गोमती का किनारा, चारों तरफ से ढोल-नगाड़ों की आवाज पर थिरकते बच्चे और युवा, नदी किनारे सजी सुशोभिता को पूजतीं सोलह सिंगार में सजी-धजी सुहागिनें। दउरा व सूप सजाते घर के पुरुष व बच्चे। यह नजारा लक्ष्मण मेला, झूलेलाल, कुड़िया घाट पर बने पूजा स्थलों पर था। अपार्टमेंट परिसरों, पार्कों व छतों पर बनाए कृत्रिम तालाबों पर भी आदित्योपासना के लिए परिवार इकट्ठा थे।
शाम के पांच बजते-बजते महिलाएं भरी कोसी हाथों में लिए कमर तक पानी में उतर चुकी थीं और निगाहें पश्चिम में धीरे-धीरे लाल होते सूरज देवता पर टिकी थीं। 5.19 होते ही जैसे सूरज अस्त हो चला, हर तरफ से छठी मइया और भगवान भास्कर का जैकारा लगाने की आवाज, शंखनाद और मंत्रोच्चारण की ध्वनियां गूंज उठी। श्रद्धालुओं ने भगवान को अर्घ्य देकर सुख-समृद्धि-शांति की प्रार्थना की।
शाम के पांच बजते-बजते महिलाएं भरी कोसी हाथों में लिए कमर तक पानी में उतर चुकी थीं और निगाहें पश्चिम में धीरे-धीरे लाल होते सूरज देवता पर टिकी थीं। 5.19 होते ही जैसे सूरज अस्त हो चला, हर तरफ से छठी मइया और भगवान भास्कर का जैकारा लगाने की आवाज, शंखनाद और मंत्रोच्चारण की ध्वनियां गूंज उठी। श्रद्धालुओं ने भगवान को अर्घ्य देकर सुख-समृद्धि-शांति की प्रार्थना की।