ने मुक्ति न दिलाई।
इनकी गई जान
बदायूं
जितेंद्र, मोहम्मद उमर, चिमन लाल शर्मा, विजय सिंह, महेश चंद्र गुप्ता, विष्णु सागर, मुन्नी देवी, राकेश, शिवकुमार, रामऔतार, श्रीराम, रतिराम, मुकेश।
लखीमपुर खीरी
अरुण कुमार मिश्र, भभूती प्रसाद, रमेश, रामकुमार, शिवनंदन, खुशीराम, छोटे लाल, विदेशपाल, बालक राम, सियाराम, अनंतराम मिश्र
बाघ-तेंदुए के हमले में मौत लखीमपुर में 14, पीलीभीत में एक
छुट्टा पशुओं के हमले में मौत
लखीमपुर में 11, पीलीभीत में 06, शाहजहांपुर 12 से ज्यादा, बदायूं में 12 से ज्यादा
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