चुनाव से पहले दल-बदल के जरिये कांग्रेस को बार-बार सदमे में डाल रही भाजपा आज खुद सदमे में है। प्रचंड बहुमत वाली सत्तारूढ़ भाजपा ने विरोधियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए दल-बदल की जो पिच तैयार की, उस पर अब कम संख्या बल वाली कांग्रेस बल्लेबाजी कर रही है।
कांग्रेस भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे संजीव आर्य की घरवापसी कराने में कामयाब रही। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक, ये ट्रेलर है, पिक्चर तो अभी बाकी है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस भाजपा के एक अन्य विधायक उमेश शर्मा काऊ की घर वापसी कराने से चूक गई, जबकि काऊ की कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात हो चुकी थी।
उत्तराखंड चुनाव 2022: यशपाल आर्य के कांग्रेस में आने पर बोले गोदियाल- ट्रेलर दिया है, पिक्चर अभी बाकी है
सियासी जानकारों के मुताबिक, ऐसा करके कांग्रेस ने भाजपा से न सिर्फ 2016 की बगावत का हिसाब बराबर करने की दिशा में पहला कदम बढ़ाया बल्कि एक विधायक के बदले कैबिनेट मंत्री समेत दो विधायकों को तोड़कर जोर का झटका दिया। भाजपा छोड़कर कांग्रेस में लौटे यशपाल आर्य की घरवापसी को कांग्रेस एक बड़ा राजनीतिक दांव मान रही है।
आर्य की वापसी कराकर कांग्रेस ने क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की। आर्य दलित चेहरा हैं और ऐसा करके पार्टी ने न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि राज्य से बाहर भी संदेश देने की कोशिश की। इसे ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिले के चुनावी समीकरणों को प्रभावित करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। आर्य का जिले की सियासत में तगड़ा रसूख है और जिले की आधा दर्जन सीटों पर उनका प्रभाव माना जाता है।
कांग्रेस भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे संजीव आर्य की घरवापसी कराने में कामयाब रही। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक, ये ट्रेलर है, पिक्चर तो अभी बाकी है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस भाजपा के एक अन्य विधायक उमेश शर्मा काऊ की घर वापसी कराने से चूक गई, जबकि काऊ की कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात हो चुकी थी।
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आर्य की वापसी कराकर कांग्रेस ने क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की। आर्य दलित चेहरा हैं और ऐसा करके पार्टी ने न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि राज्य से बाहर भी संदेश देने की कोशिश की। इसे ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिले के चुनावी समीकरणों को प्रभावित करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। आर्य का जिले की सियासत में तगड़ा रसूख है और जिले की आधा दर्जन सीटों पर उनका प्रभाव माना जाता है।