अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में शामिल हुए ऊझी घाटी के देवता धूमल नाग ने दशहरा में बुलावा न दिए जाने को लेकर नाराजगी जताई है। बिन बुलाए रविवार को दशहरा में भाग लेने से पहले भगवान रघुनाथ के दरबार में पहुंचे धूमल नाग ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्हें किस-किस ने दशहरा में आने से रोका है, उन्हें सब मालूम है। देवता ने कहा कि उन्हें रास्ते में रोकने की कोशिश की गई। लेकिन वह रुकने वाले नहीं है। कहा कि वर्तमान में देवनीति पर राजनीति हावी है।
देवी-देवताओं की परंपराओं को तोड़कर राजनीति की जा रही है। दशहरा देवताओं के मिलन का महाकुंभ है। लेकिन परंपरा के निर्वहन में कोताही बरती जा रही है। देवता ने कहा कि उन्होंने पहले ही महामारी के प्रकोप की भविष्यवाणी की थी और उनकी बात को दरकिनार किया गया। मनुष्य ही मनुष्य से डरेगा, इस बात की वह भविष्यवाणी कर चुके थे और वर्तमान में वही हो रहा है। इस दौरान देवी हिडिंबा ने भी अपने गूर के माध्यम से कहा कि दशहरा शांतिपूर्ण तरीके से होगा और वह कोई भी अशुभ कार्य नहीं होने देंगी।
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा के लिए सरकार व प्रशासन द्वारा जारी आदेश देवताओं के आगे छोटे पड़ गए। हलाण के देवता धूमल नाग सहित चार देवता प्रशासन के बुलावे के बिना ही ढालपुर मैदान पहुंचे। धूमल नाग शनिवार को ही अपने देवालय से दशहरे के लिए रवाना हो गए थे जबकि काथी कुकड़ी के देवता हरि नारायण, मेहा के देवता नारायण और डमचीण के देवता वीरनाथ (गौहरी) भी रविवार को ढालपुर पहुंचे।
हालांकि, दशहरा उत्सव कमेटी की ओर से यह तय हुआ था कि उत्सव में सात खराहल घाटी के देवता बिजली महादेव, मनाली की माता हिडिंबा, नग्गर की त्रिपुरा सुंदरी, खोखण के आदि ब्रह्मा, पीज के जमदग्नि ऋषि, रैला के लक्ष्मी नारायण और ढालपुर के वीरनाथ ही रथयात्रा में शामिल होंगे। इसके लिए बाकायदा सहमति भी बनी थी। लेकिन हलाण के देवता धूमल नाग ने इस फैसले के बाद ही दशहरे में आने का आदेश सुनाया था।
देवता को मनाने के लिए कई कोशिशें भी की गईं, लेकिन देवता धूमल नाग आखिर तक दशहरा में आने की जिद पर अड़े रहे। आखिरकार हारियानों के साथ देवता धूमल नाग रविवार को पहले सुल्तानपुर पहुंचे, उसके बाद ढालपुर की रथ यात्रा में शामिल हुए। काथी कुकड़ी के देवता हरि नारायण, मेहा के नारायण और डमचीण के देवता वीरनाथ रथयात्रा में शामिल नहीं हुए। देवता सात दिनों तक भगवान रघुनाथ की चाकरी करेंगे। इस संबंध में तहसीलदार मित्रदेव ने कहा कि दशहरा में बिना निमंत्रण इस बार चार देवता शामिल हुए हैं।