बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रदेश की आरक्षित सीटों पर अब जाट मुस्लिम कार्ड खेलने की तैयारी शुरू की है। मंगलवार को उन्होंने इन सभी विधानसभा क्षेत्रों के पदाधिकारियों की बैठक में यह मंत्र फूंका। इस मौके पर उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा कि इस समय खास तौर से मुस्लिमों को परेशान किया जा रहा है।
पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर बसपा प्रमुख मायावती ने सभी आरक्षित विधानसभा सीटों (84 एससी तथा दो एसटी वर्ग के लिए आरक्षित) के लिए अपने ओबीसी खास तौर पर जाट और मुस्लिम इंचार्जोँ केसाथ बैठक की। उन्होंने कहा कि इन सीटों पर जाटों और मुस्लिमों को जोड़ना है। ब्राह्मणों के लिए वे पहले ही इन सीटों पर अभियान शुरू कर चुकी हैं। ऐसे में यदि जाट और मुस्लिम भी इन सीटों पर अपने साथ आ गए तो अनुसूचित जाति और ब्राह्मणों केसाथ मिलकर सकारात्मक परिणाम देंगे।
उन्होंने इस बाबत मीडियाकर्मियों से बात की। कहा कि बसपा हमेशा अन्य पिछड़े वर्गों खास तौर पर जाटों और मुस्लिमों के लिए सम्मान और तरक्की पर काम करती रही है। खास तौर से जब बसपा की सरकार थी तो इनका विशेष ध्यान रखा गया था। उन्होंने कहा कि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने ओबीसी व दलित वर्ग के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण व शिक्षा की व्यवस्था की लेकिन अब केंद्र व राज्यों की जातिवादी सरकारें नए नियम कानून बनाकर आरक्षण को प्रभावहीन करने का प्रयास कर रही हैं।
उन्होंने ओबीसी की भी जातिगत गणना कराने की मांग की। कहा कि यूपी की भाजपा सरकार में खासतौर से धार्मिक अल्पसंख्यकों में मुस्लिमों दुखी नजर आते हैं। उनकी तरक्की रोकी जा रही है। फर्जी मुकदमे लगाकर उत्पीड़न किया जा रहा है। नए कानून बनाकर दहशत फैलाई जा रही है। इसमें बीजेपी का सौतेला साफ झलकता है। उन्होंने कहा कि जब बसपा की सरकार थी तो जाटों, मुस्लिमों की तरक्की जान माल की सुरक्षा का हमेशा ख्याल रखा गया। उन्होंने कहा कि सुरक्षित सीटों के अलावा सामान्य सीटों पर भी ओबीसी, जाट, मुस्लिम एवं दलित और ब्राह्मण फार्मूला कार्य करेगा। मायावती ने ओवैसी या चंद्रशेखर आदि किसी से भी बात करने या गठबंधन से इनकार किया और कहा कि बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी।
इन सीटों पर पहले ही ब्राह्मणों को जोड़ रही है बसपा
आरक्षित सीटों पर पहले ही मायावती ब्राह्मणों को जोड़ने की कवायद शुरू कर चुकी हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा को लगाया गया है। उन्होंने अभियान शुरू कर दिया है और जल्द ही उनका लगभग एक माह का शेड्यूल इन सीटों पर शुरू हो रहा है। मायावती का मानना है कि बाकी सीटों पर भी मेहनत हो लेकिन इन 86 सीटों पर यदि एससी कैटगरी के साथ साथ ब्राह्मण, मुस्लिम और जाट आए गए तो इनमें अधिक से अधिक पर नैया पार हो ही जाएगी।
निलंबित 12 सांसदों से बात करें
संसद के मानसून सत्र के दौरान अमर्यादित आचरण के आरोप में निलंबित किए 12 सांसदों के मामले पर मायावती ने कहा कि उनकेप्रति इतना कड़ा रुख नहीं लेना चाहिए। उनसे बातचीत करते हुए मामले को खत्म करना चाहिए।
विस्तार
बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रदेश की आरक्षित सीटों पर अब जाट मुस्लिम कार्ड खेलने की तैयारी शुरू की है। मंगलवार को उन्होंने इन सभी विधानसभा क्षेत्रों के पदाधिकारियों की बैठक में यह मंत्र फूंका। इस मौके पर उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा कि इस समय खास तौर से मुस्लिमों को परेशान किया जा रहा है।
पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर बसपा प्रमुख मायावती ने सभी आरक्षित विधानसभा सीटों (84 एससी तथा दो एसटी वर्ग के लिए आरक्षित) के लिए अपने ओबीसी खास तौर पर जाट और मुस्लिम इंचार्जोँ केसाथ बैठक की। उन्होंने कहा कि इन सीटों पर जाटों और मुस्लिमों को जोड़ना है। ब्राह्मणों के लिए वे पहले ही इन सीटों पर अभियान शुरू कर चुकी हैं। ऐसे में यदि जाट और मुस्लिम भी इन सीटों पर अपने साथ आ गए तो अनुसूचित जाति और ब्राह्मणों केसाथ मिलकर सकारात्मक परिणाम देंगे।
उन्होंने इस बाबत मीडियाकर्मियों से बात की। कहा कि बसपा हमेशा अन्य पिछड़े वर्गों खास तौर पर जाटों और मुस्लिमों के लिए सम्मान और तरक्की पर काम करती रही है। खास तौर से जब बसपा की सरकार थी तो इनका विशेष ध्यान रखा गया था। उन्होंने कहा कि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने ओबीसी व दलित वर्ग के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण व शिक्षा की व्यवस्था की लेकिन अब केंद्र व राज्यों की जातिवादी सरकारें नए नियम कानून बनाकर आरक्षण को प्रभावहीन करने का प्रयास कर रही हैं।
उन्होंने ओबीसी की भी जातिगत गणना कराने की मांग की। कहा कि यूपी की भाजपा सरकार में खासतौर से धार्मिक अल्पसंख्यकों में मुस्लिमों दुखी नजर आते हैं। उनकी तरक्की रोकी जा रही है। फर्जी मुकदमे लगाकर उत्पीड़न किया जा रहा है। नए कानून बनाकर दहशत फैलाई जा रही है। इसमें बीजेपी का सौतेला साफ झलकता है। उन्होंने कहा कि जब बसपा की सरकार थी तो जाटों, मुस्लिमों की तरक्की जान माल की सुरक्षा का हमेशा ख्याल रखा गया। उन्होंने कहा कि सुरक्षित सीटों के अलावा सामान्य सीटों पर भी ओबीसी, जाट, मुस्लिम एवं दलित और ब्राह्मण फार्मूला कार्य करेगा। मायावती ने ओवैसी या चंद्रशेखर आदि किसी से भी बात करने या गठबंधन से इनकार किया और कहा कि बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी।
इन सीटों पर पहले ही ब्राह्मणों को जोड़ रही है बसपा
आरक्षित सीटों पर पहले ही मायावती ब्राह्मणों को जोड़ने की कवायद शुरू कर चुकी हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा को लगाया गया है। उन्होंने अभियान शुरू कर दिया है और जल्द ही उनका लगभग एक माह का शेड्यूल इन सीटों पर शुरू हो रहा है। मायावती का मानना है कि बाकी सीटों पर भी मेहनत हो लेकिन इन 86 सीटों पर यदि एससी कैटगरी के साथ साथ ब्राह्मण, मुस्लिम और जाट आए गए तो इनमें अधिक से अधिक पर नैया पार हो ही जाएगी।
निलंबित 12 सांसदों से बात करें
संसद के मानसून सत्र के दौरान अमर्यादित आचरण के आरोप में निलंबित किए 12 सांसदों के मामले पर मायावती ने कहा कि उनकेप्रति इतना कड़ा रुख नहीं लेना चाहिए। उनसे बातचीत करते हुए मामले को खत्म करना चाहिए।