पलवल। कृषि कानूनों के विरोध में केएमपी-केजीपी इंटरचेंज पर जारी किसान धरने में शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि मनाई गई। धरने में चौधरी चरण सिंह के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई तथा उन्हें याद किया गया। किसान नेताओं ने कहा कि चौधरी चरण सिंह को किसानों का सच्चा मसीहा व हितैषी कहा जाता है। पूरे जीवन में वे किसान व कमेरा वर्ग के हितों व उनके उत्थान के लिए संघर्ष करते रहे। ग्रामीण परिवेश में जन्म लेने व एक साधारण गरीब व किसान परिवार में पले-बढ़े होने के कारण वे किसानों व गरीब लोगों की समस्याओं को भली-भांति जानते थे। किसान संघर्ष समिति के नेतृत्व में चल रहे धरने की अध्यक्षता स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती ने की, जबकि संचालन राजकुमार ओलिहान ने किया।
धरने में किसान नेताओं ने कहा कि पिछले छह माह से चल रहे किसान आंदोलन आज पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण बन गया है। काफी उतार-चढ़ाव व सरकार द्वारा आंदोलन को तोड़ने के लिए तरह-तरह के बेबुनियाद आरोप लगाने के बाद भी 500 किसान संगठनों की एकता के साथ आंदोलन निर्णायक दिशा की तरफ बढ़ रहा है। सरकार किसानों से वार्ता कर हल निकालने के लिए कहती है, परंतु कोरोना काल में महामारी न बढ़े इसलिए किसानों वार्ता के लिए पत्र लिखा, परंतु सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया। सरकार के इस बेरुखी से किसानों के अंदर भारी आक्रोश है। अब किसानों ने निर्णय लिया है कि चाहे सालों लग जाए किसान तीनों किसी कानूनों को रद्द कराए तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी व अन्य मांगों के समाधान के बिना घर वापस नहीं जाएंगे। धरने में किसानों के विरोध के बावजूद
हरियाणा में संपत्ति क्षतिपूर्ति विधेयक को लागू करने की कड़े शब्दों में निंदा की है। किसान नेता मास्टर महेंद्र सिंह चौहान के चाचा व कर्मचारियों के राष्ट्रीय नेता रहे आरसी जग्गा के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
धरने को किसान सभा के नेता धर्मचंद घुघेरा, डॉ.रघुवीर सिंह, रतन सिंह सौरोत, कुल भानु छाता, श्रीपाल सिंह दीघोट, रमेश चंद्र प्रधान, दरियाब सिंह, अच्छेलाल जोधपुर, बीरसिंह, करतार सिंह, बुद्धि सिंह, सुभाष दलाल, वीरसिंह दलाल, श्रीचंद महाशय ने संबोधित किया।