राजकीय प्राथमिक पाठशाला फतेहपुर में एक भी अध्यापक नहीं है। एक माह से बच्चे मिड-डे- मील का खाना खाकर बिना पढ़ाई किए घर आ रहे हैं। ग्रामीणों का धैर्य मंगलवार को टूट गया। ग्रामीणों ने स्कूल गेट पर ताला लगाकर विरोध जताया। सूचना पर पहुंचे खंड शिक्षा अधिकारी राजेंद्र यादव ने अध्यापक की नियुक्ति का ग्रामीणों को आश्वासन दिया। ग्रामीणों ने करीब डेढ़ घंटे बाद स्कूल गेट का ताला खोला।
गांव के सरपंच रणबीर के नेतृत्व में ग्रामीणों ने स्कूल खुलने से पहले ही गेट पर ताला लगा दिया। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा देने का दावा तो किया जाता है। लेकिन, पढ़ाने वाला एक भी शिक्षक स्कूल में नहीं है। बच्चे स्कूल आकर मिड-डे-मील का खाना खाकर घर आ जाते हैं। स्कूल में अध्यापकों की कमी के चलते यहां डेपुटेशन पर अध्यापक लगा था। लेकिन, डेपुटेशन करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई होने पर अधिकारी घबराने लगे हैं। जिससे स्कूल की व्यवस्था बनानी मुश्किल हो रही है। स्कूल की चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व सफाई कर्मचारी बच्चों को अपने आप पढ़ लो, कहकर रोके रखते हैं।
राजकीय प्राथमिक पाठशाला फतेहपुर में 14 बच्चे हैं। लेकिन, पढ़ाने के लिए एक भी अध्यापक नहीं है। गांव के सरपंच रणबीर ने बताया कि स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक की पदोन्नति हो गई। उसके स्थान पर रिक्त हुए पद पर डेपुटेशन पर एक अध्यापक को लगाया हुआ था। लेकिन, शिक्षा निदेशालय ने डेपुटेशन करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई कर दी। उसके बाद से अध्यापक स्कूल में नहीं आ रहा है। कोई शिक्षक न होने से स्कूल के बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया लेकिन अधिकारी भी डेपुटेशन पर अध्यापकों को नहीं भेज रहे हैं। पिछले माह से स्कूल में कोई शिक्षक पढ़ाने नहीं आ रहा है। स्कूल का ताला खुलाने पहुंचे खंड शिक्षा अधिकारी राजेंद्र ने बताया कि सीधे तो वे अध्यापक का डेपुटेशन नहीं कर सकते हैं। लेकिन, अस्थाई व्यवस्था कर बच्चों को तो पढ़वाया जाएगा।
तीन अधिकारियों पर हुई थी कार्रवाई
करीब एक माह पहले निदेशालय ने बीईईओ नांगल चौधरी, अटेली और महेंद्रगढ़ को टीचरों के डेपुटेशन को लेकर निलंबित कर दिया था। इसके बाद सभी ऐसे टीचरों को उनके मूल स्कूल में भेज दिया गया था। इससे सिंगल स्कूल टीचर व बिना टीचर वाले स्कूलों में पठन-पाठन की समस्या है। इसके लिए विभाग ने इन स्कूलों पर टीचरों की ड्यूटी लगाने के लिए पत्र निदेशालय को भेजा है। लेकिन, स्वीकृत नहीं मिली है। ऐसे में इन स्कूलों को पास के मिडिल स्कूलों के टीचरों की मदद से चलाया जा रहा है।
राजकीय प्राथमिक पाठशाला फतेहपुर में एक भी अध्यापक नहीं है। एक माह से बच्चे मिड-डे- मील का खाना खाकर बिना पढ़ाई किए घर आ रहे हैं। ग्रामीणों का धैर्य मंगलवार को टूट गया। ग्रामीणों ने स्कूल गेट पर ताला लगाकर विरोध जताया। सूचना पर पहुंचे खंड शिक्षा अधिकारी राजेंद्र यादव ने अध्यापक की नियुक्ति का ग्रामीणों को आश्वासन दिया। ग्रामीणों ने करीब डेढ़ घंटे बाद स्कूल गेट का ताला खोला।
गांव के सरपंच रणबीर के नेतृत्व में ग्रामीणों ने स्कूल खुलने से पहले ही गेट पर ताला लगा दिया। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा देने का दावा तो किया जाता है। लेकिन, पढ़ाने वाला एक भी शिक्षक स्कूल में नहीं है। बच्चे स्कूल आकर मिड-डे-मील का खाना खाकर घर आ जाते हैं। स्कूल में अध्यापकों की कमी के चलते यहां डेपुटेशन पर अध्यापक लगा था। लेकिन, डेपुटेशन करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई होने पर अधिकारी घबराने लगे हैं। जिससे स्कूल की व्यवस्था बनानी मुश्किल हो रही है। स्कूल की चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व सफाई कर्मचारी बच्चों को अपने आप पढ़ लो, कहकर रोके रखते हैं।
राजकीय प्राथमिक पाठशाला फतेहपुर में 14 बच्चे हैं। लेकिन, पढ़ाने के लिए एक भी अध्यापक नहीं है। गांव के सरपंच रणबीर ने बताया कि स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक की पदोन्नति हो गई। उसके स्थान पर रिक्त हुए पद पर डेपुटेशन पर एक अध्यापक को लगाया हुआ था। लेकिन, शिक्षा निदेशालय ने डेपुटेशन करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई कर दी। उसके बाद से अध्यापक स्कूल में नहीं आ रहा है। कोई शिक्षक न होने से स्कूल के बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया लेकिन अधिकारी भी डेपुटेशन पर अध्यापकों को नहीं भेज रहे हैं। पिछले माह से स्कूल में कोई शिक्षक पढ़ाने नहीं आ रहा है। स्कूल का ताला खुलाने पहुंचे खंड शिक्षा अधिकारी राजेंद्र ने बताया कि सीधे तो वे अध्यापक का डेपुटेशन नहीं कर सकते हैं। लेकिन, अस्थाई व्यवस्था कर बच्चों को तो पढ़वाया जाएगा।
तीन अधिकारियों पर हुई थी कार्रवाई
करीब एक माह पहले निदेशालय ने बीईईओ नांगल चौधरी, अटेली और महेंद्रगढ़ को टीचरों के डेपुटेशन को लेकर निलंबित कर दिया था। इसके बाद सभी ऐसे टीचरों को उनके मूल स्कूल में भेज दिया गया था। इससे सिंगल स्कूल टीचर व बिना टीचर वाले स्कूलों में पठन-पाठन की समस्या है। इसके लिए विभाग ने इन स्कूलों पर टीचरों की ड्यूटी लगाने के लिए पत्र निदेशालय को भेजा है। लेकिन, स्वीकृत नहीं मिली है। ऐसे में इन स्कूलों को पास के मिडिल स्कूलों के टीचरों की मदद से चलाया जा रहा है।