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पराली और फलों के मिश्रण से पशुओं के लिए पौष्टिक आहार बनेगा। पराली को लेकर कृषि विवि में किए गए शोध को लेकर कई खुलासे हुए हैं। पराली का गाय और भैंस के लिए अच्छा पौष्टिक आहार तैयार किया जा सकता है। सेब, स्ट्राबैरी या अन्य सिट्रक फलों के व्यर्थ पदार्थ को पराली में मिलाया जाए तो अच्छा पौष्टिक आहार बन सकता है। यही नहीं पराली से खाद भी बनाई जा सकती है। इससे फसलों का उत्पादन भी बढ़ता है।
विवि के कुलपति प्रो. एचके चौधरी ने कहा कि धान की पराली से खाद तैयार करने में करीब 45 दिन लगते हैं। यह खाद फसल की उपज को चार से नौ प्रतिशत तक बढ़ा देती है। इसका उपयोग केंचुआ संस्कृति को जोड़कर वर्मी कंपोस्ट तैयार करने में भी किया जाता है। उन्होंने बताया कि धान के पराली को कुटीर उद्योग इकाइयों की संख्या के लिए कच्चे माल के स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
कृषि विवि ने पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसानों को हिमाचल के किसानों के स्ट्रॉ मैनेजमेंट मॉडल को अपनाने के लिए प्रेरित किया है, ताकि वे इसे कुशलता से उपयोग कर सकें और पर्यावरण को बचा सकें। कुलपति ने माना कि वैज्ञानिकों से पता चलता है कि पराली के साथ फलों का मिश्रण कर पशुओं के पौष्टिक आहार भी तैयार किया जा सकता है।
पराली और फलों के मिश्रण से पशुओं के लिए पौष्टिक आहार बनेगा। पराली को लेकर कृषि विवि में किए गए शोध को लेकर कई खुलासे हुए हैं। पराली का गाय और भैंस के लिए अच्छा पौष्टिक आहार तैयार किया जा सकता है। सेब, स्ट्राबैरी या अन्य सिट्रक फलों के व्यर्थ पदार्थ को पराली में मिलाया जाए तो अच्छा पौष्टिक आहार बन सकता है। यही नहीं पराली से खाद भी बनाई जा सकती है। इससे फसलों का उत्पादन भी बढ़ता है।
विवि के कुलपति प्रो. एचके चौधरी ने कहा कि धान की पराली से खाद तैयार करने में करीब 45 दिन लगते हैं। यह खाद फसल की उपज को चार से नौ प्रतिशत तक बढ़ा देती है। इसका उपयोग केंचुआ संस्कृति को जोड़कर वर्मी कंपोस्ट तैयार करने में भी किया जाता है। उन्होंने बताया कि धान के पराली को कुटीर उद्योग इकाइयों की संख्या के लिए कच्चे माल के स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
कृषि विवि ने पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसानों को हिमाचल के किसानों के स्ट्रॉ मैनेजमेंट मॉडल को अपनाने के लिए प्रेरित किया है, ताकि वे इसे कुशलता से उपयोग कर सकें और पर्यावरण को बचा सकें। कुलपति ने माना कि वैज्ञानिकों से पता चलता है कि पराली के साथ फलों का मिश्रण कर पशुओं के पौष्टिक आहार भी तैयार किया जा सकता है।