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कर्फ्यू के चलते पंजाब में फंसे लगभग 300 एनआरआई को शनिवार को लुधियाना से दिल्ली एयरपोर्ट के लिए रवाना किया गया। इसके लिए ऑस्ट्रेलिया और अमेरिकी दूतावास ने बसों का इंतजाम किया था। इन दूतावासों से प्रतिनिधि खुद इन्हें लेने के लिए लुधियाना पहुंचे थे। हालांकि एनआरआई को बस में बैठने की होड़ के कारण सामाजिक दूरी की खूब धज्जियां उड़ी।
लॉकडाउन के चलते पंजाब आए कई विदेशी यहां फंस गए थे। पंजाब के विभिन्न हिस्सों में बैठे इन विदेशियों को शनिवार लुधियाना पहुंचने के लिए कहा गया था। ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए लगभग 50 विदेशी पहुंचे थे, जिनके लिए दो बसों का इंतजाम किया गया। अमेरिका से लगभग 250 लोग यहां पहुंचे थे। इनके लिए दूतावास की तरफ से सात बसों का इंतजाम किया गया था।
शनिवार सुबह से लुधियाना के भाईवाला चौक पर तांता लगा हुआ था। क्योंकि इन विदेशी मेहमानों को छोड़ने के लिए कई लोग भी आए हुए थे। इस दौरान सामाजिक दूरी की तरफ किसी ने ध्यान तक नहीं दिया। दोपहर लगभग तीन बजे पहले ऑस्ट्रेलिया जाने वाली दो बसों को रवाना किया गया। यूएस जाने वालों की संख्या ज्यादा होने के कारण दूतावास अधिकारियों को उनके दस्तावेज चेक करने में मशक्कत करनी पड़ रही थी। इसलिए उनकी बसें देर शाम तक रवाना हो पाई।
कर्फ्यू के चलते पंजाब में फंसे लगभग 300 एनआरआई को शनिवार को लुधियाना से दिल्ली एयरपोर्ट के लिए रवाना किया गया। इसके लिए ऑस्ट्रेलिया और अमेरिकी दूतावास ने बसों का इंतजाम किया था। इन दूतावासों से प्रतिनिधि खुद इन्हें लेने के लिए लुधियाना पहुंचे थे। हालांकि एनआरआई को बस में बैठने की होड़ के कारण सामाजिक दूरी की खूब धज्जियां उड़ी।
लॉकडाउन के चलते पंजाब आए कई विदेशी यहां फंस गए थे। पंजाब के विभिन्न हिस्सों में बैठे इन विदेशियों को शनिवार लुधियाना पहुंचने के लिए कहा गया था। ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए लगभग 50 विदेशी पहुंचे थे, जिनके लिए दो बसों का इंतजाम किया गया। अमेरिका से लगभग 250 लोग यहां पहुंचे थे। इनके लिए दूतावास की तरफ से सात बसों का इंतजाम किया गया था।
शनिवार सुबह से लुधियाना के भाईवाला चौक पर तांता लगा हुआ था। क्योंकि इन विदेशी मेहमानों को छोड़ने के लिए कई लोग भी आए हुए थे। इस दौरान सामाजिक दूरी की तरफ किसी ने ध्यान तक नहीं दिया। दोपहर लगभग तीन बजे पहले ऑस्ट्रेलिया जाने वाली दो बसों को रवाना किया गया। यूएस जाने वालों की संख्या ज्यादा होने के कारण दूतावास अधिकारियों को उनके दस्तावेज चेक करने में मशक्कत करनी पड़ रही थी। इसलिए उनकी बसें देर शाम तक रवाना हो पाई।