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किसानों की नई रणनीति : बॉर्डर पर बना रहे पक्के मकान, ट्यूबवेल लगाया, पुलिस ने रोका तो कही ये बात
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सोनीपत (हरियाणा) Published by: निवेदिता वर्मा Updated Fri, 12 Mar 2021 02:27 PM IST
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कुंडली बॉर्डर में किसान बना रहे पक्के मकान।
- फोटो : अमर उजाला
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कृषि कानून रद्द करने की मांग को लेकर पिछले साढ़े तीन महीने से नेशनल हाईवे पर बैठे किसानों ने गरमी की तैयारी करनी शुरू कर दी है। पक्के मकानों का निर्माण शुरू करा दिया है। गरमी को देखते हुए मौके पर ट्यूबवेल भी लगवा दिए गए हैं। किसान नेताओं ने एलान कर दिया है कि नेशनल हाईवे पर प्लॉट बनाकर ज्यादा से ज्यादा पक्के निर्माण किए जाएंगे और नगर व मोहल्ले बसाए जाएंगे। इसके लिए सेवादार ईंट व अन्य निर्माण सामग्री भिजवा रहे हैं और पानीपत से दिल्ली जाने वाली लेन के किनारे निर्माण भी शुरू करा दिया गया है। किसान नेताओं ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि वह लंबे समय तक यहां रहने के लिए पक्के मकान बना रहे है और अब सरकार उनको रोककर दिखाए। किसानों का आंदोलन लंबा होता जा रहा है और सरकार का रुख देखकर किसानों को लगता है कि अभी आगे भी लंबे समय तक उनको सड़क पर बैठना पड़ सकता है। ऐसे में मौसम की परेशानियों से बचने के लिए ही किसानों ने कुंडली बॉर्डर पर पक्के मकानों का निर्माण शुरू करा दिया है। किसानों का तर्क है कि वह गर्मी या सर्दी में टेंट के अंदर क्यों मरे, जब उनको बॉर्डर पर लंबे समय तक बैठना है तो वह पक्के मकान बनाकर रहेंगे ताकि उन मकानों में मौसम के अनुसार एसी, रूम हीटर या अन्य सुविधाएं रख सके।
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किसानों ने मकान बनवाने के लिए मंगवाई ईंटें।
- फोटो : अमर उजाला
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किसानों का कहना है कि सरकार ने नए कानून बनाकर उनकी खेती की जमीन छीनने का प्रयास किया है तो वह बदले में सरकार की जमीन पर कब्जा कर लेंगे। इसलिए ही वह नेशनल हाईवे व उसके किनारे की जमीन पर कब्जा करके अपने पक्के मकान बना लेंगे। इसके अलावा किसानों ने मकान बनाने से पहले वहां कई ट्यूबवेल लगवा लिए हैं ताकि गर्मी में पेयजल की समस्या न हो। किसानों ने निर्णय किया है कि वह बॉर्डर पर हरियाणा-पंजाब के सामुदायिक मोहल्ले व नगर स्थापित करेंगे।
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धरने पर बैठे किसान।
- फोटो : अमर उजाला
पुलिस के रोकने पर बोले, पहले मोदी से जाकर पूछताछ करो
कुंडली बॉर्डर पर पक्के मकानों का निर्माण करने के साथ ही ट्यूबवेल लगाने को लेकर पुलिस ने जब किसानों ने पूछा, वह किसकी मंजूरी लेकर यह सब कर रहे हैं तो किसानों ने पुलिस से कहा कि सरकार ने किसकी मंजूरी से कृषि कानूनों को बनाया था। इसलिए पहले मोदी से जाकर पूछे कि जब किसानों से कानून बनाने के लिए नहीं पूछा गया तो किसान निर्माण करने के लिए क्यों किसी से पूछेंगे। पुलिस ने किसानों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने और एलान किया कि उनके निर्माण कार्य को रूकवाने का किसी में दम है तो उसे रुकवाकर दिखाया जाए। ऐसे में पुलिस बैरंग लौट गई। किसान नेताओं ने मंच से भी कहा कि वह पीछे हटने वाले नहीं है।
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गरमी के लिए पंखा लेकर जाता किसान।
- फोटो : अमर उजाला
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किसान नेताओं का पंडाल में संख्या बढ़ाने पर जोर
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य मनजीत राय ने कहा कि जिस तरह से गर्मी बढ़ रही है, पंडाल में संख्या कम हो रही है। उन्होंने कहा कि 10 बजे तक खाना खाकर सभी किसान अपने ठिकानों से सीधे पंडाल में पहुंचे और यहां पंडाल में संख्या बढ़ाएं। सरकार से लोहा लेने के लिए किसानों को कमर कसनी होगी। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि सरकार किसानों की जमीन छीनने के लिए जितना प्रयास करेगी, उतना ही सरकार को परेशानी झेलनी पड़ेगी।
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किसान आंदोलन के लिए ले जाए जा रहे कूलर।
- फोटो : अमर उजाला
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बंगाल, केरल, कर्नाटक में विरोध जारी रखने का निर्णय
किसान नेताओं ने निर्णय लिया है कि बंगाल, कर्नाटक व केरल में भी भाजपा का विरोध जारी रखा जाएगा। बंगाल में भाजपा के खिलाफ एक दिन पहले ही रैली हुई है तो वहीं 12 मार्च से तीन दिन के लिए कार्यक्रम तय कर दिए गए है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता वहां बैठकों के साथ ही पंचायत भी करेंगे और वहां भाजपा को वोट नहीं देने की अपील की जाएगी।
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