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Rohtak: दुष्कर्म के बाद हत्या करने वाले नौकर को आखिरी सांस तक कैद, 74 साल की बुजुर्ग से की थी दरिंदगी

अमर उजाला ब्यूरो, रोहतक (हरियाणा) Published by: भूपेंद्र सिंह Updated Thu, 23 Mar 2023 09:25 PM IST
सार

पीड़ित पक्ष के वकील ने फांसी की सजा की मांग की थी, उन्होंने कहा कि ऐसी मानसिकता के लोग समाज के लिए खतरनाक हैं। एडीजे डॉ. गगनगीत कौर की अदालत ने फैसला सुनाया है। हाथों से सोने कड़े व कानों से बालियां गायब मिली थीं।

Servant sentenced to life imprisonment for murder after rape
court demo - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

हरियाणा के रोहतक शहर में चार साल पहले दुष्कर्म के बाद 74 साल की मकान मालकिन की हत्या करने वाले घरेलू नौकर प्रवीण को अदालत ने आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई है। साथ में 25 हजार रुपये जुर्माना भी किया है। हालांकि पीड़ित पक्ष ने दोषी को गंभीर अपराध के चलते फांसी की सजा की मांग की थी। अदालत ने ऐसे लोगों को समाज के लिए खतरनाक माना, लेकिन फांसी की सजा नहीं दी।



पीड़ित पक्ष के वकील गौरव खुराना ने बताया कि 2019 में शहर के एक इलाके में एक 74 साल की बुजुर्ग महिला की गला घोंट कर हत्या कर दी गई थी। साथ ही उसके हाथों से सोने कड़े व कानों से बालियां गायब मिली थीं। जब पोस्टमार्टम कराया गया तो पता चला कि महिला की दुष्कर्म के बाद गला दबाकर हत्या की गई है। पुलिस ने कार्रवाई करते घरेलू नौकर प्रवीण को गिरफ्तार किया था। उसे वारदात से चार दिन पहले ही महिला ने पति की देखभाल के लिए रखा था।


20 मार्च को कोर्ट ने आरोपी घरेलू नौकर प्रवीण को दोषी करार दिया था। उसे 22 मार्च को सजा सुनाई जानी थी, लेकिन बचाव पक्ष का वकील अदालत में मौजूद नहीं था। ऐसे में एक दिन के लिए फैसला टाल दिया था। गुरुवार को अदालत ने आईपीसी की धारा 376ए के तहत आखिरी सांस तक उम्रकैद यानि जिंदा रहने तक जेल में रहेगा। धारा 302 के तहत आजीवन कारावास व 20 हजार रुपये जुर्माना व मृतक व्यक्ति से लूटपाट करने पर धारा 404 के तहत सात साल की कैद व 5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है।

परिवार का वास्ता देकर की सजा कम की मांग
उधर, अदालत में सजा पर बहस के दौरान पीड़ित पक्ष ने जहां फांसी की मांग की, जबकि बचाव पक्ष ने परिवार का वास्ता देकर सजा कम देने की मांग की। कहा कि दोषी करार दिए गए युवक के छोटे-छोटे बच्चे हैं। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस के बाद दोषी को फांसी की सजा तो नहीं दी, लेकिन आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा दी है।

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