हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में विकास खंड नूरपुर की पंदरेहड़ पंचायत के चार बागवानों ने मिलकर श्वेत किस्म का इलाहाबादी अमरूद उगाकर एक नया और सफल इस्तेमाल किया है। लखनऊ से लाए गए उच्च गणवत्ता वाले अमरूद के इन पेड़ों पर 250 ग्राम तक का अमरूद लगेगा। साल में तीन फसलें मिलेंगी। बागवानी विभाग का दावा है कि चार से पांच साल में बगीचे से एक कनाल में 50 से 60 हजार रुपये तक सालाना आमदनी होगी। चार बागवानों ने 26 कनाल भूमि पर एक क्लस्टर बनाकर अमरूद का बगीचा तैयार किया है।
प्रूनिंग तकनीक की सहायता से ऑफ सीजन फसल ली जाएगी। नवंबर, दिसंबर और जनवरी में फसल तैयार होने से बागवानों को अच्छा भाव मिलेगा। ऑफ सीजन फसल कीटों के हमले से बची रहती है।पहले साल में ही इस बगीचे में फल आने लगे, लेकिन पौधों की ग्रोथ पर असर न पड़े, इसके लिए इसे तोड़ दिया गया। बागवानों ने यह बगीचा ऑर्गेनिक तरीके से तैयार किया है। कोरोना काल में वर्ष 2020 में यह बगीचा तैयार करना शुरू किया था। बागवानी विभाग के उप निदेशक डॉ. कमल शील लेगी, पंचायत उपप्रधान सिकंदर राणा, एसएमएस हितेंद्र पटियाल और एचडीओ मनोहर शर्मा ने इसमें विशेष योगदान दिया।
प्रूनिंग तकनीक की सहायता से ऑफ सीजन फसल ली जाएगी। नवंबर, दिसंबर और जनवरी में फसल तैयार होने से बागवानों को अच्छा भाव मिलेगा। ऑफ सीजन फसल कीटों के हमले से बची रहती है।पहले साल में ही इस बगीचे में फल आने लगे, लेकिन पौधों की ग्रोथ पर असर न पड़े, इसके लिए इसे तोड़ दिया गया। बागवानों ने यह बगीचा ऑर्गेनिक तरीके से तैयार किया है। कोरोना काल में वर्ष 2020 में यह बगीचा तैयार करना शुरू किया था। बागवानी विभाग के उप निदेशक डॉ. कमल शील लेगी, पंचायत उपप्रधान सिकंदर राणा, एसएमएस हितेंद्र पटियाल और एचडीओ मनोहर शर्मा ने इसमें विशेष योगदान दिया।