सपा शासन में हुए चर्चित गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सुबूत जुटाने के लिए सोमवार को सीबीआई ने ताबड़तोड़ छापे मारे। सिंचाई विभाग के इस प्रोजेक्ट से जुड़े रहे तत्कालीन 16 इंजीनियरों समेत 189 फर्म्स और कंपनियों के प्रतिनिधियों के ठिकानों पर छानबीन की गई। यूपी के 13 शहरों के अलावा अलवर (राजस्थान) और कोलकाता में एक साथ 40 जगहों पर सीबीआई की टीमें पहुंचीं। देर शाम तक सीबीआई की पड़ताल जारी थी।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने यूपी सरकार के अनुरोध पर दो जुलाई को ही इस मामले में केस दर्ज किया था। यह मुकदमा आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत लिखा गया। प्रदेश सरकार के तत्कालीन मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंता समेत 16 सरकारी कार्मिकों के अलावा 173 निजी लोगों, फर्मों और कंपनियों आरोपी बनाया गया। सिंचाई विभाग के करीब 407 करोड़ रुपये लागत के गोमती रिवर चैनलाइजेशन प्रोजेक्ट और गोमती रिवर फ्रंट डवलपमेंट प्रोजेक्ट में अनियमितताएं और अवैध गतिविधियां सामने आने पर यह कार्रवाई की गई। इससे पहले लखनऊ के गोमती नगर पुलिस थाने में भी इस मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है।
सीबीआई ने लखनऊ, सीतापुर, रायबरेली, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़, गोरखपुर, आगरा, बुलंदशहर, एटा, मुरादाबाद, मेरठ, इटावा के अलावा अलवर और कोलकाता में कुल 40 ठिकानों पर देर शाम तक यह कार्यवाही जारी थी। ये ठिकाने आरोपी बनाए गए तत्कालीन मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता (एसई), अधिशासी अभियंता (एक्सईएन), सहायक अभियंता (एई) और निजी ठेकेदार, फर्मों और कंपनियों के हैं। सीबीआई के मुताबिक, तलाशी के दौरान घोटाले से जुड़े तमाम दस्तावेज और अन्य चीजें मिली हैं।
- सिंचाई विभाग के तत्कालीन एसई शिव मंगल यादव का रुचि खंड, गोमती नगर स्थित आवास, लखनऊ।
- तत्कालीन एसई और एक्सईएन रहे रूप सिंह यादव के शिवालिक अपार्टमेंट कौशाम्बी (गाजियाबाद) और एनआरआई सिटी ग्रेटर नोएडा स्थित आवास।
- तत्कालीन मुख्य अभियंता, शारदा सहायक सिद्ध नारायण शर्मा के सेक्टर-5, वैशाली (गाजियाबाद) स्थित आवास।
- तत्कालीन एसई अखिल रमन के विपुल खंड, गोमती नगर, लखनऊ स्थित आवास।
- तत्कालीन मुख्य अभियंता, पंचम वृत्त, बरेली ओम वर्मा के विकास नगर, लखनऊ स्थित आवास।
- तत्कालीन मुख्य अभियंता, शारदा सहायक काजिम अली के अनूप शहर रोड स्थित आवास, अलीगढ़
- तत्कालीन एसई, बरेली जीवन राम यादव के इंदिरा नगर, लखनऊ स्थित आवास।
- तत्कालीन एसई सीतापुर वृत्त सुरेंद्र कुमार पाल के साउथ सिटी, रायबरेली, लखनऊ स्थित आवास।
- तत्कालीन एसई, सप्तम वृत्त, कमलेश्वर सिंह के विकास नगर लखनऊ स्थित आवास।
- तराई कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर आसिफ खान के महानगर, लखनऊ स्थित आवासीय और आधिकारिक परिसर।
- हाईटेक कॉम्पीटेंट बिल्डर्स के डायरेक्टर मोहन गुप्ता के आवासीय व आधिकारिक परिसर, इंडस्ट्रियल एरिया, भिवाड़ी, अलवर (राजस्थान)।
- अंगराज सिविल प्रोजेक्ट्स के एमडी अंगेश कुमार सिंह के आवासीय व आधिकारिक परिसर, राजाजीपुरम लखनऊ।
- मेसर्स ग्रीन डेकर के प्रोपराइटर सत्येंद्र त्यागी के सेक्टर 29, नोएडा स्थित आवासीय व आधिकारिक परिसर।
- एवीएस इंटरप्राजेज के प्रोपराइटर विक्रम अग्रवाल के चिनहट लखनऊ और गोल मार्केट, लखनऊ स्थित आवासीय व आधिकारिक परिसर।
- मेसर्स रिशु कंस्ट्रक्शन अनमोल एसोेसिएट्स ज्वाइंट वेंचर के प्रोपराइटर अखिलेश कुमार सिंह के राप्तीनगर, शाहपुर, गोरखपुर और गोमतीनगर व इंदिरानगर लखनऊ स्थित आवासीय व आधिकारिक परिसर।
- अन्नाप्यूमा ट्रेडिंग कंपनी के प्रोपराइटर नितिन गुप्ता के पुरानी विजय नगर, कालोनी, आगरा के आवासीय व आधिकारिक परिसर।
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सपा शासन में हुए चर्चित गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सुबूत जुटाने के लिए सोमवार को सीबीआई ने ताबड़तोड़ छापे मारे। सिंचाई विभाग के इस प्रोजेक्ट से जुड़े रहे तत्कालीन 16 इंजीनियरों समेत 189 फर्म्स और कंपनियों के प्रतिनिधियों के ठिकानों पर छानबीन की गई। यूपी के 13 शहरों के अलावा अलवर (राजस्थान) और कोलकाता में एक साथ 40 जगहों पर सीबीआई की टीमें पहुंचीं। देर शाम तक सीबीआई की पड़ताल जारी थी।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने यूपी सरकार के अनुरोध पर दो जुलाई को ही इस मामले में केस दर्ज किया था। यह मुकदमा आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत लिखा गया। प्रदेश सरकार के तत्कालीन मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंता समेत 16 सरकारी कार्मिकों के अलावा 173 निजी लोगों, फर्मों और कंपनियों आरोपी बनाया गया। सिंचाई विभाग के करीब 407 करोड़ रुपये लागत के गोमती रिवर चैनलाइजेशन प्रोजेक्ट और गोमती रिवर फ्रंट डवलपमेंट प्रोजेक्ट में अनियमितताएं और अवैध गतिविधियां सामने आने पर यह कार्रवाई की गई। इससे पहले लखनऊ के गोमती नगर पुलिस थाने में भी इस मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है।
सीबीआई ने लखनऊ, सीतापुर, रायबरेली, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़, गोरखपुर, आगरा, बुलंदशहर, एटा, मुरादाबाद, मेरठ, इटावा के अलावा अलवर और कोलकाता में कुल 40 ठिकानों पर देर शाम तक यह कार्यवाही जारी थी। ये ठिकाने आरोपी बनाए गए तत्कालीन मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता (एसई), अधिशासी अभियंता (एक्सईएन), सहायक अभियंता (एई) और निजी ठेकेदार, फर्मों और कंपनियों के हैं। सीबीआई के मुताबिक, तलाशी के दौरान घोटाले से जुड़े तमाम दस्तावेज और अन्य चीजें मिली हैं।