कोरोना वायरस दुनिया भर में मनुष्यों के लिए दहशत का पर्याय बन चुका है लेकिन ग्रहण के दौरान कोरोना सूर्य की खूबसूरती में चार चांद लगाता है। दरअसल, जब सूर्य चांद के पीछे आ जाता है तो आकार में बड़ा होने की वजह से इसकी बाहरी परत से निकलती ज्वाला चंद्रमा के चारों ओर गोल आकृति में नजर आती है। इसे खगोलविज्ञान की भाषा में कोरोना की संज्ञा दी गई है।
हालांकि 21 जून को लगने वाले वलयाकार सूर्य ग्रहण के दौरान इस खगोलीय घटना को नहीं देखा जा सकेगा। क्योंकि ये केवल पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान ही नजर आता है। वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पांडेय ने बताया कि एक सूर्य के अंदर 64.3 मिलियन चंद्रमा समा सकते हैं।
नंगी आंखों से न देंखे सूर्यग्रहण
खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि आंशिक और वलयाकार सूर्य ग्रहण आंखों के लिए पूर्ण सूर्य ग्रहण के ज्यादा खतरनाक होता है। इसे देखने के लिए सोलर चश्मा, टेलीस्कोप, पिन होल कैमरा, सूर्यग्रहण प्रोजेक्टेर, सोलर दूरबीन की मदद लें। नंगी आंखों से सूर्य ग्रहण को देखने का प्रयास न करें।
क्या है वलयाकार सूर्य ग्रहण
जब सूर्य के मध्य से चंद्रमा की छाया गुजरती है तो उसके चारो तरफ एक चमकीला गोल घेरा बन जाता है, जिसे वलयाकार सूर्य ग्रहण।
सूर्य ग्रहण का समय
भारत में सूर्य ग्रहण का समय अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग होगा। दिल्ली में सूर्य ग्रहण की शुरुआत सुबह 10 बजकर 20 मिनट के आस पास आरंभ हो जाएगा और दोपहर 1 बजकर 49 मिनट समाप्त हो जाएगा। सूर्य ग्रहण दोपहर 12 बजकर 2 मिनट के करीब चरम पर होगा। भारत में यह सूर्य ग्रहण दिखाई देने के कारण इसका सूतक मान्य रहेगा। सूर्य ग्रहण में सूतक काल 12 घंटे पहले ही लग जाता है। ऐसे में ग्रहण के एक दिन पहले यानी 20 जून की रात 9 बजकर 52 मिनट से सूतक लग जाएगा और ग्रहण की सामाप्ति पर यह खत्म होगा।