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Mulayam Singh Yadav Died: आज दोपहर बाद तीन बजे सैफई में होगा अंतिम संस्कार, पीएम के आने की संभावना

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: पंकज श्रीवास्‍तव Updated Tue, 11 Oct 2022 12:10 AM IST
सार

प्रदेश सरकार की कैबिनेट की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन पर शोक व्यक्त किया गया। मुख्यमंत्री व कैबिनेट मंत्रियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। सरकार ने कैबिनेट के सभी प्रस्ताव स्थगति कर दिए। मुख्यमंत्री ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।

मुलायम सिंह
मुलायम सिंह

विस्तार

सपा संरक्षक, पूर्व रक्षामंत्री एवं प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव का सोमवार सुबह 8.16 बजे निधन हो गया। उन्होंने मेदांता हास्पिटल गुरुग्राम में अंतिम सांस ली। उनका शव सैफई स्थित पैतृक आवास पर लाया गया है। यहां जनता के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। अंतिम संस्कार मंगलवार दोपहर बाद 3 बजे होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सैफई पहुंच कर श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी आने की चर्चा है। हालांकि अभी तक अधिकृत कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ है।



सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को प्रोस्टेट, किडनी, सीने में संक्रमण, कम ऑक्सीजन लेवल, लो ब्लड प्रेशर सहित कई तरह की समस्या थी। दो अक्तूबर को स्थिति गंभीर होने पर उन्हें मेदांता हास्पिटल के आईसीयू में शिफ्ट किया गया। चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम ने लगातार उपचार किया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। सोमवार सुबह 8.16 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। इसकी जानकारी मिलते ही प्रदेश व देश की सियासत में शोक की लहर दौड़ गई। सपा, भाजपा सहित विभिन्न दलों केनेताओँ ने शोक जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। गृहमंत्री अमित शाह ने मेदांता हास्पिटल पहुंच कर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उनका पार्थिक शरीर सड़क मार्ग से पैतृक आवास सैफई लाया गया है। यहां से मंगलवार सुबह चंद कदम दूर बने पांडाल में रखा जाएगा। जहां दोपहर तक आम लोग उनका अंतिम दर्शन कर सकेंगे। दोपहर बाद तीन बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।


मालूम हो कि मुलायम सिंह यादव की तबीयत करीब तीन साल से खराब चल रही है। वह लगातार चिकित्सकों की निगरानी में थे। कभी मेदांता गुरुग्राम तो कभी लखनऊ के चिकित्सा विशेषज्ञ उनके इलाज में लगे थे। इससे पहले उन्हें 15 जून को मेदांता में भर्ती कराया गया था। जहां रूटीन जांच के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था। इसकेबाद से लगातार उन्हें किसी न किसी तरह की समस्या बनी रही। उनकी पत्नी साधना गुप्ता के निधन के बाद उन्हें कई तरह की अन्य समस्याएं भी हो गई थीं। इस वजह से वह ज्यादातर वक्त दिल्ली में रहे।

तीन दिन का राजकीय शोक
प्रदेश सरकार की कैबिनेट की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन पर शोक व्यक्त किया गया। मुख्यमंत्री व कैबिनेट मंत्रियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। सरकार ने कैबिनेट के सभी प्रस्ताव स्थगति कर दिए। मुख्यमंत्री ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। मुलायम सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके निधन से समाजवाद के प्रमुख स्तंभ एवं संघर्षशील युग का अंत हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शाम करीब पांच बजे सैफई पहुंचे। उन्होंने आवास पर जाकर श्रद्धांजलि दी। उनके साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह सहित पार्टी के अन्य नेता भी मौजूद थे। उधर बिहार सरकार ने भी एक दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।

लालटोपी और जयकारे से गूंजा सैफई
गुरुग्राम से मुलायम सिंह यादव की पार्थिव देह लेकर एंबुलेंस शाम करीब चार बजे सैफई पहुंची। उनकेसाथ अखिलेश यादव, प्रो रामगोपाल यादव, शिवपाल सिंह यादव सहित परिवार के अन्य सदस्य मौजूद रहे। जैसे ही एंबुलेंस हाइवे से नीचे उतरी तो कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी। एंबुलेंस आवास पर पहुंची तो यहां पहले से मौजूद भीड़ उनकी एक झलक पाने को बेताब हो गए। सुरक्षाकर्मियों ने काफी मुश्किल से भीड़ को नियंत्रित किया। मुलायम सिंह का पार्थिव देह रखने के बाद उनके सिर पर लाल टोपी लगाई गई। बाहर कार्यकर्ता जब तक सूरज चांद रहेगा, तब तक नेताजी का नाम रहेगा जैसे नारे लगाते रहे।

मुलायम के होने का मतलब
सैफई में 22 नवंबर 1939 को जन्म लेने वाले मुलायम सिंह के ज्यादातर फैसले चौकाने वाले रहे। मुलायम सिह यादव के पिता पिता सुधर सिंह उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे। वे पहलवानी के अखाड़े में उतरे भी, लेकिन इस अखाड़े के बहाने वह सियासी पहलवान साबित हुए। राजनीति के माहिर खिलाड़ी मुलायम सिंह ने कई बार आखिरी समय से ऐसा दांव भी खेला हैए जिससे विरोधी चारों खाने चित हो गये हैं। मैनपुरी के करहल स्थित जैन इंटर कॉलेज में प्राध्यापक से लेकर सियासी सफर में उन्होंने कई अहम फैसले लिए। मुलायम सिंह की पत्नी मालती देवी के बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया। मालती देवी की मृत्यू के बाद दूसरी पत्नी साधना को पत्नी केरूप में स्वीकार किया। साधना और मुलायम के बेटे प्रतीक यादव हैं।
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28 साल की उम्र में पहली बार बने विधायक
राम मनोहर लोहिया और राज नरायण जैसे समाजवादी विचारधारा के नेताओं की छत्रछाया में सियासी सफर शुरू करने वाले मुलायम सिंह यादव वर्ष 1967 में 28 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने। फिर 1980 के आखिर में उत्तर प्रदेश में लोक दल के अध्यक्ष बने। वर्ष 1989 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला।

जब बंट गया लोकदल
सपा के मुख्य प्रवक्ता पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी बताते हैं कि 1982 में चौधरी चरण सिंह ने मुलायम सिंह को एमएलसी बनाया और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। उस वक्त संसाधन कम थे, लेकिन मुलायम सिंह ने कभी हार नहीं मानी। पार्टी के पास पुरानी एंबेसडर कार थी, जिसमें कार्यकर्ताओँ के चंदे से पेट्रोल का इंतजाम होता था। नेताजी रातभर यात्रा करते थे। वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में लोकदल को 86 सीटें मिली थीं। मुलायम सिंह यादव नेता विरोधी दल बने और 1986 में चौधरी चरण सिंह बीमार हो गए। अजित सिंह के विदेश से लौटने के बाद लोकदल अ और ब बना। लोकदल ब में करीब 30 विधायक थे। इस बंटवारे के बाद मुलायम सिंह यादव ने क्रांतिकारी मोर्चा बनाया। क्रांति रथ लेकर पूरे प्रदेश में निकले।

फिल्म बागवां देखी थी नेताजी ने
राजेंद्र चौधरी बताते हैं कि मुलायम सिंह हमेशा युवाओं को बढ़ने और आगे बढ़ने की सीख देते थे। फिल्म में उनकी रूचि कम थी, लेकिन अमिताभ बच्चन की फिल्म बागवां की चर्चा हुई तो उसे देखने के लिए तैयार हो गई। इस फिल्म को उन्होंने बहुत मन से देखा था।

दूधियों की मदद रहे तैयार
सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक यादव बताते हैं कि नेताजी हमेशा दूधियों की फिक्र करते थे। वह बैठकों में भी दूध के भाव की चर्चा करते। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के समय कृष्णानगर में पुलिस ने एक दूधिए की साइकिल गिरा दी। नेताजी ने उसे बुलाया और नुकसान की जानकारी ली। फिर दो हजार रुपये दिए।

शहीद जवानों का पार्थिव शरीर घर पहुंचाने का आदेश
मुलायम सिंह यादव के रक्षामंत्री बनने से पहले सेना के लिए अलग नियम था। जब भी सेना का कोई जवान शहीद होता था, तो उसका पार्थिव शरीर उसके घर नहीं पहुंचाया जाता था। शरीर का अंतिम संस्कार सेना के जवान खुद करते थे और आखिर में जवान के घर उसकी एक टोपी भेज दी जाती थी। मुलायम सिंह ने रक्षामंत्री बनने के बाद सबसे पहले इसी को लेकर फैसला लिया। उन्होंने कानून बनाया कि जब भी कोई जवान शहीद होगा तो उसका पार्थिव शरीर पूरे सम्मान के साथ उसके घर ले जाया जाएगा। डीएम और एसएसपी शहीद जवान के पार्थिव शरीर के साथ उसके घर जाएंगे।

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