चुनाव में भले ही सभी पार्टियां आधी आबादी के लिए खूब वादें करती हों, लेकिन उन पर चुनावी मैदान में उतारने के लिए भरोसा नहीं जता रही हैं। बागपत का चुनावी इतिहास कुछ ऐसा ही बयां करता है। यहां सभी प्रमुख पार्टियां महिलाओं को प्रत्याशी बनाने से हिचकती रही हैं। यहां दो बार महिलाएं चुनावी मैदान में उतरी और वे पहली ही बार में विधायक बनीं।
यहां सबसे पहले छपरौली सीट से वर्ष 1980 में सरोज देवी चुनाव लड़कर विधायक बनी थीं। इसके बाद बागपत विधानसभा सीट से वर्ष 2012 में बसपा ने हेमलता चौधरी को प्रत्याशी बनाया। वह नवाब कोकब हमीद को हराकर विधायक बनी थीं। इसके बाद भी बड़ी पार्टियां महिलाओं पर भरोसा नहीं जता रही हैं। इस बार किसी पार्टी ने अभी तक महिलाओं को टिकट नहीं दिया है।
4 लाख 25 हजार 474 महिला मतदाता
यहां जिले की तीनों सीटों पर 4 लाख 25 हजार 474 महिला मतदाता हैं। इनमें सबसे ज्यादा छपरौली विधानसभा सीट पर हैं। छपरौली विधानसभा सीट पर 1 लाख 48 हजार 619, बड़ौत विधानसभा सीट पर 1 लाख 34 हजार 998 तथा बागपत सीट पर 1 लाख 41 हजार 857 महिला मतदाता हैं।
महिला शक्ति को बढ़ावा मिलेगा
महिलाओं को राजनीति व टिकट में भागीदारी मिलनी चाहिए। इससे महिला शक्ति को बढ़ावा मिलेगा। वे राजनीति में आकर महिला उत्थान समेत उनकी बेहतरी के लिए काफी कार्य कर सकेंगी।-ममता यादव
महिलाओं को राजनीति में आगे लाएं
महिला ही महिलाओं की समस्याओं को बेहतर तरीके समझ सकती है। महिलाओं को राजनीति में आगे लाना चाहिए। इस पर सभी पार्टियों को ध्यान देना चाहिए। जिससे महिला जनप्रतिनिधि बनकर बेहतर कार्य कर सकें।-नेहा शर्मा
चुनाव में उतारा जाए
जब महिला देश की प्रधानमंत्री बन सकती है तो अब भी महिलाओं को राजनीति में आगे लाने के लिए चुनाव में उतारा जाना चाहिए। क्योंकि जब महिलाएं जनप्रतिनिधि होंगी तो वह महिलाओं के लिए बेहतर कार्य करेगी। शालू
ज्यादा से ज्यादा टिकट दें
महिलाएं सभी क्षेत्र में देश के लिए कार्य कर रही हैं। ऐसेे में राजनीतिक क्षेत्र में भी कदम बढ़ाना चाहिए। इसके लिए राजनीतिक दलों को भी ध्यान रखना चाहिए कि हर चुनाव में महिलाओं के लिए ज्यादा से ज्यादा टिकट तय किए जाए।-बबीता चौधरी
विस्तार
चुनाव में भले ही सभी पार्टियां आधी आबादी के लिए खूब वादें करती हों, लेकिन उन पर चुनावी मैदान में उतारने के लिए भरोसा नहीं जता रही हैं। बागपत का चुनावी इतिहास कुछ ऐसा ही बयां करता है। यहां सभी प्रमुख पार्टियां महिलाओं को प्रत्याशी बनाने से हिचकती रही हैं। यहां दो बार महिलाएं चुनावी मैदान में उतरी और वे पहली ही बार में विधायक बनीं।
यहां सबसे पहले छपरौली सीट से वर्ष 1980 में सरोज देवी चुनाव लड़कर विधायक बनी थीं। इसके बाद बागपत विधानसभा सीट से वर्ष 2012 में बसपा ने हेमलता चौधरी को प्रत्याशी बनाया। वह नवाब कोकब हमीद को हराकर विधायक बनी थीं। इसके बाद भी बड़ी पार्टियां महिलाओं पर भरोसा नहीं जता रही हैं। इस बार किसी पार्टी ने अभी तक महिलाओं को टिकट नहीं दिया है।
4 लाख 25 हजार 474 महिला मतदाता
यहां जिले की तीनों सीटों पर 4 लाख 25 हजार 474 महिला मतदाता हैं। इनमें सबसे ज्यादा छपरौली विधानसभा सीट पर हैं। छपरौली विधानसभा सीट पर 1 लाख 48 हजार 619, बड़ौत विधानसभा सीट पर 1 लाख 34 हजार 998 तथा बागपत सीट पर 1 लाख 41 हजार 857 महिला मतदाता हैं।