न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हिसार (हरियाणा)
Published by: रोहतक ब्यूरो
Updated Fri, 09 Apr 2021 05:02 PM IST
झज्जर के बहादुरगढ़ से इलाज के लिए हिसार के लाला लाजपत राय पशु विज्ञान एवं पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय (लुवास) में लाए गए एक खच्चर में ग्लैंडर्स पाए जाने का मामला सामने आया है। इस खच्चर का सैंपल पांच अप्रैल को लिया गया था। अब ग्लैंडर्स पॉजिटिव खच्चर को मारा जाएगा। पांच अप्रैल को लुवास में हिसार की एक घोड़ी, एक घोड़ी का बच्चा और बहादुरगढ़ से एक खच्चर इलाज के लिए लाए गए थे।
ग्लैंडर्स के लक्षण दिखने के बाद मामले की जानकारी राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र को दी गई, जिनके वैज्ञानिकों ने तीनों पशुओं के सैंपल लिए थे। गुरुवार को इनकी रिपोर्ट आई, जिसमें एक पशु का सैंपल ग्लैंडर्स पॉजिटिव पाया गया है। वहीं, घोड़ी और उसके बच्चे को स्ट्रेंगल नामक अन्य बीमारी है। रिपोर्ट आने के बाद अब ग्लैंडर्स पॉजिटिव खच्चर को पशुपालन विभाग द्वारा मारा जाएगा, ताकि ग्लैंडर्स को फैलने से रोका जा सके।
रिपोर्ट संबंधित संस्थान को भेज दी है
लुवास में घोड़ी और खच्चरों के तीन सैंपल लिए गए थे, जिनमें से एक सैंपल ग्लैंडर्स पॉजिटिव है। रिपोर्ट संबंधित संस्थान को भेज दी गई है। - डॉ. यशपाल सिंह, निदेशक, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार।
ग्लैंडर्स बीमारी क्या है
ग्लैंडर्स एक खतरनाक बीमारी है। इसमें घोड़े की नाक से खून बहता है। वहीं शरीर पर फोड़े दिखते हैं। यह बीमारी घोड़े की प्रजातियों में पाई जाती है। खास बात यह है कि इसका संक्रमण दूसरे पशुओं में भी पहुंच सकता है। बीमारी का पता लगने पर संक्रमित जानवर को मार दिया जाता है।
विस्तार
झज्जर के बहादुरगढ़ से इलाज के लिए हिसार के लाला लाजपत राय पशु विज्ञान एवं पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय (लुवास) में लाए गए एक खच्चर में ग्लैंडर्स पाए जाने का मामला सामने आया है। इस खच्चर का सैंपल पांच अप्रैल को लिया गया था। अब ग्लैंडर्स पॉजिटिव खच्चर को मारा जाएगा। पांच अप्रैल को लुवास में हिसार की एक घोड़ी, एक घोड़ी का बच्चा और बहादुरगढ़ से एक खच्चर इलाज के लिए लाए गए थे।
ग्लैंडर्स के लक्षण दिखने के बाद मामले की जानकारी राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र को दी गई, जिनके वैज्ञानिकों ने तीनों पशुओं के सैंपल लिए थे। गुरुवार को इनकी रिपोर्ट आई, जिसमें एक पशु का सैंपल ग्लैंडर्स पॉजिटिव पाया गया है। वहीं, घोड़ी और उसके बच्चे को स्ट्रेंगल नामक अन्य बीमारी है। रिपोर्ट आने के बाद अब ग्लैंडर्स पॉजिटिव खच्चर को पशुपालन विभाग द्वारा मारा जाएगा, ताकि ग्लैंडर्स को फैलने से रोका जा सके।
रिपोर्ट संबंधित संस्थान को भेज दी है
लुवास में घोड़ी और खच्चरों के तीन सैंपल लिए गए थे, जिनमें से एक सैंपल ग्लैंडर्स पॉजिटिव है। रिपोर्ट संबंधित संस्थान को भेज दी गई है। - डॉ. यशपाल सिंह, निदेशक, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार।
ग्लैंडर्स बीमारी क्या है
ग्लैंडर्स एक खतरनाक बीमारी है। इसमें घोड़े की नाक से खून बहता है। वहीं शरीर पर फोड़े दिखते हैं। यह बीमारी घोड़े की प्रजातियों में पाई जाती है। खास बात यह है कि इसका संक्रमण दूसरे पशुओं में भी पहुंच सकता है। बीमारी का पता लगने पर संक्रमित जानवर को मार दिया जाता है।
ग्लैंडर्स एक खतरनाक बीमारी है। इसमें घोड़े की नाक से खून बहता है। वहीं शरीर पर फोड़े दिखते हैं। यह बीमारी घोड़े की प्रजातियों में पाई जाती है। खास बात यह है कि इसका संक्रमण दूसरे पशुओं में भी पहुंच सकता है। बीमारी का पता लगने पर संक्रमित जानवर को मार दिया जाता है।