मुलायम सिंह यादव का भीतरगांव से भी नाता रहा है। कस्बे में वह तीन बार आए। पहली बार 30 सितंबर 1984 में क्रांति रथ लेकर कंस मैदान की सभा में पहुंचे थे। उस समय कार्यकर्ताओं ने उन्हें सिक्कों से तौला था। भीतरगांव निवासी व लोकदल कानपुर देहात के तत्कालीन जिला उपाध्यक्ष डॉ. दिनेश कुशवाहा बताते हैं कि उनका वजन 72 किलो निकला था। कार्यकर्ता हंसे तो उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा था कि ‘नजर न लगाओ, तुम भी सुबह-शाम गुनगुना दूध पीयो’।
बैजूपुर गांव निवासी जनता दल के कार्यकर्ता रहे प्रताप सिंह यादव (85) बताते हैं कि मुलायम सिंह को रबड़ी और दूध बहुत पसंद था। कई ऐसे मौके आए जब वह भोजन न कर केवल रबड़ी व आम खाकर आगे की सभाओं के लिए रवाना हो जाते थे।
मडे़पुर गांव निवासी महेंद्र प्रताप अवस्थी (86) लोकदल, फिर जनता दल और बाद में सपा में मुलायम सिंह के साथ रहे। उनका कहना है कि वह कार्यकर्ताओं को पूंजी की तरह सहेजते थे। बैठकों में कार्यकर्ताओं को नाम लेकर पुकारते थे।
परौली गांव में शोकसभा में माइक पर ही रो पड़े थे मुलायम
परौली गांव में 26 फरवरी 89 को लोकदल के सक्रिय कार्यकर्ता कमल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 18 अप्रैल को गांव में हुई शोकसभा में पहुंचे मुलायम सिंह कमल सिंह को याद कर माइक पर ही रो पड़े। स्व. कमल सिंह के भतीजे व सपा नेता विजय प्रताप सिंह चौहान बताते हैं कि मुलायम सिंह के नाम पर चुनाव लड़ने पर उनके पिता स्व. अनंत सिंह चौहान जिला परिषद सदस्य चुने गए थे।
बरईगढ़ में 79 में साधन सहकारी समिति के भवन का कराया निर्माण
साढ़ क्षेत्र के कुड़नी गांव में 1977 के चुनाव में प्रचार करने आए मुलायम सिंह के सामने बरईगढ़ गांव व आसपास के किसानों ने खाद न मिलने की समस्या उठाई थी। उस समय उन्होंने मंच से ही साधन सहकारी समिति खुलवाने का वादा किया था। चुनाव के बाद सूबे में रामनरेश यादव के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी और मुलायम सिंह सहकारिता मंत्री बने।
दो साल के अंदर ही उन्होंने साधन सहकारी समिति के भवन का निर्माण कराकर 30 जून 1979 को बरईगढ़ गांव आकर समिति के भवन का उद्घाटन किया था। उस समय सहकारी समिति के सचिव रहे जगदीश नारायणन चौरसिया (82) बताते हैं कि मुलायम सिंह उद्घाटन करने जीप से आए थे।