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जम्मू-कश्मीर: परिसीमन की सरगर्मी तेज, आयोग ने सभी उपायुक्तों से मांगी रिपोर्ट

बृजेश कुमार सिंह, जम्मू Published by: प्रशांत कुमार Updated Tue, 08 Jun 2021 01:17 PM IST
सार

आयोग में शामिल उप निर्वाचन आयुक्त चंद्रभूषण की ओर से सभी उपायुक्तों से सूचनाएं उपलब्ध कराने को कहा गया है। इसमें  भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या, अनुसूचित जाति-जनजाति की आबादी व प्रतिशत, कनेक्टिविटी की स्थिति, संचार संबंधी सुविधाओं की जानकारी देने को कहा गया है। साथ ही यह भी पूछा गया है कि कहीं कोई किसी प्रकार की बाधा है तो उसका भी उल्लेख किया जाए। किसी प्रकार की राजनीतिक आकांक्षाएं हों तो उसका भी जिक्र किया जाना चाहिए।

Delimitation process intensified in Jammu and Kashmir, Commission sought report from all Deputy Commissioners
परिसीमन आयोग कीबैठक(फाइल फोटो) - फोटो : ANI

विस्तार
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जम्मू-कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया की सरगर्मी बढ़ गई है। दिल्ली में हुई पहली बैठक के बाद अब आयोग ने सभी जिलों की प्रोफाइल संबंधी रिपोर्ट तलब की है। सभी उपायुक्तों को पत्र भेजकर इन जानकारियों को उपलब्ध कराने को कहा गया है। साथ ही कहा गया है कि उनसे वर्चुअल तरीके से जल्द संवाद होगा। संवाद की तिथि फिलहाल नहीं बताई गई है। रविवार को उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा और गृहमंत्री अमित शाह के बीच हुई बैठक में भी परिसीमन का मुद्दा उठा था। 



सूत्रों के अनुसार सभी डीसी को सोमवार तक इन सूचनाओं पर आधारित रिपोर्ट निवार्चन कार्यालय जम्मू-कश्मीर को उपलब्ध कराने को कहा गया। यहां से सूचनाएं परिसीमन आयोग को भेजी जाएंगी। सूत्रों ने बताया कि सोमवार को देर शाम तक लगभग सभी जिलों की रिपोर्ट पहुंच गई थी। इन्हें मंगलवार तक आयोग को भेजे जाने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार उप निर्वाचन आयुक्त ने यह भी कहा है कि परिसीमन के विषय में जल्द ही वर्चुअल माध्यम से संवाद होगा ताकि प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके। ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने परिसीमन के लिए रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया है। इसका कार्यकाल मार्च महीने में एक साल के लिए बढ़ाया गया है। 

अब तक आयोग की हुई है एक बैठक

परिसीमन आयोग की अब तक एक ही बैठक हुई है। कोरोना संक्रमण के चलते दूसरी बैठक नहीं बुलाई जा सकी। दिल्ली में परिसीमन आयोग की गत मार्च महीने में हुई पहली बैठक में भाजपा के दोनों सांसदों डॉ. जितेंद्र सिंह व जुगल किशोर शर्मा ने भाग लिया था। नेशनल कांफ्रेंस के तीनों सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी व मोहम्मद अकबर लोन ने बैठक का बहिष्कार किया था। उनका तर्क था कि अनुच्छेद 370 वैधानिक तरीके से नहीं हटाया गया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

इस वजह से वे बैठक का हिस्सा नहीं हो सकते। इस घटनाक्रम के दो महीने बाद मई में नेकां की केंद्रीय कार्यकारिणी की हुई बैठक में यह तय किया गया कि वे परिसीमन आयोग की बैठक से अपने को अलग नहीं रख सकते। लिहाजा वे बैठक का हिस्सा बनेंगे। नेकां के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि आयोग को अपना काम पूरा करने में सहूलियत रहेगी।
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