दुष्कर्म के बाद अब पीड़िता पुलिस से गर्भपात की गुहार लगा रही है। उसका कहना है कि वह गैर पुरुष के अनचाहे गर्भ को रखने के पक्ष में नहीं है, लेकिन कानूनी अड़चनें उसके जी का जंजाल बनी हुईं हैं। उसने पुलिस से जल्द डीएनए जांच कराने की भी मांग की है। दूसरी ओर आरोपी युवक ने महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे को अपनाने की सहमति दी है। उसका कहना है कि महिला उसके साथ स्वेच्छा से बाहर गयी थी। इस संबंध में जानकारों का कहना है कि महिला को गर्भपात के लिए माननीय हाईकोर्ट की शरण में जाना होगा।
विगत 20 जून को कुंजपुरा थाना के अंतर्गत गांव डबरकी कलां से एक 26 वर्षीय विवाहिता संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गई थी। तलाश करने पर जब उसका कुछ अता पता नहीं चला तो परिजनों ने 21 जून को थाने में गुमशुदगी दर्ज करवा दी। घटना के करीब ढाई माह बाद अचानक महिला वापस घर लौटी और गांव के ही दो सगे भाइयों पर अपहरण कर बंधक बनाने और सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था। साथ ही गर्भवती होने की बात कही थी। पुलिस ने महिला की शिकायत के आधार पर गांव के दो सगे भाइयों दीपक और संदीप के खिलाफ धमकी देने सामूहिक दुष्कर्म करने और एक कथित चिकित्सक के खिलाफ दवा में कोई नशीली वस्तु मिलाकर देने के आरोप में मामला दर्ज कर किया था। मामले में महिला जांच अधिकारी की ओर से पीड़िता का डीएनए टेस्ट कराया जाना है, लेकिन करीब 15 दिन बाद भी यह संभव नहीं हो सका है। सामाजिक एवं कानूनी मजबूरियों के बीच उलझी पीड़ित महिला अब पुलिस कार्रवाई की बाट जोह रही है। इसी बीच पीड़ित महिला ने मामले की जांच अधिकारी हेड कांस्टेबल शशिबाला और अन्य महिला पुलिस कर्मियों के सामने स्पष्ट किया है कि वह गैर पुरुष के अनचाहे गर्भ को परिपक्व अवधि तक ले जाने के पक्ष में नहीं है। उसे कानूनी प्रक्रिया के तहत हर हाल में गर्भ से निजात ( गर्भपात की इजाजत ) दिलाई जाए।
इस संबंध में एक विधि विशेषज्ञ ने नाम न छापने के आग्रह पर बताया कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत केवल माननीय हाईकोर्ट को ही तीन माह तक गर्भपात की इजाजत देने का अधिकार है। इस अवधि से अधिक समय होने के बाद चिकित्सक की जांच रिपोर्ट (ओपिनियन ) अनिवार्य है। इस संबंध में थाना प्रभारी मुनीष कुमार का कहना है कि फिलहाल मामले की छानबीन की जा रही है।
दुष्कर्म के बाद अब पीड़िता पुलिस से गर्भपात की गुहार लगा रही है। उसका कहना है कि वह गैर पुरुष के अनचाहे गर्भ को रखने के पक्ष में नहीं है, लेकिन कानूनी अड़चनें उसके जी का जंजाल बनी हुईं हैं। उसने पुलिस से जल्द डीएनए जांच कराने की भी मांग की है। दूसरी ओर आरोपी युवक ने महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे को अपनाने की सहमति दी है। उसका कहना है कि महिला उसके साथ स्वेच्छा से बाहर गयी थी। इस संबंध में जानकारों का कहना है कि महिला को गर्भपात के लिए माननीय हाईकोर्ट की शरण में जाना होगा।
विगत 20 जून को कुंजपुरा थाना के अंतर्गत गांव डबरकी कलां से एक 26 वर्षीय विवाहिता संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गई थी। तलाश करने पर जब उसका कुछ अता पता नहीं चला तो परिजनों ने 21 जून को थाने में गुमशुदगी दर्ज करवा दी। घटना के करीब ढाई माह बाद अचानक महिला वापस घर लौटी और गांव के ही दो सगे भाइयों पर अपहरण कर बंधक बनाने और सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था। साथ ही गर्भवती होने की बात कही थी। पुलिस ने महिला की शिकायत के आधार पर गांव के दो सगे भाइयों दीपक और संदीप के खिलाफ धमकी देने सामूहिक दुष्कर्म करने और एक कथित चिकित्सक के खिलाफ दवा में कोई नशीली वस्तु मिलाकर देने के आरोप में मामला दर्ज कर किया था। मामले में महिला जांच अधिकारी की ओर से पीड़िता का डीएनए टेस्ट कराया जाना है, लेकिन करीब 15 दिन बाद भी यह संभव नहीं हो सका है। सामाजिक एवं कानूनी मजबूरियों के बीच उलझी पीड़ित महिला अब पुलिस कार्रवाई की बाट जोह रही है। इसी बीच पीड़ित महिला ने मामले की जांच अधिकारी हेड कांस्टेबल शशिबाला और अन्य महिला पुलिस कर्मियों के सामने स्पष्ट किया है कि वह गैर पुरुष के अनचाहे गर्भ को परिपक्व अवधि तक ले जाने के पक्ष में नहीं है। उसे कानूनी प्रक्रिया के तहत हर हाल में गर्भ से निजात ( गर्भपात की इजाजत ) दिलाई जाए।
इस संबंध में एक विधि विशेषज्ञ ने नाम न छापने के आग्रह पर बताया कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत केवल माननीय हाईकोर्ट को ही तीन माह तक गर्भपात की इजाजत देने का अधिकार है। इस अवधि से अधिक समय होने के बाद चिकित्सक की जांच रिपोर्ट (ओपिनियन ) अनिवार्य है। इस संबंध में थाना प्रभारी मुनीष कुमार का कहना है कि फिलहाल मामले की छानबीन की जा रही है।