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Kanjhawala Case: दिल्ली पुलिस ने भी खूब की अनदेखी, दो बार PCR ने कॉल को किया दरकिनार, पढ़ें उस रात का किस्सा

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली Published by: आकाश दुबे Updated Thu, 05 Jan 2023 11:08 PM IST
Negligence of Delhi Police came to light in Kanjhawala case PCR not take action on calls
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कंझावला कांड में अंजलि को 13 किलोमीटर तक घसीटने के मामले में दिल्ली पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। 13 किमी के रूट पर तैनात दो पीसीआर वैन ने इलाके का हवाला देकर कॉल पर जाने से मना कर दिया था। पीसीआर वैन में तैनात पुलिसकर्मी इलाका तय करने में लगे रहे। तीन पीसीआर ने आरोपियों का पीछा किया था लेकिन पकड़ नहीं पाई थीं। ये बातें दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा के आदेश पर विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह की देखरेख में बनाई गई कमेटी की शुरुआती जांच में सामने आई हैं।
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दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 13 किमी के स्ट्रैच पर कुल पांच पीसीआर तैनात थीं। इनमें बेगमपुर थाने की पीसीआर व कंझावला थाने की पीसीआर ने कॉल पर जाने से मना कर दिया था। इसके लिए उनका थाना इलाका नहीं होने की बात कही गई थी। यह भी बताया जा रहा है कि कॉल को लेकर रोहिणी व बाहरी जिले की पुलिस में झगड़ा भी हुआ था। जांच में ये पता लगा कि आरोपियों ने युवती को करीब 12 किलोमीटर रोहिणी इलाके में घसीटा था। वहीं बाहरी जिले में करीब एक किलोमीटर घसीटता था। घटना की पहली पीसीआर कॉल रोहिणी जिले में गई थी। इसके बाद इस कॉल को बाहरी जिले को गई थी।
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ये व्यवस्था खत्म होने से इलाका तय करती हैं पीसीआर
दिल्ली पुलिस का पीसीआर सिस्टम अलग था। पीसीआर एक यूनिट होती थी। पीसीआर कॉल मिलने पर कर्मी इलाका तय नहीं करते थे और कॉल मिलने पर पीसीआर तुरंत मौके पर पहुंच जाती थी। दिल्ली पुलिस के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने इस पीसीआर यूनिट को खत्म कर दिया और पीसीआर को थानों के तहत दे दिया। ऐसे में पुलिस अब पीसीआर कॉल पर जाने से पहले इलाका तय करती हैं। साथ में कॉल पर पीसीआर के अलावा थाने से जांच अधिकारी भी पहुंचता है। इससे सिस्टम का दुरुपयोग हो रहा है। जानकार बता रहे हैं कि पीसीआर यूनिट को खत्म होने से पीसीआर सिस्टम ध्वस्त हो गया है।
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हर थाने को दी गई चार से पांच पीसीआर
पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने पीसीआर यूनिट को खत्म कर पीसीआर गाड़ियों को थाने के तहत दे दिया था। दिल्ली पुलिस के हर थाने को चार से पांच पीसीआर दी गई। अब पीसीआर थानाध्यक्ष के तहत काम करती है। थानाध्यक्ष पीसीआर को अपने थाना इलाके में तैनात करता है। अब जब कोई कॉल आती है तो थाना में जाती है। इसके बाद पीसीआर को कॉल जाती है। इस दौरान थाना इलाका भी देखा जाता है। ऐसे में पीसीआर को मौके पर पहुंचने में समय लग जाता है।
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कॉल मिलने पर जांच अधिकारी मौके पर जाते हैं, पीसीआर नहीं
पीसीआर कॉल मिलने पर थाने से जांच अधिकारी भी मौके पर जाता है और पीसीआर भी मौके पर जाती है। ऐसे में दो जगह से पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच जाते हैं। इसके अलावा ये बात भी देखने में आई है कि पीसीआर वैन में तैनात पुलिसकर्मियों को थाने में ट्रांसफर कर दिया गया था। पीसीआर में वहीं पुलिसकर्मी ड्यूटी करते थे जो आठ घंटे की ड्यूटी करते थे। अब इन पीसीआर कर्मियों को थाने में आठ से ज्यादा घंटे की ड्यूटी करनी पड़ती है। ऐसे में पीसीआर यूनिट में तैनात पुलिसकर्मियों ने थानों से अपना तबादला दूसरी यूनिट में करा लिया है। ऐसे में थानों में पीसीआर वैनों में तैनात करने के लिए पुलिसकर्मी नहीं बचे हैं।
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