आगरा में मरीजों को कोविड अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं। भर्ती के लिए आ रहे मरीजों को लौटाया जा रहा है। कहीं नो-बेड का नोटिस चस्पा है। तो कहीं मौखिक रूप से मना किया जा रहा है। डीएम के आदेश के बाद भी कई अस्पतालों ने बेड की स्थिति को लेकर सूचना चस्पा नहीं की है। जिससे मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने इस मामले में पूछे जाने पर कहा कि डीएम ने इस जिन अस्पतालों ने सूचना सार्वजनिक नहीं की है उनके विरुद्ध कार्रवाई होगी। उन्हें कोविड पैनल से हटाया जाएगा। सीएमओ को जांच के आदेश दिए हैं।
क्या थे आदेश
इलाज में लापरवाही और मरीजों को भर्ती नहीं करने पर जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने 27 अप्रैल को 20 अस्पतालों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें कोविड केंद्रों की सूची से बाहर कर दिया था। साथ ही चेतावनी दी थी कि अगर कोई अस्पताल नो बेड या नो ऑक्सीजन का नोटिस लगाएगा तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं 1 मई को डीएम ने कोविड अस्पतालों को निर्देश दिए थे कि उन्हें अस्पताल के बाहर दिन में दो बार बेड की उपलब्धता की सूचना चस्पा करनी होगी। इसमें जानकारी देनी थी कि कितने बेड भरे और कितने खाली हैं। लेकिन अभी तक कई अस्पतालों ने इस पर अमल नहीं किया है।
बेड नहीं मिलने से बिगड़ी हालत
मेरी मां को बुखार है। सांस फूल रही है। मैं दो दिन से बेड के लिए 10 अस्पतालों में फोन कर चुका। बेड नहीं मिला। मां की तबियत लगातार बिगड़ रही है। - गोपाल शर्मा, साकेत कॉलोनी
घर में ही कर रहे इलाज
मेरे पिता गुर्दा रोगी है। डायलिसिस के दौरान उन्हें बुखार आ गया। कोविड लक्षण हैं। बेड नहीं मिला। घर में ही उनका उपचार करना पड़ रहा है। - मनीषा गुप्ता, एडीए हाइट्स
आठ अस्पतालों में एक भी बेड खाली नहीं
कोविड अस्पतालों में कहीं नो-बेड का नोटिस चस्पा है। तो कहीं मौखिक रूप से मना किया जा रहा है। ऐसे में बेड के लिए भटकते मरीजों की जान के लिए जोखिम बढ़ गया है। जिले में 25 निजी कोविड और पांच सरकारी अस्पताल हैं। जिनमें 2345 बेड हैं। एसएन में 315 बेड में 95% भरे हुए हैं। मंगलवार को अमर उजाला पड़ताल में आठ निजी कोविड अस्पताल ऐसे मिले जहां एक बेड भी खाली नहीं था। इन अस्पतालों ने रिक्त बेड की सूचना सार्वजनिक नहीं की। सुबह 10 बजे तक कोविड पोर्टल पर दर्ज इन अस्पतालों में शून्य बेड खाली हैं। एक चिकित्सक ने बताया कि जब बेड ही नहीं हैं तो मरीजों को भर्ती करने के लिए मना करना पड़ रहा है। हम मजबूर हैं। कोविड पोर्टल के मुताबिक आठ निजी कोविड अस्पतालों में बेड उपलब्ध ही नहीं हैं। ये रेनबो हॉस्पिटल (बेड क्षमता-50), जेडी हॉस्पिटल (30), रवि हॉस्पिटल (40), नयति हॉस्पिटल (33), पारस हॉस्पिटल (30), रश्मि मेडिकेयर (50), उपाध्याय हॉस्पिटल (50), पुरुषोत्तम दास अस्पताल (31) हैं। डीएम ने बताया कि मरीजों को बेड उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कल से एक और नया हॉस्पिटल शुरू हो जाएगा। इसमें 250 बेड हैं। जल्द और कोविड अस्पतालों को भी जोड़ा जा सकता है।
13 हॉस्पिटलों के चक्कर लगाए, भर्ती नहीं किया मरीज
टीला शेख मन्नू निवासी रितेश सोनकर ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट डाला कि उनके पिता मदन कुमार की तबियत 16 अप्रैल को खराब हुई थी। आगरा में 13 अस्पतालों के चक्कर लगाए, कहीं भर्ती नहीं किया गया। 17 को शाम आठ बजे मथुरा एक अस्पताल में मुश्किल से भर्ती कराया। अगले दिन सुबह पांच बजे उनका निधन हो गया। अस्पताल ने 49200 रुपये का बिल बना दिया। एंबुलेंस वाले ने आगरा से मथुरा शव लाने के 5500 रुपये लिए।
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