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Jabalpur High Court: विदेश में निवासरत व्यक्ति ले सकते हैं गोदनामा, सार्वजनिक सूचना आवश्यक नहीं

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: अरविंद कुमार Updated Wed, 07 Dec 2022 07:46 AM IST
सार

मध्यप्रदेश में जबलपुर हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा, विदेश में रहने वाला व्यक्ति बच्चे को गोद ले सकता है। इसके लिए उसको सार्वजनिक सूचना आवश्यक नहीं होगी।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर - फोटो : Social Media

विस्तार

जबलपुर हाई कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि विदेश में निवासरत व्यक्ति गोदनामा ले सकता है। बच्चे का कानूनी रूप से मुक्ति प्रमाण-पत्र जारी होने के बाद उसके गोदनामे के लिए सार्वजनिक सूचना आवश्यक नहीं है। हाई कोर्ट जस्टिस सुजय पॉल ने निचली अदालत का फैसला निरस्त करते हुए अमेरिका निवासी दंपत्ति को बच्चा गोद देने के निर्देश जारी किए हैं।



बता दें कि सतना स्थित मातृ छाया शिशु गृह और अमेरिका निवासी पुष्कर श्रीकर राव तथा उनकी पत्नी श्रेया सत्येन्द्र की तरफ से निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में पुर्निरीक्षण याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि मातृ छाया शिशु गृह में रहने वाली एक बच्ची को गोद लेने के लिए उन्होंने विधिक प्रक्रिया के तहत आवेदन किया था। विधिक प्रक्रिया के अंतिम चरण में न्यायालय की अनुमत्ति आवश्यक होती है। न्यायालय ने 27 जुलाई को उनका आवेदन खारिज कर दिया।


पुर्निरीक्षण याचिका में कहा गया था जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा-59 का हवाला देते हुए न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि तमाम कोशिश के बावजूद कोई भारतीय नहीं मिलता है तो विदेश में निवासी बच्चे को गोद ले सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बच्चे को गोद लेने के लिए मुक्त नहीं किया गया है।

याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि बच्चे के संरक्षण तथा उनके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गोदनामे के लिए हेग कन्वेशन हुआ था, जिसमें भारत और अमेरिका ने भी हस्ताक्षर किए थे। उसके बाद भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गोदनामे के लिए सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी बनाई थी, जो एक वैधानिक निकाय है। कारा के पोर्टल में बच्चे का नाम दर्ज होने के बाद अमेरिका निवासी दंपत्ति के गोदनामे के लिए आवेदन किया था। कारा, अमेरिका और अन्य एंजेसियों ने गोदनामे के लिए एनओसी प्रदान कर रहा है।

एकलपीठ ने सुनवाई के बाद पाया कि बच्ची का जन्म 1 मई 2021 को हुआ था। जन्म के सात दिन बाद मां-बाप ने बच्ची को शिशु गृह में स्वेच्छा से छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने 60 दिनों तक बच्ची पर अपना दावा प्रस्तुत नहीं किया था, जिसके बाद बच्ची का नाम पोर्टल में दर्ज हुआ और विदेश में रहने वाले दंपत्ति ने आवेदन किया। बालिका को अंतरदेशीय दत्तक में दिया जाना उसके सर्वोत्तम हित और कल्याण में नहीं है। यह निर्धारण करना गलत है। एकलपीठ ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त करते हुए बच्चे के एडॉप्शन की अनुमत्ति प्रदान कर दी। 

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