लखनऊ। पीजीआई में बृहस्पतिवार को लेजर तकनीक से पायलोनिडल सिस्ट की सफल सर्जरी हुई। जबकि सामान्य सर्जरी के बाद मरीज को बार-बार फोड़ा निकल आता था। डॉक्टरों का कहना है यह तकनीक अभी तक प्रदेश के किसी भी संस्थान में नहीं है। लेजर तकनीक से हुई सर्जरी के बाद अब दोबारा फोड़े होने की आशंका न के बराबर है।
प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. राजीव अग्रवाल ने बताया सबसे पहले लेजर बीम से फोड़े की सतह को साफ करते हैं। फिर अंदर जहां से फोड़े का ओरजिन होता है, वहां पर लेजर बीम डाल कर पूरे सेल को जला देते हैं। इससे खराब मांसपेशियां नष्ट हो जाती हैं। इस प्रोसीजर में सामान्य एनेस्थीसिया दी जाती है। फोड़ा (सिस्ट) से बाल निकालते हैं। एक से अधिक छिद्र हैं, तो प्रत्येक को साफ कर दिया जाता है। पायलोनिडल साइनस को साफ करने और बंद करने के इस तरीके से पारंपरिक सर्जिकल उपचारों की तुलना में बेहतर परिणाम मिलते हैं। लेजर के बाद पायलोनिडल सिस्ट के दोबारा होने की आशंका 2.9 प्रतिशत से भी कम है। लेजर उपचार में पारंपरिक उपचारों की तुलना में कम रिकवरी समय की आवश्यकता होती है।