निर्भया के दोषियों की फांसी की तारीख धीरे-धीरे नजदीक आ रही है। इसके लिए तिहाड़ में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। दोषियों को तिहाड़ के अंदर हाई सिक्योरिटी सेल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। इस बीच बीते रविवार(12 जनवरी) को दोषियों के डमी को फांसी देकर ट्रायल भी किया गया। अब उसी फंदे से 22 जनवरी को दोषियों को सच में फांसी दी जाएगी। हालांकि उससे पहले फांसी के फंदे को कई तरीके से नरम किया जा रहा है और फिर उसे एक बक्से में रखा जाएगा।
आइए जानते हैं कि वो कौन सा फल है जो तिहाड़ प्रशासन से फंदों को नरम रखने के लिए मंगाया है, साथ ही ये भी जानिए कि निर्भया के दोषियों के फांसी के फंदे का निर्भया के गांव से क्या संबंध है....
गौरतलब है कि रविवार को तिहाड़ में निर्भया के दोषियों के डमी की फांसी की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। इस प्रक्रिया को जल्लाद ने नहीं तिहाड़ के अधिकारियों ने अंजाम दिया। इसके बाद फंदे को नरम रखने के लिए तिहाड़ प्रशासन ने पके केले मंगाए हैं। सिर्फ केले ही नहीं दोषियों को जिन फंदों से फांसी होनी है उसे मक्खन में भी भिगो कर रखा जा रहा है।
केले और मक्खन के प्रयोग से फंदा नरम हो जाएगा और गले में आसानी से फंसेगा जिससे फांसी की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। फंदों को नरम करने के बाद इन्हें स्टील के बक्से में सुरक्षित रख लिया जाएगा और फांसी वाले दिन यानी 22 जनवरी को निकाला जाएगा। फांसी से एक दिन पहले फंदों को और चिकना किया जाएगा ताकि फांसी की प्रक्रिया में कोई अड़चन न आए और न ही फंदा टूटे।
जेल सूत्रों के मुताबिक जब अधिकारी दोषियों के गले का नाप लेने पहुंचे तो चारों दहल गए और बुरी तरह रोने लगे। रोते-रोते उन्होंने जेल अधिकारियों से मिन्नतें भी कीं। उनका हाल इतना बुरा था कि काउंसलर की मदद से शांत कराना पड़ा ताकि वो कोई गलत कदम न उठा लें।
निर्भया के गांव से 13 किमी दूर तैयार होकर गया है फांसी का फंदा
इसे इत्तेफाक ही कहेंगे कि निर्भया के साथ दरिंदगी दिल्ली में हुई, लेकिन फांसी का फंदा उसके गांव के पास ही बना है। उसके गांव से बक्सर सेंट्रल जेल की दूरी 13 किलोमीटर है। बक्सर सेंट्रल जेल में बने मनीला फंदे से ही पूरे देश में फांसी दी जाती है।