हाथरस प्रकरण में पीड़ित परिवार को यूपी में जान का खतरा है। परिवार के सदस्य इस वजह से यूपी छोड़ कर दिल्ली में बसना चाहते हैं। हाथरस प्रकरण की हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई को लेकर बृहस्पतिवार को जो आदेश अपलोड हुए उसमें इस बात का जिक्र है कि पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने कहा है कि पीड़ित परिवार को इस मामले की सुनवाई व जांच आदि के समाप्त होने के बाद जान का भय है।
इस वजह से परिवार यूपी छोड़ कर दिल्ली शिफ्ट होना चाहता है। कुशवाहा ने यह भी जिक्र किया कि राज्य सरकार ने पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का जो वायदा किया था वह अभी पूरा नहीं किया गया है।
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के बहुचर्चित हाथरस कांड में विवेचना कर रही सीबीआई से पूछा है कि केस की तफ्तीश पूरी करने में लगभग कितना समय लगेगा। साथ ही सीबीआई को निर्देश दिया कि मामले की अगली सुनवाई (25 नवंबर) के पहले केस की जारी तफ्तीश की स्टेटस रिपोर्ट पेश करे।
कोर्ट ने सीआरपीएफ के महानिदेशक को मामले में पक्षकार बनाने के निर्देश देते हुए कहा कि अगली सुनवाई के पहले सीआरपीएफ का कोई जिम्मेदार अफसर यह बताते हुए हलफनामा दाखिल करे कि पीड़िता के परिवार को किस तरह की सुरक्षा दी गई है और इसके लिए क्या उपाय किए गए हैं। कोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर बीते सोमवार को सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया था, जो बृहस्पतिवार को कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड हुआ। अदालत ने सोमवार को पेश हुए अफसरों को अगली सुनवाई पर हजिरी से छूट दे दी है।
न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति राजन राय की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार, गृह सचिव तरुण गाबा, हाथरस के तत्कालीन एसपी विक्रांत वीर पेश हुए थे। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार, हाथरस के डीएम और वहां के तत्कालीन एसपी ने मामले में जवाबी हलफनामे दाखिल किए। केंद्र सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसपी राजू, राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही, केस के आरोपियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और पीड़िता के परिवारीजनों की ओर से वकील सीमा कुशवाहा ने पक्ष पेश किए थे। मामले में नियुक्त न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता जेएन माथुर भी पेश हुए थे।