आज अमर शहीद उधम सिंह का जन्मदिवस है। इस मौके पर हम शहीद उधम सिंह से जुड़ी एक रोचक कहानी लेकर आए हैं। जनरल डायर को मारने वाले शहीद उधम सिंह के लिए आज भी हर रात बिस्तर लगाया जाता है। हर रात खिड़की खोलकर दरवाजा बंद कर दिया जाता है, यकीं न हो तो देखिए...
शहीद उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गांव में हुआ। 31 जुलाई 1940 को ऊधम सिंह देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए। लेकिन अमृतसर के सेंट्रल खालसा यतीम खाना में उधम सिंह के लिए आज भी रोजाना रात को बिस्तर बिछाया जाता है।
यहां नियमित कमरे की सफाई की जाती है। रात को खिड़की खोलकर दरवाजा बंद कर दिया जाता है। यतीम खाना में आज भी उधम सिंह की मौजूदगी मानी जाती है। शहीद उधम सिंह के नाम से खोले गए स्कूल में 300 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं।
बच्चे ब्रेललिपि से पढ़ाई कर रहे हैं। उधम सिंह के बर्तन आज भी उनके कमरे में सुरक्षित हैं। इनमें दो कटोरी, एक थाली, दो डोल (हैंडल वाला डिब्बा), एक छन्ना और एक लोटा है। पहले छत कच्ची थी, लेकिन अब इसे पक्का कर दिया गया है। उधम सिंह को जब सेंट्रल यतीम खाना में दाखिला दिया गया था, तब के प्रमाण पत्र में उनका नाम शेर सिंह लिखा हुआ था।
शेर सिंह के साथ उनके भाई का नाम साधु सिंह लिखा था। दोनों प्रमाण पत्र के साथ-साथ उधम सिंह से जुड़े कई दस्तावेज लकड़ी के फ्रेम में शीशे में चमक रहे हैं। आज भी यतीम खाना में उधम सिंह की गाथाएं पढ़ाई जाती हैं। जन्मदिन धूमधाम से मनाया जाता है। श्रद्धांजलि समारोह स्टाफ बच्चों के साथ मिलकर मनाते हैं।