हिमाचल में वर्मिन घोषित किए जाने के बावजूद अभी तक एक भी उत्पाती बंदर को न मारने पर राज्य सरकार को नियमों में बदलाव करना पड़ा है। बंदर मारने वाले को अब वन विभाग को सूचना नहीं देनी पड़ेगी।
बंदर को मारकर उसका फोटो खींचना होगा और इसकी सूचना स्थानीय पंचायत प्रधान को देनी होगी। पंचायत प्रधान वन विभाग को इसकी सूचना देगा और बंदर मारने वाले को 500 रुपये पुरस्कार मिल जाएगा। प्रधान सचिव वन तरुण कपूर ने इसकी पुष्टि की है।
उल्लेखनीय है कि पहले बंदर मारने की सूचना वन विभाग को देनी होती थी। बंदर का डॉक्टरी निरीक्षण जरूरी था। अशक्त, बूढे़ और छोटी उम्र के बंदरों को नहीं मारा जा सकता था। हालांकि, ऐसे बंदरों को अब भी नहीं मारा जा सकता।
लेकिन अब बंदर मारने और डिस्पोज ऑफ करने के बाद पंचायत प्रधान को ही इसकी सूचना देनी होगी। उधर, सरकार ने शिमला में बंदरों को मारने की अवधि भी बढ़ा दी है। अब इसे बढ़ाकर 24 मई कर दिया गया है।
प्रदेश के अन्य अधिसूचित क्षेत्रों में बंदरों को मारने की अवधि पहले से ही इस तारीख तक है।
हिमाचल में वर्मिन घोषित किए जाने के बावजूद अभी तक एक भी उत्पाती बंदर को न मारने पर राज्य सरकार को नियमों में बदलाव करना पड़ा है। बंदर मारने वाले को अब वन विभाग को सूचना नहीं देनी पड़ेगी।
बंदर को मारकर उसका फोटो खींचना होगा और इसकी सूचना स्थानीय पंचायत प्रधान को देनी होगी। पंचायत प्रधान वन विभाग को इसकी सूचना देगा और बंदर मारने वाले को 500 रुपये पुरस्कार मिल जाएगा। प्रधान सचिव वन तरुण कपूर ने इसकी पुष्टि की है।
उल्लेखनीय है कि पहले बंदर मारने की सूचना वन विभाग को देनी होती थी। बंदर का डॉक्टरी निरीक्षण जरूरी था। अशक्त, बूढे़ और छोटी उम्र के बंदरों को नहीं मारा जा सकता था। हालांकि, ऐसे बंदरों को अब भी नहीं मारा जा सकता।
लेकिन अब बंदर मारने और डिस्पोज ऑफ करने के बाद पंचायत प्रधान को ही इसकी सूचना देनी होगी। उधर, सरकार ने शिमला में बंदरों को मारने की अवधि भी बढ़ा दी है। अब इसे बढ़ाकर 24 मई कर दिया गया है।
प्रदेश के अन्य अधिसूचित क्षेत्रों में बंदरों को मारने की अवधि पहले से ही इस तारीख तक है।