प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत 30 फीसदी से ज्यादा डॉक्टर गायब हैं। वे कार्यभार ग्रहण करने के बाद अचानक लापता हो जाते हैं। विभाग उनके लौटने का इंतजार करता रहता है। ऐसे में दोहरा नुकसान होता है। एक तरफ मरीजों का उपचार प्रभावित होता है तो दूसरी तरफ संबंधित पद पर नई नियुक्ति भी नहीं हो पाती है। फिलहाल इस समस्या के बढ़ने पर अब स्वास्थ्य विभाग नए सिरे से रिकॉर्ड तैयार कर रहा है।
प्रांतीय स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवा संवर्ग में करीब 12 हजार डॉक्टर हैं। इनकी तैनाती 170 जिला अस्पताल, 107 अस्पताल (100 बेड वाले), 943 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 3649 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में की गई है। महानिदेशालय से लेकर विभिन्न प्रशासनिक पदों पर भी वरिष्ठता के आधार पर ये तैनात हैं। जनवरी 2022 से मई तक करीब 1009 नए डॉक्टरों की तैनाती की गई है।
सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के कार्मिक शाखा ने जनवरी से मई तक तैनात होने वाले डॉक्टरों का ब्यौरा जुटाया तो 30 फीसदी से ज्यादा कार्यभार ग्रहण करने के बाद से गायब हैं। ये दोबारा लौट कर संबंधित सीएचसी व जिला अस्पताल में गए ही नहीं। इसी बीच मंगलवार को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने जौनपुर जिला अस्पताल का निरीक्षण किया तो वहां भी कई डॉक्टर लंबे समय से गायब मिले। करीब दो साल से गायब रहने वाले दो डॉक्टरों को निलंबित करने का उन्होंने आदेश भी दिया है। साथ ही अब पीएमएस के सभी डॉक्टरों का नए सिरे से ब्यौरा जुटाया जा रहा है। इस संबंध में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. वेदब्रत सिंह ने सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों से सप्ताहभर में रिपोर्ट मांगी है। इसमें पूछा गया है कि कितने डॉक्टर सालभर से अधिक समय से गायब हैं।
2020 में गायब मिले थे कई चिकित्साधिकारी
2020 में स्वास्थ्य विभाग ने पीएमएचएस संवर्ग के आंकड़े जुटाए थे। इसमें पाया गया था कि 207 चिकित्साधिकारी कार्यभार ग्रहण करने के बाद गायब हैं। इसी तरह 586 चिकित्साधिकारी सेवा योगदान के बाद परिवीक्षा अवधि बिना पूरी किए कार्य स्थल से गायब हैं। 203 चिकित्साधिकारी परिवीक्षा अवधि पूरी करने के बाद पांच साल से कम अवधि से अनुपस्थित चल रह हैं। इन चिकित्साधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा गया था। इस बीच कोविड आ गया। ऐसेे में अनुपस्थिति चलने वालों की अब नए सिरे से सूची तैयार की जा रही है।
चिकित्सकों के गायब होने के मामले को गंभीरता से लिया गया है। इनकी नए सिरे से सूची तैयार की जा रही है। पहले नई नियुक्ति वालों की सूची मांगी गई थी। अब पूरे संवर्ग का नए सिरे से डाटा तैयार किया जा रहा है। जितने लोग लंबे समय से अनुपस्थिति हैं, उसकी जानकारी शासन को देकर संबंधित पदों को रिक्त घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
-डॉ. वेदब्रत सिंह, महानिदेशक स्वास्थ्य
स्पेशियलिटी कोर्स करके आने वाले चिकित्सक जब ग्रामीण इलाके में जाते हैं तो वहां सुविधाओं का अभाव मिलता है। यही वजह है कि अस्पताल के आसपास का माहौल देखने के बाद तमाम डॉक्टर छोड़कर चले जाते हैं। डॉक्टरों को पीएचसी व सीएचसी पर रोकना है तो सुविधाओं का विकास करना होगा। उन्हें सुरक्षा, सुविधा देनी होगी। साथ ही ब्यूरोकेसी का दखल खत्म करना होगा।
-डॉ. अमित सिंह, महासचिव, प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ
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प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत 30 फीसदी से ज्यादा डॉक्टर गायब हैं। वे कार्यभार ग्रहण करने के बाद अचानक लापता हो जाते हैं। विभाग उनके लौटने का इंतजार करता रहता है। ऐसे में दोहरा नुकसान होता है। एक तरफ मरीजों का उपचार प्रभावित होता है तो दूसरी तरफ संबंधित पद पर नई नियुक्ति भी नहीं हो पाती है। फिलहाल इस समस्या के बढ़ने पर अब स्वास्थ्य विभाग नए सिरे से रिकॉर्ड तैयार कर रहा है।
प्रांतीय स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवा संवर्ग में करीब 12 हजार डॉक्टर हैं। इनकी तैनाती 170 जिला अस्पताल, 107 अस्पताल (100 बेड वाले), 943 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 3649 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में की गई है। महानिदेशालय से लेकर विभिन्न प्रशासनिक पदों पर भी वरिष्ठता के आधार पर ये तैनात हैं। जनवरी 2022 से मई तक करीब 1009 नए डॉक्टरों की तैनाती की गई है।
सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के कार्मिक शाखा ने जनवरी से मई तक तैनात होने वाले डॉक्टरों का ब्यौरा जुटाया तो 30 फीसदी से ज्यादा कार्यभार ग्रहण करने के बाद से गायब हैं। ये दोबारा लौट कर संबंधित सीएचसी व जिला अस्पताल में गए ही नहीं। इसी बीच मंगलवार को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने जौनपुर जिला अस्पताल का निरीक्षण किया तो वहां भी कई डॉक्टर लंबे समय से गायब मिले। करीब दो साल से गायब रहने वाले दो डॉक्टरों को निलंबित करने का उन्होंने आदेश भी दिया है। साथ ही अब पीएमएस के सभी डॉक्टरों का नए सिरे से ब्यौरा जुटाया जा रहा है। इस संबंध में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. वेदब्रत सिंह ने सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों से सप्ताहभर में रिपोर्ट मांगी है। इसमें पूछा गया है कि कितने डॉक्टर सालभर से अधिक समय से गायब हैं।
2020 में गायब मिले थे कई चिकित्साधिकारी
2020 में स्वास्थ्य विभाग ने पीएमएचएस संवर्ग के आंकड़े जुटाए थे। इसमें पाया गया था कि 207 चिकित्साधिकारी कार्यभार ग्रहण करने के बाद गायब हैं। इसी तरह 586 चिकित्साधिकारी सेवा योगदान के बाद परिवीक्षा अवधि बिना पूरी किए कार्य स्थल से गायब हैं। 203 चिकित्साधिकारी परिवीक्षा अवधि पूरी करने के बाद पांच साल से कम अवधि से अनुपस्थित चल रह हैं। इन चिकित्साधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा गया था। इस बीच कोविड आ गया। ऐसेे में अनुपस्थिति चलने वालों की अब नए सिरे से सूची तैयार की जा रही है।
चिकित्सकों के गायब होने के मामले को गंभीरता से लिया गया है। इनकी नए सिरे से सूची तैयार की जा रही है। पहले नई नियुक्ति वालों की सूची मांगी गई थी। अब पूरे संवर्ग का नए सिरे से डाटा तैयार किया जा रहा है। जितने लोग लंबे समय से अनुपस्थिति हैं, उसकी जानकारी शासन को देकर संबंधित पदों को रिक्त घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
-डॉ. वेदब्रत सिंह, महानिदेशक स्वास्थ्य
स्पेशियलिटी कोर्स करके आने वाले चिकित्सक जब ग्रामीण इलाके में जाते हैं तो वहां सुविधाओं का अभाव मिलता है। यही वजह है कि अस्पताल के आसपास का माहौल देखने के बाद तमाम डॉक्टर छोड़कर चले जाते हैं। डॉक्टरों को पीएचसी व सीएचसी पर रोकना है तो सुविधाओं का विकास करना होगा। उन्हें सुरक्षा, सुविधा देनी होगी। साथ ही ब्यूरोकेसी का दखल खत्म करना होगा।
-डॉ. अमित सिंह, महासचिव, प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ