निचली अदालतों में मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों के दौरे पर न्यायिक अधिकारी अपनी कुर्सी छोड़कर स्वागत करने नहीं आएंगे। अदालती कामकाज के समय में इस पर पूरी तरह से मनाही रहेगी। मुख्य न्यायाधीश की वापसी पर भी अदालतों के जज उन्हें छोड़ने के लिए नहीं आएंगे।
स्वागत और छोड़ने के लिए केवल गैर न्यायिक प्रशासनिक अधिकारी ही नियम व प्रोटोकॉल के तहत निर्देशों का पालन करेंगे। न्यायिक अधिकारी यदि इसका उल्लंघन करते हैं तो उसे घोर कदाचार मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल ने इससे संबंधित दिशा निर्देश जारी किए हैं।
प्रोटोकॉल के मुताबिक यदि मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश को न्यायिक अधिकारियों से कोई बैठक करनी होगी या उन्हें बुलाना होगा, तो वह अदालत का काम खत्म होने से पहले या फिर बाद में करेंगे। आधिकारिक रूप से बुलाए जाने तक कोई भी अधिकारी खुद चलकर उनके पास नहीं आएगा।
मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश के निजी दौरे के इंतजामों में भी न्यायिक अधिकारी शामिल नहीं होंगे। यदि मुख्य न्यायाधीश/न्यायाधीशों के आधिकारिक दौरे के संबंध में व्यवस्था जिला न्यायाधीश या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जानी आवश्यक है तो सभी बिलों को उनके नाम से लिया जाएगा और भुगतान सीधे उनके द्वारा किया जाएगा।
कोई भी न्यायिक अधिकारी मुख्य न्यायाधीश/न्यायाधीशों के दौरे के लिए किसी धार्मिक स्थल की यात्रा या यात्रा सहित किसी भी निजी यात्रा की व्यवस्था नहीं करेगा। न्यायिक अधिकारी अतिथि मुख्य न्यायाधीश/न्यायाधीश, उनके स्टाफ सदस्यों और सुरक्षा कर्मियों के लिए होटल, भोजन या परिवहन की व्यवस्था नहीं करेगा और कोई उपहार या आतिथ्य प्रदान नहीं करेगा। जेएनएफ/संवाद
सरकारी खर्चे पर सिर्फ आधिकारिक आयोजन
न्यायिक अधिकारी द्वारा लिखित निर्देश पर और सरकार के खर्चे पर आयोजित आधिकारिक समारोहों को छोड़कर कोई समारोह आयोजित नहीं किया जाएगा। इन निर्देशों के किसी भी उल्लंघन को घोर कदाचार माना जाएगा और संबंधित न्यायिक अधिकारी के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
विस्तार
निचली अदालतों में मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों के दौरे पर न्यायिक अधिकारी अपनी कुर्सी छोड़कर स्वागत करने नहीं आएंगे। अदालती कामकाज के समय में इस पर पूरी तरह से मनाही रहेगी। मुख्य न्यायाधीश की वापसी पर भी अदालतों के जज उन्हें छोड़ने के लिए नहीं आएंगे।
स्वागत और छोड़ने के लिए केवल गैर न्यायिक प्रशासनिक अधिकारी ही नियम व प्रोटोकॉल के तहत निर्देशों का पालन करेंगे। न्यायिक अधिकारी यदि इसका उल्लंघन करते हैं तो उसे घोर कदाचार मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल ने इससे संबंधित दिशा निर्देश जारी किए हैं।
प्रोटोकॉल के मुताबिक यदि मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश को न्यायिक अधिकारियों से कोई बैठक करनी होगी या उन्हें बुलाना होगा, तो वह अदालत का काम खत्म होने से पहले या फिर बाद में करेंगे। आधिकारिक रूप से बुलाए जाने तक कोई भी अधिकारी खुद चलकर उनके पास नहीं आएगा।
मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश के निजी दौरे के इंतजामों में भी न्यायिक अधिकारी शामिल नहीं होंगे। यदि मुख्य न्यायाधीश/न्यायाधीशों के आधिकारिक दौरे के संबंध में व्यवस्था जिला न्यायाधीश या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जानी आवश्यक है तो सभी बिलों को उनके नाम से लिया जाएगा और भुगतान सीधे उनके द्वारा किया जाएगा।
कोई भी न्यायिक अधिकारी मुख्य न्यायाधीश/न्यायाधीशों के दौरे के लिए किसी धार्मिक स्थल की यात्रा या यात्रा सहित किसी भी निजी यात्रा की व्यवस्था नहीं करेगा। न्यायिक अधिकारी अतिथि मुख्य न्यायाधीश/न्यायाधीश, उनके स्टाफ सदस्यों और सुरक्षा कर्मियों के लिए होटल, भोजन या परिवहन की व्यवस्था नहीं करेगा और कोई उपहार या आतिथ्य प्रदान नहीं करेगा।
जेएनएफ/संवाद
सरकारी खर्चे पर सिर्फ आधिकारिक आयोजन
न्यायिक अधिकारी द्वारा लिखित निर्देश पर और सरकार के खर्चे पर आयोजित आधिकारिक समारोहों को छोड़कर कोई समारोह आयोजित नहीं किया जाएगा। इन निर्देशों के किसी भी उल्लंघन को घोर कदाचार माना जाएगा और संबंधित न्यायिक अधिकारी के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।