हिमाचल प्रदेश में अब विकास में जन सहयोग योजना में सोलर स्ट्रीट लाइटें भी लगाई जा सकेंगी। राज्य के योजना विभाग ने सभी उपायुक्तों को आदेश जारी किए हैं। अभी तक योजना में सड़कें, पक्के रास्ते, सामुदायिक भवन, आधारभूत ढांचा तैयार करने के काम ही शामिल थे। अब यह नया काम भी शामिल किया गया है। इसके लिए 25 या 30 फीसदी पैसा जनता को देना होगा, जबकि बाकी सरकार वहन करेगी।
सरकार के योजना विभाग ने विकास में जन सहयोग योजना के तहत संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं। योजना विभाग की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार विकास में जन सहयोग कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए समय-समय पर आए जन प्रतिनिधियों के सुझावों और बदले परिवेश में व्यवहारिकता को देखते हुए सरकार ने विकास में जनसहयोग कार्यक्रम के दिशा-निर्देश 2017 में सोलन लाइट लगाने का प्रावधान करने का निर्णय लिया है।
बरसात में क्षतिग्रस्त सड़कें सुधारने को कम पड़ा बजट, सीएम कार्यालय के आदेश तक लंबित
उपायुक्तों के पास विकास में जनसहयोग योजना के तहत बजट की ज्यादा कमी नहीं है, क्योंकि इसमें जनता का शेयर जमा होने के बाद ही काम शुरू होता है। विकेंद्रीयकृत योजना और एसडीआरएफ के बजट को मंजूर करने के लिए तो एक अनार सौ बीमार की स्थिति बनी हुई है।
एसडीआरएफ का बजट जहां कोविड से संबंधित गतिविधियों में खर्च करने से कम पड़ रहा है, वहीं विकेंद्रीयकृत योजना के पैसे पर विधायकों, अन्य स्थानीय नेताओं का भी बहुत दबाव है। इससे बरसात में टूटे पंचायत के संपर्क मार्गों के लिए भी पर्याप्त पैसा नहीं है। मुख्यमंत्री कार्यालय से उपायुक्तों को इस संबंध में जारी चिट्ठियां भी महीनों से लंबित हैं। ग्राम पंचायतों के साधारण प्रस्तावों पर गौर करना तो दूर की बात है। ऐसे में विकास में जनसहयोग योजना एक अच्छा विकल्प है।
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हिमाचल प्रदेश में अब विकास में जन सहयोग योजना में सोलर स्ट्रीट लाइटें भी लगाई जा सकेंगी। राज्य के योजना विभाग ने सभी उपायुक्तों को आदेश जारी किए हैं। अभी तक योजना में सड़कें, पक्के रास्ते, सामुदायिक भवन, आधारभूत ढांचा तैयार करने के काम ही शामिल थे। अब यह नया काम भी शामिल किया गया है। इसके लिए 25 या 30 फीसदी पैसा जनता को देना होगा, जबकि बाकी सरकार वहन करेगी।
सरकार के योजना विभाग ने विकास में जन सहयोग योजना के तहत संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं। योजना विभाग की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार विकास में जन सहयोग कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए समय-समय पर आए जन प्रतिनिधियों के सुझावों और बदले परिवेश में व्यवहारिकता को देखते हुए सरकार ने विकास में जनसहयोग कार्यक्रम के दिशा-निर्देश 2017 में सोलन लाइट लगाने का प्रावधान करने का निर्णय लिया है।
बरसात में क्षतिग्रस्त सड़कें सुधारने को कम पड़ा बजट, सीएम कार्यालय के आदेश तक लंबित
उपायुक्तों के पास विकास में जनसहयोग योजना के तहत बजट की ज्यादा कमी नहीं है, क्योंकि इसमें जनता का शेयर जमा होने के बाद ही काम शुरू होता है। विकेंद्रीयकृत योजना और एसडीआरएफ के बजट को मंजूर करने के लिए तो एक अनार सौ बीमार की स्थिति बनी हुई है।
एसडीआरएफ का बजट जहां कोविड से संबंधित गतिविधियों में खर्च करने से कम पड़ रहा है, वहीं विकेंद्रीयकृत योजना के पैसे पर विधायकों, अन्य स्थानीय नेताओं का भी बहुत दबाव है। इससे बरसात में टूटे पंचायत के संपर्क मार्गों के लिए भी पर्याप्त पैसा नहीं है। मुख्यमंत्री कार्यालय से उपायुक्तों को इस संबंध में जारी चिट्ठियां भी महीनों से लंबित हैं। ग्राम पंचायतों के साधारण प्रस्तावों पर गौर करना तो दूर की बात है। ऐसे में विकास में जनसहयोग योजना एक अच्छा विकल्प है।