प्रशासन ने एप बेस्ड कैब को भेजा रिमाइंडर, विभाग किराया ड्राफ्ट का करेगा रिव्यू
हजारों की संख्या में रोज कैब से सफर करने वाले शहरवासियों को मिलेगी बड़ी राहत
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। शहर की सड़कों पर फर्राटा भर रही एप बेस्ड कैब पर प्रशासन नकेल कसने जा रहा है। आए दिन किराया अधिक वसूलने की शिकायत मिलने पर प्रशासन किराया ड्राफ्ट रिव्यू करने जा रहा है। इसके लिए यूटी के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की ओर से सभी एप बेस्ड कैब कंपनियों को नोटिस जारी किया गया है। इन्हें नोटिस देकर 15 दिन के अंदर रिव्यू के लिए हाजिर होने के लिए कहा गया है।
ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी डॉ. एके सिंगला ने बताया कि ओला, उबर कंपनी को नोटिस भेजकर पूछा गया है कि वह कि तरह से किराया कैलकुलेट करते हैं, लेकिन दोनों ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। इसलिए दोनों को रिमांइडर भेजकर 15 दिन के अंदर जवाब देने के लिए कहा गया है। अभी तक रेडियो टैक्सी का 20 रुपये अधिकतम किराया तय किया गया है। अब सीजन वाइज इसे तय कर फेयर पॉलिसी बनाई जाएगी।
ऐसे वसूला जाता है अधिक किराया
शहर में खासकर रात के समय या बरसात की स्थिति में किराया कहीं ज्यादा लिया जाता है। इसी तरह से ट्रैफिक और पीक ऑवर्स में भी सामान्य से ज्यादा किराया वसूल किया जाता है। कई बार तो ग्राहकों की कैब चालकों या कंपनी से इसको लेकर अनबन भी होती रहती है। यह तब ज्यादा होता है जब कैब बुक कराते समय दर्शाए गए किराये और ट्रिप खत्म होने के बाद लगने वाले किराये में अंतर होता है। कई बार तो यह अंतर काफी ज्यादा होता है। किराये के साथ कंपनी सरचार्ज जोड़ देती है। साथ ही प्रति मिनट के हिसाब से अलग से चार्ज जोड़ा जाता है। ऐसी बहुत सी शिकायतें प्रशासन के पास पहुंच रही हैं।
नोटिस के बाद भी नहीं आई कंपनी
फेयर सिस्टम को लेकर मिल रही शिकायतों के बाद एसटीए ने दो प्रमुख एप कैब कंपनी उबर और ओला को नोटिस देकर जवाब मांगा था। इस पर जो तर्क कंपनियों ने प्रशासन को दिया उससे वह संतुष्ट नहीं हुआ, तो उनसे रिकॉर्ड मंगवाया कि किस आधार पर वह किराये की गणना करते हैं। लेकिन दोनों कंपनियों में से किसी ने भी अभी तक इस संदर्भ में ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को कोई जानकारी नहीं दी गई है। कंपनियों की लापरवाही पर प्रशासन ने कड़ी आपत्ति जताते हुए 15 दिने के अंदर तलब होने के निर्देश दिए हैं।
लगातार शहर में बढ़ रही कैब की संख्या
एप बेस्ड कैब शहर में तेजी से बढ़ रही है। इनकी संख्या 8 हजार से अधिक हो चुकी है। हर महीने 50 से अधिक नई कैब आ रही हैं। बढ़ती संख्या से अंदाजा लगा सकते हैं कि कितना ज्यादा इनका इस्तेमाल शहर में होने लगा है। इसी को देखते हुए फेयर पॉलिसी जरूरी हो गई है। एक साल के अंदर सभी टैक्सी को सीएनजी करना जरूरी है।