माता सीता और द्रौपदी पर दिए वक्तव्य के बाद भागवत प्रवक्ता अनिरुद्धाचार्य इन दिनों सुखिर्यों में हैं। विरोध सड़क से लेकर कानून के दरवाजे तक पहुंच गया है। विवादित बयान को लेकर वह इससे पहले भी लोगों के गुस्से का शिकार हो चुके हैं। अनिरुद्धाचार्य का जन्म 27 सितंबर 1989 को जबलपुर मध्यप्रदेश में हुआ था। प्राथमिक शिक्षा के बाद उन्होंने वृंदावन में मध्यमा की शिक्षा ली। शास्त्री और आचार्य की शिक्षा प्राप्त कर श्रीमद्भागवत कथा करने लगे। पिछले 5-6 वर्ष में उन्होंने काफी नाम कमाया। अब तक लगभग 500 से अधिक कथाएं कर चुके हैं।
यह दिया था वक्तव्य
पिछले दिनों भागवत प्रवक्ता अनिरुद्धाचार्य ने श्रीमद्भागवत कथा में कहा था, स्त्री का ज्यादा सुंदर होना गुण नहीं हैं, स्त्री का जरूरत से ज्यादा सुंदर होना दोष है। माता सीता का हरण क्यों हुआ क्योंकि वह जरूरत से ज्यादा सुंदर थीं। द्रौपदी की भरी सभा में साड़ी क्यों खींची गई, क्योंकि वह भी जरूरत से ज्यादा सुंदर थीं। भागवत प्रवक्ता का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। 25 सेकेंड के इस वक्तव्य का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कवि कुमार विश्वास ने इस पर ट्वीट करते हुए इस सोच को महिलाओं का अपमान बताया था। इसे संज्ञान में लेते हुएराष्ट्रीय महिला आयोग ने यूपी के डीजीपी को पत्र लिखकर कथा प्रवक्ता पर कार्रवाई की मांग की थी।
विवाद नहीं थमा, दर्ज हुई रिपोर्ट
14 अक्तूबर से शुरू हुआ विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। अनिरुद्धाचार्य के माफी मांगने के बाद भी लोग लगातार विरोध कर रहे हैं। स्थानीय हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन कर उनका पुतला तक फूंका है। पुलिस को तहरीर भी दी है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने कवि कुमार विश्वास के ट्वीट का संज्ञान लेकर डीजीपी को पत्र लिखकर कथा प्रवक्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई के आदेश दिए थे। पत्र के बाद अखिल भारत हिंदू महासभा के पवन शर्मा की तहरीर पर पुलिस ने कथा प्रवक्ता अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ धर्म का अपमान करने के साथ स्त्री की लज्जा का अनादर करने संबंधी धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
यह था कुमार विश्वास का ट्वीट
कवि कुमार विश्वास ने वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट में लिखा था कि यानी माता सीता के हरण, दुशासन के यज्ञसेनी के चीर हरण के लिए वे पापी नहीं हमारी माताएं दोषी हैं। कैसी प्रचंड मूर्खता है, पर समस्या यह है कि हमारे तथाकथित धर्म संस्कृति रक्षक भी इस पर कुछ नहीं बोलेंगे, क्योंकि उनकी भावनाएं भी बस अपने विपक्षी राजनीतिक खेमों पर ही आहत होती हैं।
पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
कथा प्रवक्ता अनिरुद्धाचार्य अक्सर विवादित बयान देते रहते हैं। इसी साल महर्षि वाल्मीकि के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करते हुए उन्हें डाकू बोला था। इस विवादित बयान के बाद वाल्मीकि समाज ने भारी विरोध किया।
पिछले दिनों वृंदावन के एक समारोह के मंच से श्रीमद्भागवत में राधा नाम है अथवा नहीं, इसे लेकर हुआ विवाद काफी सुर्खियों में रहा।