विनोद खन्ना हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के वो सितारे हैं, जिन्हें किसी पहचान की जरूरत नहीं है। 6 अक्तूबर 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में जन्मे विनोद खन्ना ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दी हैं। सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले विनोद खाने ने करीब 150 फिल्मों में काम किया और अपने शानदार अभिनय के बल पर लोगों के दिलों में अपने लिए खास जगह बना ली। आज भले ही अभिनेता हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपने चाहने वालों की यादों में वह हमेशा मौजूद रहेंगे। वहीं, आज अभिनेता के जन्मदिवस के मौके पर हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें बताने जा रहे हैं।
विनोद खन्ना के पिता का कपड़ों और केमिकल बनाने का कारोबार था। बंटवारे के बाद उनका परिवार पेशावर से मुंबई चला आया, यहां उन्होंने अपनी स्कूलिंग की। लेकिन इसके बाद 1957 में वह अपने परिवार के साथ दिल्ली चले आए और बाकी की पढ़ाई दिल्ली में पूरी की। तीन साल बाद वह फिर से मुंबई चले गए और कॉलेज के दौरान थिएटर जाने लगे। लेकिन कहा जाता है विनोद खन्ना क्रिकेटर बनना चाहते थे और अभिनेता बनने का सपना नहीं देखते थे। जब उन्होंने अभिनेता बनने की ठानी तो उनकी मां ने उनसे कहा था कि अगर वह दो साल में सफल नहीं हुए, तो अपने पिता का कारोबार संभालेंगे।
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इसके बाद विनोद खन्ना ने 1968 में 'मन का मीत' से बॉलीवुड में कदम रखा और खलनायक के रूप में नजर आए। इस फिल्म के बाद वह 'आन मिलो सजना', 'पूरब और पश्चिम', 'मेरा गांव मेरा देश', 'सच्चा झूठा' और 'मस्ताना' जैसी कई फिल्मों में खलनायक की भूमिका में ही दिखाई दिए। 1971 में 'हम तुम और वो' में विनोद खन्ना बतौर मुख्य अभिनेता नजर आए। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में अपने अभिनय का जादू चलाया और गीतांजलि से शादी कर ली। गीतांजलि से विनोद खन्ना की मुलाकात थिएटर के दौरान हुई थी। दोनों के दो बच्चे अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना हुए।
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70-80 के दौर में अमिताभ बच्चन अपने करियर की ऊंचाईयों पर थे और विनोद खन्ना को उन्हें टक्कर देना वाला अभिनेता माना जाता था। विनोद खन्ना हर तरह से सफल थे, लेकिन उन्हें अपनी जिंदगी में एक खालीपन महसूस होता था। उनके पास दौलत, शोहरत, परिवार सब कुछ था, लेकिन खुद को जानने की बेचैनी भी थी। वहीं, मां के निधन से भी वह पूरी तरह टूट गए थे। ऐसे में अचानक ही उन्होंने शोहरत को पीछे छोड़ संन्यास लेने का फैसला किया और अमेरिका में आध्यात्मिक गुरु ओशो के आश्रम चले गए। वहां उन्होंने माली और टॉयलेट साफ किए और पांच साल तक आश्रम में ही रहे। जब वह भारत लौटे तो गीतांजलि से उनका तलाक हो गया और उन्होंने 1990 में कविता से दूसरी शादी कर ली। दोनों की एक बेटी और बेटा हुआ।
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विनोद खन्ना का निधन ब्लड कैंसर की वजह से हुआ था। अभिनेता ने काफी समय तक अपनी बीमारी को परिवार से छुपाकर रखा। उन्हें छह साल पहले ही ब्लड कैंसर होने का पता चल गया था, लेकिन वह इसे ठीक करने के लिए कुछ नहीं कर पाए। रिपोर्ट्स की मानें को अभिनेता की बेटी की परीक्षा चल रही थी, जिस वजह से उन्होंने इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं दी। छह साल तक जर्मनी में उनका इलाज चला और सर्जरी भी हुई। लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका और 27 अप्रैल 2017 को उनका निधन हो गया।
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