न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Updated Tue, 05 Feb 2019 12:32 PM IST
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) ने 29 साल पहले 8.39 लाख के घोटाले में नगर निगम के अमीन विजय सिंह को सोमवार को गिरफ्तार किया है। फरार चल रहे अमीन के खिलाफ पांच साल से लगातार वारंट जारी हो रहे थे।
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन के पुलिस महानिदेशक डॉ. राजेंद्रपाल सिंह ने बताया कि घोटालेबाजों की धरपकड़ में जुटी टीम ने लखनऊ में कृष्णानगर के सेक्टर-जी स्थित एलडीए कॉलोनी निवासी नगर निगम के भूमि अध्यापित कार्यलय के अमीन विजय सिंह को गिरफ्तार किया है।
उसने वर्ष 1989-90 में कानपुर रोड नगर प्रसार योजना भाग-3 के तहत औरंगाबाद खालसा में कब्जे के दस्तावेज पर फर्जी परिसंपत्तियां दर्शाकर भुगतान के वाउचर तैयार किए थे। उस पर 8.39 लाख रुपये का गड़बड़ घोटाला करने का आरोप है।
इसकी शिकायत पर आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन द्वारा वर्ष 2000 में कृष्णानगर थाने में केस दर्ज कराया था। साक्ष्य एकत्र करके आरोपपत्र दाखिल किया गया। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के न्यायालय में विचाराधीन मुकदमे में विजय सिंह फरार चल रहा था।
न्यायालय ने फरवरी 2014 से वारंट जारी किया है, लेकिन वह हाथ नहीं आ रहा था। निरीक्षक विनोद कुमार कौल ने न्यायालय से कुर्की का आदेश मिलते ही दबिश दी और विजय कुमार सिंह हत्थे चढ़ गया। पता चला कि वारंट जारी होने के बाद भी वह नगर निगम के भूमि अध्यापित कार्यालय में नौकरी करता रहा।
ईओडब्ल्यू के एसपी डीपीएन पांडेय ने बताया कि पुलिस महानिदेशक ने फरार अमीन को गिरफ्तार करने वाली टीम को पुरस्कृत करने की घोषणा की है। टीम में निरीक्षक विनोद कुमार कौल, मुख्य आरक्षी छैलबिहारी तिवारी, रामनरेश त्रिपाठी व कृष्ण वर्मा शामिल थे।
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) ने 29 साल पहले 8.39 लाख के घोटाले में नगर निगम के अमीन विजय सिंह को सोमवार को गिरफ्तार किया है। फरार चल रहे अमीन के खिलाफ पांच साल से लगातार वारंट जारी हो रहे थे।
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन के पुलिस महानिदेशक डॉ. राजेंद्रपाल सिंह ने बताया कि घोटालेबाजों की धरपकड़ में जुटी टीम ने लखनऊ में कृष्णानगर के सेक्टर-जी स्थित एलडीए कॉलोनी निवासी नगर निगम के भूमि अध्यापित कार्यलय के अमीन विजय सिंह को गिरफ्तार किया है।
उसने वर्ष 1989-90 में कानपुर रोड नगर प्रसार योजना भाग-3 के तहत औरंगाबाद खालसा में कब्जे के दस्तावेज पर फर्जी परिसंपत्तियां दर्शाकर भुगतान के वाउचर तैयार किए थे। उस पर 8.39 लाख रुपये का गड़बड़ घोटाला करने का आरोप है।
इसकी शिकायत पर आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन द्वारा वर्ष 2000 में कृष्णानगर थाने में केस दर्ज कराया था। साक्ष्य एकत्र करके आरोपपत्र दाखिल किया गया। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के न्यायालय में विचाराधीन मुकदमे में विजय सिंह फरार चल रहा था।
वारंट जारी होने के बाद भी कर रहा था नौकरी
न्यायालय ने फरवरी 2014 से वारंट जारी किया है, लेकिन वह हाथ नहीं आ रहा था। निरीक्षक विनोद कुमार कौल ने न्यायालय से कुर्की का आदेश मिलते ही दबिश दी और विजय कुमार सिंह हत्थे चढ़ गया। पता चला कि वारंट जारी होने के बाद भी वह नगर निगम के भूमि अध्यापित कार्यालय में नौकरी करता रहा।
ईओडब्ल्यू के एसपी डीपीएन पांडेय ने बताया कि पुलिस महानिदेशक ने फरार अमीन को गिरफ्तार करने वाली टीम को पुरस्कृत करने की घोषणा की है। टीम में निरीक्षक विनोद कुमार कौल, मुख्य आरक्षी छैलबिहारी तिवारी, रामनरेश त्रिपाठी व कृष्ण वर्मा शामिल थे।