केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। प्रस्तावित परिसीमन आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने अपने प्रतिनिधि के रूप में सुशील चंद्रा को नामित किया है। आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे। चंद्रा फिलहाल चुनाव आयोग में चुनाव आयुक्त हैं।
माना जा रहा है कि केंद्र सरकार की ओर से परिसीमन आयोग की घोषणा जल्द की जा सकती है। कहा जा रहा है कि परिसीमन होने के बाद कई विधानसभा क्षेत्रों का भूगोल बदल जाएगा। कुछ आरक्षित सीटें अनारक्षित श्रेणी में चली जाएंगी, जबकि कई आरक्षित श्रेणी में आ जाएंगी। अनुसूचित जनजाति के लिए भी सीटें आरक्षित होंगी। पहली बार एसटी को सीटें आरक्षित होने का लाभ मिलेगा।
केंद्र सरकार की ओर से सदस्य का नाम मांगे जाने के बाद आयोग ने सुशील चंद्रा को नामित किया। प्रस्तावित परिसीमन आयोग अधिसूचना के बाद अपना काम शुरू कर सकेगा। इसका प्रमुख काम नए बने केंद्र शासित प्रदेश की लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं का रेखांकन करना है। इसके अलावा जनसंख्या के आधार पर अनुसूचित जाति और जनजातियों के हिसाब से सीटों का बंटवारा भी इसमें शामिल है।
5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटा गया था। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के अनुसार एससी और एसटी के आरक्षण के हिसाब से मौजूदा विधानसभा की 107 सीटों को बढ़ाकर 114 कर दिया गया। इनमें पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के लिए 24 सीट भी शामिल हैं।
केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले जम्मू- कश्मीर विधानसभा की सदस्य संख्या 87 थी। इनमें से चार सीटें लद्दाख संभाग में थीं। 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर के लिए सुरक्षित थीं। इस प्रकार लद्दाख की चार सीटों को छोड़कर विधानसभा की सदस्य संख्या 107 रह गई, जिसे पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार बढ़ाकर 114 कर दिया गया है। यानी सात सीटें बढ़ गई हैं।
परिसीमन आयोग के प्रमुख चुनाव आयुक्त होते हैं। आयोग के दो पूर्व अधिकारी संगारा राम और आरके श्रीवास्तव नवंबर, 2019 से परिसीमन की बारीकियों पर काम कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने तेलंगाना, उत्तराखंड, गोवा और पु़ड्डुचेरी के परिसीमन का अध्ययन किया है। प्रस्तावित परिसीमन को गृह मंत्रालय अंतिम रूप देगा।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। प्रस्तावित परिसीमन आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने अपने प्रतिनिधि के रूप में सुशील चंद्रा को नामित किया है। आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे। चंद्रा फिलहाल चुनाव आयोग में चुनाव आयुक्त हैं।
माना जा रहा है कि केंद्र सरकार की ओर से परिसीमन आयोग की घोषणा जल्द की जा सकती है। कहा जा रहा है कि परिसीमन होने के बाद कई विधानसभा क्षेत्रों का भूगोल बदल जाएगा। कुछ आरक्षित सीटें अनारक्षित श्रेणी में चली जाएंगी, जबकि कई आरक्षित श्रेणी में आ जाएंगी। अनुसूचित जनजाति के लिए भी सीटें आरक्षित होंगी। पहली बार एसटी को सीटें आरक्षित होने का लाभ मिलेगा।
केंद्र सरकार की ओर से सदस्य का नाम मांगे जाने के बाद आयोग ने सुशील चंद्रा को नामित किया। प्रस्तावित परिसीमन आयोग अधिसूचना के बाद अपना काम शुरू कर सकेगा। इसका प्रमुख काम नए बने केंद्र शासित प्रदेश की लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं का रेखांकन करना है। इसके अलावा जनसंख्या के आधार पर अनुसूचित जाति और जनजातियों के हिसाब से सीटों का बंटवारा भी इसमें शामिल है।
आयोग के दो पूर्व अधिकारी चार महीने से इस पर कर रहे हैं काम
5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटा गया था। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के अनुसार एससी और एसटी के आरक्षण के हिसाब से मौजूदा विधानसभा की 107 सीटों को बढ़ाकर 114 कर दिया गया। इनमें पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के लिए 24 सीट भी शामिल हैं।
केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले जम्मू- कश्मीर विधानसभा की सदस्य संख्या 87 थी। इनमें से चार सीटें लद्दाख संभाग में थीं। 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर के लिए सुरक्षित थीं। इस प्रकार लद्दाख की चार सीटों को छोड़कर विधानसभा की सदस्य संख्या 107 रह गई, जिसे पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार बढ़ाकर 114 कर दिया गया है। यानी सात सीटें बढ़ गई हैं।
परिसीमन आयोग के प्रमुख चुनाव आयुक्त होते हैं। आयोग के दो पूर्व अधिकारी संगारा राम और आरके श्रीवास्तव नवंबर, 2019 से परिसीमन की बारीकियों पर काम कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने तेलंगाना, उत्तराखंड, गोवा और पु़ड्डुचेरी के परिसीमन का अध्ययन किया है। प्रस्तावित परिसीमन को गृह मंत्रालय अंतिम रूप देगा।