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बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डे के निर्माण पर प्रभावित तलख, आंदोलन की चेतावनी
शिमला ब्यूरो
Updated Sat, 28 Nov 2020 10:35 PM IST
बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डा के विरोध को लेकर एसडीएम बल्ह के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजत?
- फोटो : Mandi
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नेरचौक(मंडी)। बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डे के निर्माण की कवायद तेज होने के साथ-साथ विरोध के स्वर भी तल्ख हो गए हैं। शनिवार को बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति ने प्रस्तावित एयरपोर्ट के निर्माण के विरोध में एसडीएम बल्ह आशीष शर्मा के माध्यम से राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को भेजा। इसमें आग्रह किया गया है कि हवाई अड्डे का निर्माण बल्ह को छोड़कर किसी अन्य जगह किया जाए। बल्ह के किसानों की उपजाऊ जमीन इसमें जा रही है। अपनी जमीनों को उजड़ता देख किसानों में भारी रोष है। अगर सरकार नहीं मानी तो किसानों को मजबूरन संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ेगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। प्रतिनिधिमंडल में संघर्ष समिति के अध्यक्ष जोगिंदर वालिया, सचिव नंद लाल वर्मा, किसान सभा अध्यक्ष परस राम, श्याम लाल चौधरी पूर्व प्रधान, भुवनेश्वर लाल पूर्व प्रधान, गुलाम रसूल, इस्माइल मोहम्मद, लाल सिंह, भवानी सिंह, नंद्र लाल, भागीरथ चौधरी, रोशन लाल, हरी राम आदि शामिल हुए।
बताए नुकसान : अधिकांश निजी भूमि पर बनेगा हवाई अड्डा
प्रस्तावित बल्ह हवाई अड्डे में 3500 बीघा भूमि का अधिग्रहण होगा। इसमें 460 बीघा सरकारी और 3040 बीघा निजी भूमि आएगी। लोग नकदी फसलों, पशुपालन, उद्योगों और निर्माण मशीनरी से जुड़कर अपने परिवार को पाल रहे हैं। उनके लिए क्या वैकल्पिक व्यवस्था सरकार करेगी। हवाई अड्डे का निर्माण होता है तो लाखों पेड़ कटेंगे और जंगली जानवरों सहित विभिन्न प्रकार के पक्षियों की प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी। इससे पर्यावरण को भारी नुकसान होगा। सुकेती खड्ड, कंसा और लोहारी खड्ड प्रस्तावित हवाई अड्डे के बीचों-बीच बहती हैं और 10-12 फुट पर पानी उपलब्ध है। प्रस्तावित हवाई अड्डे के निर्माण से पानी के वर्तमान स्रोत हवाई अड्डे की चपेट में आ जाएंगे, जिससे प्रस्तावित हवाई अड्डे से लगती पंचायतों और नगर परिषद में पेयजल और सिंचाई योजनाएं ठप होकर रह जाएंगी।
फोरलेन के बाद अब हवाई अड्डे के निर्माण की मार
प्रभावितों का कहना है कि फोरलेन में प्रभावितों की अनदेखी हो रही है। अब उसी स्थान पर हवाई अड्डे का प्रोजेक्ट लोगों पर दोहरी मार करेगा। वर्तमान में फोरलेन में भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को लागू नहीं किया गया है। किसानों को चार गुना मुआवजा देने से मना कर दिया गया है। पुनर्स्थापना और पुनर्निवास लागू नहीं किया जा रहा है। इससे किसानों में पहले ही भारी रोष है और प्रस्तावित हवाई अड्डे में जो जमीन जा रही है, उसके मार्केट रेट और सर्कल रेट में भारी अंतर है। वर्तमान में किसानों को मुआवजा सर्किल रेट से मिलता है, जिससे बहुत ज्यादा नुकसान होगा।
रेलवे लाइन से भी विस्थापित होंगे लोग
प्रस्तावित रेलवे लाइन भी इसी हवाई अड्डे के साथ-साथ जाएगी। इससे बल्ह में बची हुई जनता भी विस्थापित होने से नहीं बच पाएगी। बल्ह बहु फसलीय इलाका है, नकदी फसलों की आधुनिक तरीके से खेती की जाती है। सरकार रोजगार उपलब्ध नहीं करवा रही है। बल्ह का पढ़ा लिखा बेरोजगार नौजवान नकदी फसलें उगाकर अपना परिवार पाल रहा है। उसे क्यों उजाड़ा जा रहा है।
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