लखनऊ। बलभद्र और सुभद्रा के साथ भगवान जगन्नाथ बुधवार सुबह से नगर भ्रमण पर निकले। आसमान में उड़ते पीले-गुलाबी फूल, हरे रामा हरे कृष्णा की जयकार और बरसते मेघों में भीगते हुए नंगे पैर रथ को खींचता भक्तों का रेला सुबह से लेकर शाम तक दिखा। शहर में 6 जगहों से निकली रथयात्राओं की शोभा उनके आगे-पीछे चल रहे सजे-धजे 125 से अधिक रथों-झांकियों ने बढ़ाई। रथ यात्राओं ने भक्तों के साथ राजधानी में लगभग 35 किलोमीटर की यात्रा की। डालीगंज के माधव मंदिर से रथ यात्राओं के निकलने का सिलसिला शुरु हुआ, जो देर रात अमीनाबाद मारवाड़ी वाली गली मंदिर में रथ यात्रा पहुंचने केबाद ही थमा। आषाढ़ कृष्ण पक्ष द्वितीया पर नगर में गुडंबा, चौपटिया, अमीनाबाद मारवाड़ी गली, मोतीनगर गौड़ीय मठ और ऐशबाग से रथ यात्रओं में सवार हो भगवान जगन्नाथ भक्तों को आशीष देने उन तक पहुंचे। भक्तों को रास्ते में चना, मूंग, मोठ की अंकुरित दालों के अलावा जामुन, पंचमेवा, बूंदी और कढ़ी चावल का महाभोग बंटा।
संतों संग भगवान ने की सवारी
डालीगंज के माधव मंदिर से नगर की सबसे पहली रथ यात्रा निकली। यहां लगभग एक कुंतल फूलों की लड़ियों से सजे मुख्य रथ में भगवान की तीनों प्रतिमाएं विराजी थीं। साथ चल रहे पांच अन्य रथों में 5 संत मनकामनेश्वर मन्दिर की महंत देव्या गिरी, नैमिषारण्य, अन्नपूर्णा मंदिर के महंत राम भजन दास, हनुमंतगणी के महंत और पुराने हनुमान मन्दिर के महंत भी मौजूद रहे। रास्ते में इस्कान मंडली ने कीर्तन किया और मास्टर पवन ने राधाकृष्ण के तमाम भजन सुनाये।
चौक से निकल कुड़ियाघाट पहुंचे भगवान
चौक के बड़ी काली मंदिर से भगवान जगन्नाथ की दूसरी यात्रा दोपहर दो बजे के बाद निकली। यात्रा में 3 अलग-अलग रथों पर जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र सवार हुए। जिन्हें खींचते हुये भक्त बड़ी काली जी मंदिर से होते हुये माली खां सराय, चौपटिया, अकबरी गेट, गोल दरवाजा, चौक, नींबू पार्क से कुड़ियाघाट तक पहुंचे। चंदन की लकड़ी के बने सौ साल से अधिक की प्रतिमा को पूजने केबाद जामुन और कढ़ी-चावल का भोग दिन भर बंटा।
गौड़ीय मठ से निकली रथ यात्रा
मोतीनगर के गौड़ीय मठ से शाम 4 बजे के बाद भगवान की रथ यात्रा निकली। गाजे-बाजे के साथ निकली रथ यात्रा का आकर्षण विशालकाय रथ ने चुराया। गाजे-बाजे के बीच यात्रा नाका हिंडोला, गुरुद्वारा, अमीनाबाद, आर्यानगर समेत आसपास केतमाम इलकों से होते हुये वापस गौड़ीय मठ पहुंची।
45 झांकियों संग भगवान ने किया भ्रमण
ऐशबाग की मास्टर कन्हैयालाल रोड से भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकली। ऐशबाग जगन्नाथ रथ सेवा समिति की ओर से निकली रथ यात्रा में मुख्य रथ पर भगवान विराजे। जिसे भक्तों ने रस्सों से खींचा। रथ के आगे-पीछे 45 झांकियां भी आगे-पीछे ही चलीं। यात्रा में 10 ऊंट, 12 घोड़े और दो बैंड बाजों ने भी धूम मचाई। गाजे-बाजे से निकली यात्रा मास्टर कन्हैया लाल रोड से टिकैतगंज, नेहरू क्रास, रकाबगंज चौराहा, अहियागंज, कोयला मंडी, बाबूलाल चौराहा, वाटर वर्क्स रोड पीली कालोनी होते हुये रात करीब 9 बजे के बाद वापस पहुंची।
पहली बार कुर्सी रोड से निकली यात्रा
ट्रंासगोमती क्षेत्र में कुर्सी रोड से पहली बार भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण के लिये रथ पर सवार होकर निकले। दोपहर बाद जेनेसिस क्लब के पास स्थित हनुमान मंदिर से निकली यात्रा 10 रथों झांकियों के साथ निकली।
लखनऊ। बलभद्र और सुभद्रा के साथ भगवान जगन्नाथ बुधवार सुबह से नगर भ्रमण पर निकले। आसमान में उड़ते पीले-गुलाबी फूल, हरे रामा हरे कृष्णा की जयकार और बरसते मेघों में भीगते हुए नंगे पैर रथ को खींचता भक्तों का रेला सुबह से लेकर शाम तक दिखा। शहर में 6 जगहों से निकली रथयात्राओं की शोभा उनके आगे-पीछे चल रहे सजे-धजे 125 से अधिक रथों-झांकियों ने बढ़ाई। रथ यात्राओं ने भक्तों के साथ राजधानी में लगभग 35 किलोमीटर की यात्रा की। डालीगंज के माधव मंदिर से रथ यात्राओं के निकलने का सिलसिला शुरु हुआ, जो देर रात अमीनाबाद मारवाड़ी वाली गली मंदिर में रथ यात्रा पहुंचने केबाद ही थमा। आषाढ़ कृष्ण पक्ष द्वितीया पर नगर में गुडंबा, चौपटिया, अमीनाबाद मारवाड़ी गली, मोतीनगर गौड़ीय मठ और ऐशबाग से रथ यात्रओं में सवार हो भगवान जगन्नाथ भक्तों को आशीष देने उन तक पहुंचे। भक्तों को रास्ते में चना, मूंग, मोठ की अंकुरित दालों के अलावा जामुन, पंचमेवा, बूंदी और कढ़ी चावल का महाभोग बंटा।
संतों संग भगवान ने की सवारी
डालीगंज के माधव मंदिर से नगर की सबसे पहली रथ यात्रा निकली। यहां लगभग एक कुंतल फूलों की लड़ियों से सजे मुख्य रथ में भगवान की तीनों प्रतिमाएं विराजी थीं। साथ चल रहे पांच अन्य रथों में 5 संत मनकामनेश्वर मन्दिर की महंत देव्या गिरी, नैमिषारण्य, अन्नपूर्णा मंदिर के महंत राम भजन दास, हनुमंतगणी के महंत और पुराने हनुमान मन्दिर के महंत भी मौजूद रहे। रास्ते में इस्कान मंडली ने कीर्तन किया और मास्टर पवन ने राधाकृष्ण के तमाम भजन सुनाये।
चौक से निकल कुड़ियाघाट पहुंचे भगवान
चौक के बड़ी काली मंदिर से भगवान जगन्नाथ की दूसरी यात्रा दोपहर दो बजे के बाद निकली। यात्रा में 3 अलग-अलग रथों पर जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र सवार हुए। जिन्हें खींचते हुये भक्त बड़ी काली जी मंदिर से होते हुये माली खां सराय, चौपटिया, अकबरी गेट, गोल दरवाजा, चौक, नींबू पार्क से कुड़ियाघाट तक पहुंचे। चंदन की लकड़ी के बने सौ साल से अधिक की प्रतिमा को पूजने केबाद जामुन और कढ़ी-चावल का भोग दिन भर बंटा।
गौड़ीय मठ से निकली रथ यात्रा
मोतीनगर के गौड़ीय मठ से शाम 4 बजे के बाद भगवान की रथ यात्रा निकली। गाजे-बाजे के साथ निकली रथ यात्रा का आकर्षण विशालकाय रथ ने चुराया। गाजे-बाजे के बीच यात्रा नाका हिंडोला, गुरुद्वारा, अमीनाबाद, आर्यानगर समेत आसपास केतमाम इलकों से होते हुये वापस गौड़ीय मठ पहुंची।
45 झांकियों संग भगवान ने किया भ्रमण
ऐशबाग की मास्टर कन्हैयालाल रोड से भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकली। ऐशबाग जगन्नाथ रथ सेवा समिति की ओर से निकली रथ यात्रा में मुख्य रथ पर भगवान विराजे। जिसे भक्तों ने रस्सों से खींचा। रथ के आगे-पीछे 45 झांकियां भी आगे-पीछे ही चलीं। यात्रा में 10 ऊंट, 12 घोड़े और दो बैंड बाजों ने भी धूम मचाई। गाजे-बाजे से निकली यात्रा मास्टर कन्हैया लाल रोड से टिकैतगंज, नेहरू क्रास, रकाबगंज चौराहा, अहियागंज, कोयला मंडी, बाबूलाल चौराहा, वाटर वर्क्स रोड पीली कालोनी होते हुये रात करीब 9 बजे के बाद वापस पहुंची।
पहली बार कुर्सी रोड से निकली यात्रा
ट्रंासगोमती क्षेत्र में कुर्सी रोड से पहली बार भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण के लिये रथ पर सवार होकर निकले। दोपहर बाद जेनेसिस क्लब के पास स्थित हनुमान मंदिर से निकली यात्रा 10 रथों झांकियों के साथ निकली।