टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के लखनऊ क्षेत्रीय कार्यालय को बंद करने और यहां काम कर रहे दो हजार आईटी प्रोफेशनल्स को बाहर भेजने के टीसीएस के निर्णय के खिलाफ स्टाफ और लखनऊवासियों की नाराजगी बढ़ती जा रही है।
बुधवार को सोशल मीडिया पर जहां यह नाराजगी नजर आ रही है, वहीं प्रभावशाली लोगों से मुलाकात करके भी समर्थन की अपील की जा रही है।
कर्मचारियों ने पिछले तीन दिन में मुख्यमंत्री योगी से दो बार मुलाकात की, तीन बार अपने कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और एक बार कैंडल मार्च निकाला। उनका कहना है कि उनकी लड़ाई किसी से नहीं है, वे केवल यही चाहते हैं कि टीसीएस लखनऊ कार्यालय बंद न हो। इसी पर उनका कॅरिअर निर्भर है।
लखनऊ के इंजीनियर छात्रों के लिए भी अपने ही शहर में काम करने का विकल्प यहां मुहैया होता है। शहर के लिए यह संस्थान बना रहना जरूरी है। ऐसे में टीसीएस प्रबंधन और प्रदेश सरकार, दोनों को कर्मचारियों और लखनऊ के हितों को देखते हुए मामले पर विचार करना चाहिए।
दूसरी ओर सोशल मीडिया पर टीसीएस कर्मचारियों और लखनऊ वासियों का जोरदार अभियान जारी है। वे टीसीएस से संबंधित तथ्यों को सामने रखते हुए बता रहे हैं कि लखनऊ में इसे क्यों खत्म किया जा रहा है।
- जब टीसीएस जयपुर, इंदौर और नागपुर में चल सकता है... तो लखनऊ में क्यों नहीं? आपको यूपी के साथ क्या दिक्कत है? - @singh88_pallavi
- यह टीसीएस लखनऊ का विस्थापन नहीं, बल्कि समस्त भावी टैलेंट और स्किल का यूपी से ट्रांसफर होगा। - @vinay_vsm
- इस योगी सरकार से कोई उम्मीद नहीं है, वे कॉरपोरेट फ्रेंडली नहीं हैं। - @imgauravpandey
- हमारे सामने बेंगलुरु, हैदराबाद के उदाहरण हैं, अगर हम लखनऊ को इसी तरह विकसित करना चाहते हैं, तो टीसीएस को कैसे अपना काम समेटने दे सकते हैं। - @anshuhcst
कृपया टीसीएस को बचाएं, यह चला गया तो लखनऊ और उत्तर प्रदेश की विकास की छवि को तगड़ा नुकसान होगा। - @StreakHk
उप्र कांग्रेस ने टीसीएस लखनऊ के बंद होने में सीएम योगी की अकर्मण्यता और गलत नीतियों को जिम्मेदार बताया है। पूरे मामले पर प्रदेश और केंद्र सरकार की चुप्पी से आईटी प्रोफेशनल्स परेशान हैं, सरकार की संवेदनहीनता खत्म नहीं हो रही।
पार्टी प्रवक्ता संजय वाजपेयी ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि एक ओर लखनऊ में टीसीएस अपना काम समेटने जा रही है तो वहीं भुवनेश्वर में तीन हजार भर्तियां करने जा रही है। यह बताता है कि सरकार रोजगार देना तो दूर, बने बनाए रोजगार और अच्छी नौकरियां बचाने जितनी सक्षम भी नहीं है।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के लखनऊ क्षेत्रीय कार्यालय को बंद करने और यहां काम कर रहे दो हजार आईटी प्रोफेशनल्स को बाहर भेजने के टीसीएस के निर्णय के खिलाफ स्टाफ और लखनऊवासियों की नाराजगी बढ़ती जा रही है।
बुधवार को सोशल मीडिया पर जहां यह नाराजगी नजर आ रही है, वहीं प्रभावशाली लोगों से मुलाकात करके भी समर्थन की अपील की जा रही है।
कर्मचारियों ने पिछले तीन दिन में मुख्यमंत्री योगी से दो बार मुलाकात की, तीन बार अपने कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और एक बार कैंडल मार्च निकाला। उनका कहना है कि उनकी लड़ाई किसी से नहीं है, वे केवल यही चाहते हैं कि टीसीएस लखनऊ कार्यालय बंद न हो। इसी पर उनका कॅरिअर निर्भर है।
लखनऊ के इंजीनियर छात्रों के लिए भी अपने ही शहर में काम करने का विकल्प यहां मुहैया होता है। शहर के लिए यह संस्थान बना रहना जरूरी है। ऐसे में टीसीएस प्रबंधन और प्रदेश सरकार, दोनों को कर्मचारियों और लखनऊ के हितों को देखते हुए मामले पर विचार करना चाहिए।
दूसरी ओर सोशल मीडिया पर टीसीएस कर्मचारियों और लखनऊ वासियों का जोरदार अभियान जारी है। वे टीसीएस से संबंधित तथ्यों को सामने रखते हुए बता रहे हैं कि लखनऊ में इसे क्यों खत्म किया जा रहा है।
ट्विटर पर चल रहे कुछ इस तरह के कमेंट्स
ट्विटर
- जब टीसीएस जयपुर, इंदौर और नागपुर में चल सकता है... तो लखनऊ में क्यों नहीं? आपको यूपी के साथ क्या दिक्कत है? - @singh88_pallavi
- यह टीसीएस लखनऊ का विस्थापन नहीं, बल्कि समस्त भावी टैलेंट और स्किल का यूपी से ट्रांसफर होगा। - @vinay_vsm
- इस योगी सरकार से कोई उम्मीद नहीं है, वे कॉरपोरेट फ्रेंडली नहीं हैं। - @imgauravpandey
- हमारे सामने बेंगलुरु, हैदराबाद के उदाहरण हैं, अगर हम लखनऊ को इसी तरह विकसित करना चाहते हैं, तो टीसीएस को कैसे अपना काम समेटने दे सकते हैं। - @anshuhcst
कृपया टीसीएस को बचाएं, यह चला गया तो लखनऊ और उत्तर प्रदेश की विकास की छवि को तगड़ा नुकसान होगा। - @StreakHk
कांग्रेस ने कहा लखनऊ टीसीएस बंद, भुवनेश्वर चालु
टीसीएस स्टाफ
उप्र कांग्रेस ने टीसीएस लखनऊ के बंद होने में सीएम योगी की अकर्मण्यता और गलत नीतियों को जिम्मेदार बताया है। पूरे मामले पर प्रदेश और केंद्र सरकार की चुप्पी से आईटी प्रोफेशनल्स परेशान हैं, सरकार की संवेदनहीनता खत्म नहीं हो रही।
पार्टी प्रवक्ता संजय वाजपेयी ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि एक ओर लखनऊ में टीसीएस अपना काम समेटने जा रही है तो वहीं भुवनेश्वर में तीन हजार भर्तियां करने जा रही है। यह बताता है कि सरकार रोजगार देना तो दूर, बने बनाए रोजगार और अच्छी नौकरियां बचाने जितनी सक्षम भी नहीं है।